PHOTOS: जानिए क्यों क्रिकेट में ‘111’ को मानते हैं पनौती, अंपायर डेविड शेफर्ड ने किया था प्रचलित, जानें दिलचस्प कहानी
क्रिकेट में जब भी कोई टीम या खिलाड़ी 111 रनों के पर पहुंचता है तो माना जाता है कि अब विकेट गिरेगा. इस स्कोर ‘पनौती’ या खराब नंबर माना जाता है. इस नंबर को ‘नेल्सन भी कहते हैं. इसका नाम एडमिरल नेल्सन के ना पर रखा गया था. ऐसा कहा जाता है कि नेल्सन की एक आंख, एक पैर और एक हाथ नहीं था. लेकिन ऐसा नहीं था, उनके दोनों पैर बिल्कुल ठीक थे. हां, उन्होंने अपनी एक आंख और हाथ हादसे में खो दिया था.
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View In Appइस नंबर को अंपायर डेविड शेफर्ड ने प्रचलित किया था. जब भी किसी टीम का स्कोर 111 या उसके मल्टीपल (जैसे- 222 या 333) होता था तो वह एक पैर पर कूदन के लगते थे. डेविड शेफर्ड कूदने के लिए जाने जाते थे.
111 के स्कोर को नेल्सन और 222 और 333 जैसे स्कोर को डबल या ट्रिपल नेल्सन कहा जाता है. इस स्कोर तक पहुंचे वाला कोई खिलाड़ी या टीम ‘नेल्सन नंबर’ की श्रेणी में आ जाते है. नेल्सन शब्द ब्रिटिश नौसेना के एक अधिकारी के नाम से लिया गया. नेल्सन ने अपने जीवन में कई जंगें लड़ी, जिसमें उन्होंने शरीर के कई हिस्से खो दिए थे.
क्रिकेट में टीमों ने 111 और मल्टीपल स्कोर (222 या 333) को खतरनाक माना. एक बार मशहूर क्रिकटे इतिहासकार और स्कोरर बिल फ्रिंडल ने एक बार नेल्सन को ‘एक हाथ, एक आंख और वगैरह’ कहे दिया था.
बता दें कि न्यूज़ीलैंड में एक नेल्सन नाम की एक क्रिकेट टीम थी. ऐसा माना जाता है कि इस टीम के चलते क्रिकेट नेल्सन नाम प्रचलित हुआ. नेल्सन नाम की यह टीम 1874 से लेकर 1891 तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रही. टीम ने कुल 17 मैच खेले.
टीम अपने पहले मैच में 111 रनों पर ऑलआउट हो गई थी और वह मैच टाई रहा था. मज़ेदार बात ये रही कि 1891 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में टीम की आखिरी पारी भी 111 रनों पर ही समाप्त हुई थी.
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