बोधगया के बटरफ्लाई पार्क में हजारों किलोमीटर से आती हैं तितलियां, यहां रहने-खाने तक की व्यवस्था
बोधगया में पर्यटकों का आना लगा है. ऐसे में बटरफ्लाई पार्क पर्यटकों को काफी आकर्षित कर रहा है. पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से बटरफ्लाई पार्क में तितलियों के लिए पालन-पोषण केंद्र भी बनाया गया है ताकि इनकी संख्या को और अधिक बढ़ाया जा सके.
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View In Appऐसा माना जाता है कि बौद्ध धर्म में जीवित जानवरों को कैद से मुख्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक तितलियों को यहां लाकर छोड़ते हैं.
भगवान बुद्ध ने भी कॉमन क्राउ तितली प्रजाति को मान्यता दी. क्योंकि यह प्रजाति बोधि वृक्ष पर अपना पूरा जीवन चक्र को पूरा करती है. बोधि वृक्ष के सीड से वह भोजन कर अपना जीवन चक्र को पूरा करती है.
बटरफ्लाई रेयरिंग सेंटर में तैनात लैब असिस्टेंट अशोक कुमार ने बताया कि यहां 92 प्रजाति की तितलियां आती हैं. हिमालयन क्षेत्र,चीन, यूरोप, साउथ, अफगानिस्तान और सऊदी जैसे देशों से भी 4 हजार से 5 हजार किलोमीटर ट्रैवल कर तितलियां आती हैं.
उन तितलियों की बायो साइंटिस्ट के द्वारा पहचान की जाती है. वैसी तितलियों को ध्यान में रखकर उनसे संबंधित 60 प्रजाति के 5 हजार पौधे लगाए गए हैं. उन तितलियों के भोजन, रेयरिंग और ठहरने की व्यवस्था की गई है.
मुख्यतः होस्ट प्लांट और नेक्टर प्लांट 2 प्रकार का पौधे होते हैं जिस पर तितलियां अपना पूरा जीवन चक्र पूरा करती हैं. तितलियों के संरक्षण के लिए पालन पोषण केंद्र बनाया गया है. यहां 30 प्रजाति की तितलियों को लैब में रेयरिंग कर उड़ाया गया है.
कॉमन मॉर्न, लाइम स्वेलोटॉल, कॉमन जय, टेल्ड जय, कॉमन रोस, मोटीड इमिग्रेंट, कॉमन ग्रास येलो, लेमन इमिग्रेंट, ईस्टर्न स्ट्राइप्ड अल्बाट्रॉस, लेमन पांस, प्लेन टाइगर सहित 92 प्रकार की तितलियों की प्रजाति का यह अनोखा बटरफ्लाई पार्क है.
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