Musharwa Baba Mandir: इस मंदिर में बीड़ी चढ़ाकर ही मिलती है एंट्री, नहीं तो हो जाता है अमंगल, जानिए मुसहरवा बाबा के बारे में
Musharwa Baba Mandir: हमारे देश में कई तरह के धर्म और संस्कृति पाई जाती हैं. यहां पर कई मंदिर भी जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं उसकी मान्यता के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के 1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर एक मुसहरवा मंदिर स्थित है. जहां पर यात्री अपनी यात्रा को कुशल-मंगल बनाने के लिए बीड़ी चढ़ाते हैं. जी हां आपने बिल्कुल सही सुना. यूपी, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से आने वाले लोग भी अपने कुशल मंगल यात्रा को लेकर मुसहरवा बाबा को बीड़ी चढ़ाते हैं,फिर अपने मंजिल तक जाते हैं.बता दें कि ये इलाका नक्सल ग्रस्त इलाका माना जाता है. जहां अधौरा पहाड़ी पर नक्सलियों का राज हुआ करता था और तभी से इस मंदिर में बीड़ी चढ़ाने का प्रचलन है.
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View In Appदरअसल जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर 1400 फिट ऊंची पहाड़ी पर भभुआ अधौरा मुख्य मार्ग पर स्थित मुसहरवा बाबा का एक मंदिर है. जहां लोगों की मान्यता है पहाड़ी घाटी चढ़ने से पहले और चढ़ने के बाद मुसहरवा बाबा को बीड़ी चढ़ाना जरूरी है. इससे उनके रास्ता में आने वाले हर प्रकार के विघ्न बाधा दूर हो जाता है और लोग सुरक्षित यात्रा करते हैं. जिनके पास बीड़ी चढ़ाने के लिए नहीं होता है वो मुसहरवा बाबा के दान पेटी में बीड़ी चढ़ाने के लिए पैसा डालते हैं फिर आगे बढ़ते हैं.
मंदिर के पुजारी बताते हैं मुसहरवा बाबा के मंदिर में 22 सालों से हम लोग पूजा-अर्चना कर रहे हैं. पहले मेरे पिताजी यहां पर पूजा अर्चना करते थे उसके बाद मैं पूजा अर्चना करता हूं. मूसहरवा बाबा 1400 फिट ऊंची पहाड़ी घाटी चढ़ने पर अधौरा जाने के मुख्य मार्ग में पड़ते हैं. जो भी वाहन घाटी चढ़कर ऊपर आता है वो मुसहरवा बाबा को बीड़ी चढ़ाता है. जिनके पास बीड़ी नहीं है वो बाबा के पास श्रद्धा पूर्वक कुछ भी पैसा दान पेटी में बीड़ी चढ़ाने के लिये डाल देते हैं और जो लोग ऐसा नहीं करते उनके साथ अमंगल होता है.
यूपी के सोनभद्र जिले के राहगीर बताते हैं कि मैं कोलकाता से सासाराम रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से आया फिर बाइक लेकर मैं पहाड़ की चढ़ाई चढ़कर अपने गांव जा रहा हूं. पहाड़ की चढ़ाई चढ़ने के बाद बीच रास्ते में मुसहरवा बाबा का मंदिर पड़ा जहां पर मैंने बीड़ी चढ़ाई और कुछ देर रुका फिर यहां से अपने घर के लिए जाऊंगा. ये तीन से चार राज्यों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है. जो पहाड़ी के ऊपर ही छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड को जोड़ता है.
वहीं वाहन चालक बताते हैं कि हम लोगों का प्रतिदिन इधर से आना-जाना होता है. जब भी हम लोग पहाड़ की घाटी चढ़कर ऊपर आते हैं तो बाबा को बीड़ी चढ़ाकर थोड़ा देर रुक कर ही अपने कार्य के लिए जाते हैं. इससे हम लोगों का दिन अच्छा से गुजरता है और कोई बाधा नहीं आती है. अगर आगे कोई बाधा आने की स्थिति भी होती है तो वो यहीं पर समाप्त हो जाती है. ये काफी पुराना प्रचलन है जिसे हम लोग आज भी निभाते आ रहे हैं.
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