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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Tokyo Paralympic 2020: भारत का पैरालंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, एक दिन में मिले 2 गोल्ड समेत 5 मेडल
Tokyo Paralympic 2020 : टोक्यो पैरालम्पिक में भारत के लिए सोमवार का दिन यादगार रहा जब रिकॉर्ड भी टूटे और इतिहास भी बार बार रचा गया. पहली बार पैरालम्पिक खेल रहे भालाफेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल (23 वर्ष) और निशानेबाज अवनि लेखरा (19 वर्ष) ने स्वर्ण पदक जीता जबकि दो बार के स्वर्ण पदक विजेता अनुभवी देवेंद्र झाझरिया (भालाफेंक) और योगेश कथूनिया (चक्काफेंक) ने रजत और सुंदर सिंह गुर्जर (भालाफेंक) ने कांस्य पदक जीता . यानि आज कुल पांच मेडल भारत को मिले. Tokyo 2020 Paralympic में भारतीय खिलाड़ियों ने कुल सात पदक जीते हैं. रियो पैरालम्पिक 2016 में भारत ने चार पदक जीते थे.
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View In Appअवनि लेखरा ने महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा. जयपुर की रहने वाली यह 19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गयी हैं. उनकी रीढ़ की हड्डी में 2012 में कार दुर्घटना में चोट लग गयी थी. उन्होंने 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकार्ड की बराबरी की. यह पैरालंपिक खेलों का नया रिकार्ड है.
इसके बाद भालाफेंक (जेवलीन) खिलाड़ियों ने भारतीय पैरालम्पिक खेलों का स्वर्णिम अध्याय लिखा . सुमित अंतिल ने अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता. हरियाणा के सोनीपत के 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकार्ड था. 2015 में मोटरबाइक दुर्घटना में उन्होंने बायां पैर घुटने के नीचे से गंवा दिया था.
स्टार पैरा एथलीट और दो बार के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया पैरालंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में सोमवार को रजत पदक जीता जबकि चक्का फेंक के एथलीट योगेश कथूनिया ने भी दूसरा स्थान हासिल किया जिससे भारत ने इन खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकार्ड को पीछे छोड़ा. एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकार्ड तोड़ा. (फोटो में देवेंद्र झाझरिया)
सुंदर सिंह गुर्जर ने भी कांस्य पदक जीता. वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे. एफ46 में एथलीटों के हाथों में विकार और मांसपेशियों में कमजोरी होती है. इसमें खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं.
कथूनिया ने सोमवार को पैरालंपिक खेलों में पुरुषों की चक्का फेंक स्पर्धा के एफ56 वर्ग में इस सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता. आठ साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले योगेश ने अपने छठे और अंतिम प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया.
भारत के लिये निराशाजनक खबर चक्काफेंक खिलाड़ी विनोद कुमार (एफ52) का कांस्य पदक वापिस लिया जाना रही जो उनके शारीरिक विकास से जुड़े क्लासीफकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य ’ करार दिये गए .
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