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बिहार के समस्तीपुर का वो मंदिर जहां भक्तों के दुख हरने खुद पहुंचीं थीं मां लक्ष्मी, यहां से कोई नहीं लौटता खाली हाथ
Bihar News: समस्तीपुर के मन्निपुर मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां मुराद मांगने वाला मां के दरबार से कभी खाली हाथ नहीं लौटता. इसलिए यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

जानिए समस्तीपुर के मंदिर की रोचक कथा
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Navratri Special 2022: भारत में सनातन धर्म की आस्था ना सिर्फ बेहद प्रगाढ़ है बल्कि प्राचीन मान्यताओं पर आधारित है. सैकड़ों वर्षों पुराने मंदिरों, मठों और धाम पर लोगों की बड़ी आस्था है. आज मां के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में आपको बताएंगे जो ना सिर्फ 200 साल पुराना है बल्कि माता के सिद्धपीठों में शामिल है. आज बात कर रहे हैं मन्निपुर मंदिर की. बिहार से समस्तीपुर जिले में मौजूद एकमात्र जागृत सिद्ध पीठ है और यहां लगातार मां की आराधना और पूजा होती रहती है. माता के इस धाम में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु मुराद मांगने पहुंचते हैं.
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इस मंदिर में भक्तों की विशेष आस्था है. मान्यता है कि यहां मुराद मांगने वाला मां के दरबार से कभी खाली हाथ नहीं लौटता. शायद यही कारण है कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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मंदिर को लेकर मान्यता है कि करीब ढाई सौ वर्षों पहले इस इलाके में महामारी का प्रकोप हुआ था. इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इस दौरान हर चीज की कमी हो गई और मंदिर में पूजन सामग्री की भी कमी हो गई.
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इस दौरान गांव के लोगों ने यहां महामाया देवी की आराधना शुरू की. तभी एक बुजुर्ग महिला यहां पहुंची और मिट्टी का पिंड बनाकर आराधना शुरू कर दी. जिसके बाद महिला अंतर्ध्यान हो गईं. तभी से मां का चमत्कार देखकर लोगों ने इस जगह पर मां लक्ष्मी के रूप महामाया की आराधना शुरू कर दी.
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कहा जाता है कि उस घटना के बाद से इस इलाके में कभी कोई महामारी नहीं फैली. साथ ही इलाके में सुख समृद्धि का भी वास हो गया. यहां सिर्फ देशभर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त मां से मुराद मांगने आते हैं.
Published at : 07 Sep 2022 02:08 PM (IST)
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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