Bihar Flood: सुपौल के कोसी में कटाव से 200 से ज्यादा घर ध्वस्त, तस्वीरों में देखें विस्थापन का मंजर
कोसी तटबंध के बीच बसे लोग कब गरीब बनकर झोपड़ी में आ जाएं, यह कहना मुश्किल नहीं है, क्योंकि कोसी नदी का हमेशा से लोगों के घरों को काटना नियति रही है. इस साल भी मुंगरार, बलवा,डुमरिया गांव में 200 से आधीक घर कट गए हैं. एक मंदिर भी कोसी नदी में समा गया है. सरकारी नाव नहीं रहने से विस्थापन में लोगों को परेशानी हो रही है.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appयहां कोसी नदी विकराल रूप धारण किए हुए है, जहां लगभग 200 से अधिक घर कटाव की चपेट में आ गए हैं. लोगों ने कहा कि यहां महीने भर से कटाव जारी है. लेकिन प्रशासन की तरफ से न राहत मिल रही है और न ही पॉलीथिन की व्यवस्था की गई है.
इस क्षेत्र के लोग अपने घरों को उजाड़कर ऊंचे स्थान पर नाव के माध्यम से ले जाने को बेबस हैं. बाढ़ पीड़ितों ने बतााय कि उनके घर नदी के कटाव की चपेट में आ गए हैं और प्रशासन ने अभी तक नाव की व्यवस्था नहीं की है. लोग निजी नाव के माध्यम से 1500 से 3000 रुपये देकर सामान बांध पर ले जा रहे हैं.
सालों से यहां के लोग बाहर प्रदेश जाकर मेहनत करते हुए किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं और अपना आशियाना बनाते हैं, लेकिन उन्हें क्या पता कि यह आशियाना पल भर में नदी लील लेगी. इन लोगों के साथ यह एक बार की कहानी नहीं है, बल्कि हर बार की यही होता है. हर साल कोसी नदी का तांडव झेलना पड़ता है.
कई जनप्रतिनिधियों ने आकर कई बार आश्वासन भी दिया कि सभी बाढ़ पीड़ितों को सही ठिकाना मिल जाएगा, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो पाया है, लोगों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने जो झेला है, वही हमें भी झेलना पड़ रहा है.
बलवा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि संतोष यादव, सदर प्रखंड के उप प्रमुख जय नारायण पंडित, सरपंच सहदेव यादव बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने कटाव स्थल पहुंचे. वहां नदी का विकराल रूप देखकर कहा कि महीनों से यहां कटाव जारी है, लेकिन प्रशासन मौन धारण किए बैठा है. समाजसेवी मुखिया प्रतिनिधि संतोष यादव ने बाढ़ पीड़ितों के लिए सरकारी स्तर पर नाव बहाल करने और खाने-पीने के लिए समुदाय किचेन चलाने की मांग की है.
सुपौल सदर एसडीओ इंद्रवीर कुमार ने बताया कि अंचल अधिकारी एवं कर्मचारी को सभी कटाव स्थल पर भेजा गया था, सभी की सूची तैयार की जा रही है जो भी सरकारी सहायता है वो दी जा रही है. सरकारी नाव की भी समुचित व्यवस्था की गई है अगर कटाव स्थल पर नाव नहीं है तो उसकी जांच कराई जाएगी. जांच के बाद अगर लापरवाही सामने आई तो कार्रवाई की जाएगी.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -