Tokyo Paralympics 2020: ये हैं टोक्यो पैरालंपिक के पांच ऐसे किस्सें, जो सालों तक हमारे दिलोंदिमाग में ताजा रहेंगे
काबुल से अफगानी एथलीट को खुफिया तरीके से बाहर निकालकर टोक्यो पहुंचाना, एक नया ब्रिटिश रिकॉर्ड, 17वां गोल्ड मेडल और रेस के बाद शादी का प्रपोजल. टोक्यो पैरालंपिक भले ही खत्म हो गया हो लेकिन ये हमारे बीच अपनी ऐसी कई कहानियां छोड़ गया है जो आने वाले कई सालों तक हमारे दिलोंदिमाग में ताजा रहेंगी. आइए जानते हैं इनके बारे में.
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View In Appअफगान टीम काबुल से टोक्यो पहुंची: तालिबान के कब्जे के बाद टोक्यो पैरालंपिक में अफगानिस्तान के हिस्सा लेने को लेकर किसी को भी यकीन नहीं था. यहां के दोनों एथलीट काबुल में ही फंस गए थे और उनका इन खेलों में शामिल होने का सपना टूटता नजर आ रहा था. ओपनिंग सेरेमनी में भी अफगान देश का झंडा जापान के एक वालंटियर ने उठाया. हालांकि खेलों के इस महाकुंभ की शुरुआत के चार दिन बाद ही आयोजकों ने एलान किया कि अफगानिस्तान के दोनों पैरा एथलीट जाकिया खुदादादी और हुसैन रसौली जापान पहुंच गए हैं. इस एलान ने सभी को चौंका दिया, ये दोनों ही एथलीट काबुल से खुफिया तरीके से निकलकर पहले पेरिस पहुंचे और फिर वहां से टोक्यो. हालांकि इन दोनों को काबुल से टोक्यो तक पहुंचाने के इस खुफिया मिशन को लेकर कोई भी जानकारी शेयर नहीं कि गई है. उनकी यहां मौजूदगी से पूरी दुनिया में आशा और उम्मीद को लेकर एक बहुत बड़ा मैसेज भी गया. 22 साल की खुदादादी ने ताइक्वोंडो में हिस्सा लिया जबकि 26 साल के रसौली ने हाई जम्प में अफगानिस्तान के प्रतिनिधित्व किया.
साइकिलिंग लीजेंड 'स्टोरी' ने जीता रिकॉर्ड 17वां गोल्ड मेडल: टीम ग्रेट ब्रिटेन के लिए एक और गौरव का पल साइकिलिंग लीजेंड सारा स्टोरी की ओर से आया. सारा ने टोक्यो में गोल्ड मेडल जीत इतिहास रच दिया. ये उनके पैरालंपिक करियर का 17वां गोल्ड मेडल है. सारा ने पैरालंपिक खेलों में अपना पहला गोल्ड मैडल 29 साल पहले जीत था. 43 साल की सारा का ये पैरालंपिक में लगातार तीसरा गोल्ड मेडल भी है. इसके साथ ही उन्होंने ब्रिटैन के तैराक माइक केनी का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया जिन्होनें स्विमिंग में 1976 से 1988 के बीच पैरालंपिक खेलों में 16 गोल्ड मेडल अपने नाम किये थे. सारा ने साइकिलिंग की C4-5 केटेगरी में ये गोल्ड मेडल जीता. अपनी इस जीत के बाद सारा ने कहा, मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे ये किसी और के साथ हो रहा है. मैं आज बहुत खुश हूं. अंतिम पलों में मैन ब्रेक लगाने के बारे में सोच ही नही और पूरे जोर के साथ आगे बढ़ गई.
