PHOTOS: 10 तस्वीरों में देखें पटना के तारामंडल का नजारा, टिकट के दाम से लेकर जानें सब कुछ
पटना का इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर जिसे तारामंडल कहा जाता है वह अब आधुनिक रूप में दर्शकों के लिए तैयार हो चुका है. बाहर से नहीं बल्कि अंदर से भी नजारा पूरी तरह से बदल चुका है.
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View In Appपटना के तारामंडल की शुरुआत 1989 में हुई थी. उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वतंत्र नारायण सिंह थे. प्लेनेटोरियम बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के माध्यम से इसे 11 करोड़ की लागत से बनाया गया था. 1 अप्रैल 1993 से दर्शकों के लिए यह शुरू हुआ था.
आधुनिक मशीनों के आ जाने से तारामंडल का विस्तार किया गया. 2021 में पटना के तारामंडल के आधुनिकीकरण की शुरुआत हुई. 31 करोड़ की लागत से अब नए यह रूप में दिखने लगा है.
आधुनिक युग में कई सारे बदलाव हुए और यही वजह है कि नई तकनीक का इस्तेमाल पटना के तारामंडल में किया गया है. पुरानी मशीन को दर्शकों के लिए म्यूजियम में रखा गया है.
पहले तारामंडल में जो चीजें स्टील फॉर्मेट पर दिखाई जाती थी अब वीडियो फॉर्मेट पर एचडी क्वालिटी के साथ 3डी वीडियो दिखाया जाता है. चश्मा पहनकर ही इसे देखना अनिवार्य है.
3डी शो चलाने के लिए छह प्रोजेक्टर लगाए गए हैं. यह हॉल के छह कोने पर है. वीडियो क्वालिटी के साथ-साथ साउंड क्वालिटी पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.
भवन के मुख्य हाल के बाहर ऊपरी तल्ला पर म्यूजियम में कई तरह के ग्रहों के बारे में बताया गया है. यह काफी आकर्षक है.
तारामंडल में शो देखने के लिए प्रति व्यक्ति 100 रुपया टिकट है. 6 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए 50 रुपया टिकट दर निर्धारित है.
एक घंटे के अंतराल पर शो में बदलाव होता है. पूरा शो 40 मिनट का चलता है. सबसे बड़ी बात है कि एक ही तरह का वीडियो हर बार नहीं दिखाया जाता है. पूरे दिन में दो-तीन तरह के वीडियो अलग-अलग शो में दिखाए जाते हैं.
आधुनिकीकरण होने के बाद इसी साल (2024) फरवरी महीने में तारामंडल का शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने किया था. चश्मा पहनकर उन दोनों ने भी तारामंडल में शो देखा था.
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