पैरालंपिक प्रपोजल: टोक्यो में महिलाओं की 200 मीटर T11 रेस में cape verde की पैरा एथलीट कियूला निद्रिया परेरा सेमेडो सेमी फाइनल के लिए क्वालीफाई करने से चूक गई. हालांकि हार के बाद भी उनकी जिंदगी का सबसे खास पल उनका इंतजार कर रहा था. रेस के बाद सेमेडो के गाइड रनर मैनुएल अंटोनियो वाज डा विगा बेहद ही शानदार अंदाज में एक पांव पर बैठ गए और उन्हें प्रोपोज कर दिया. इसके बाद दोनों ही एथलीट की खुशी देखने लायक थी. वाज डी विगा ने बाद में बताया कि वो इसके लिए उस जुलाई समय से तैयारी कर रहे थे जब से परेरा का टोक्यो पैरालंपिक के लिए cape verde की टीम में सेलेक्शन हुआ था. उन्होनें बताया, मेरे ख्याल से ये परेरा को प्रोपोज़ करने के लिए सबसे सही जगह और सबसे खास पल था. वहीं परेरा ने कहा कि, पहले वो अपने रिटायरमेंट के बारे में सोच रही थीं लेकिन इस प्रपोजल के बाद वो अब इसपर फिर से विचार कर रही हैं. उन्होनें कहा, अब मेरे पास आगे भी खेलते रहने के लिए एक और मोटिवेशन है क्योंकि अब विगा हमेशा ही मेरे साथ होंगे.
फेंसिंग 'बेब' ने डिफेंड किया अपना टाइटल: फेंसिंग के खेल में आइकॉन इटली की बीटराइस 'बेब' वीओ दुनिया की सबसे मशहूर पैरा ओलंपियन में से एक हैं. वीओ ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए टोक्यो में एक बार फिर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाकर रियो में जीते अपने टाइटल को सफलतापूर्वक डिफेंड किया. 24 वर्षीय वीओ के दोनों ही हाथ और पांव नहीं हैं. महज 11 साल की उम्र में ही वो मैनिंजाइटिस से ग्रस्त हो गई थीं. उन्होंने फेंसिंग की महिला इंडिविजुअल फॉयल केटेगरी बी के फाइनल में चीन की झाओ जिंगजिंग को 15-9 से मात देकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया. इटली की इस सनसनी को अपनी बिजली सी गति और कोर्ट पर अपनी जोरदार आवाज के लिए जाना जाता है. साथ ही वीओ उन नौ पैरालंपियन में से एक हैं जिन्होंने विख्यात डाक्यूमेंट्री राइजिंग फीनिक्स में फीचर किया था. इसके अलावा वीओ एक मोटिवेशनल स्पीकर, ऑथर, एक्टर, टीवी होस्ट और दिव्यांगता के क्षेत्र में काम करने वाली समाजसेवी भी हैं. वीओ ने इस से पहले रियो में भेज झाओ को हराकर अपना पहला गोल्ड जीता था. उस समय उनकी उम्र महज 19 साल थी।
ग्रेट ब्रिटेन ने रग्बी में रचा इतिहास: टीम ग्रेट ब्रिटेन ने भारी उलटफेर करते हुए फेवरेट अमेरिका को हराकर रग्बी का गोल्ड मेडल अपने नाम किया. व्हीलचेयर रग्बी के इस गोल्ड मेडल मैच में ग्रेट ब्रिटेन ने अमेरिका को 54-49 से हराकर इतिहास रच दिया. पैरालंपिक के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी यूरोपियन टीम ने रग्बी का गोल्ड मेडल जीता है. इस मुकाबले में जीत के बाद ब्रिटैन के स्टुअर्ट रॉबिन्सन ने कहा, मैने अपने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि हम पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतेंगे. पिछले चार - पांच सालों से हम कुछ खास कर गुजरने के लिए अपनी तैयारियों को अंजाम दे रहे थे. वही फाइनल में 24 ट्राय के साथ अपनी टीम की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले जिम रॉबर्ट्स ने कहा, हम इस जीत का जोरदार तरीके से जश्न मनाएंगे. इस वक़्त हम बस खो जाना चाहते हैं.
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