Bastar News: खतरे में है छत्तीसगढ़ के इस राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीव, जानवर पलायन को क्यों मजबूर?
छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौजूद कांगेर वैली नेशनल पार्क में बीते कुछ महीनों से मानव दखल की वजह से वन्य प्राणियों की जान खतरे में पड़ गई है. दरअसल यह पार्क जैव विविधता के लिए पूरे प्रदेश में जाना जाता है. इस पार्क में मौजुद दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीवों की वजह से ही पूरे देश में कांगेर घाटी नेशनल पार्क की पर्यटक जमकर तारीफ करते हैं.
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View In Appमानव दखल के बाद से वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट का खतरा मंडराने लगा है. अब आलम यह है कि छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के साथ-साथ मगरमच्छ की रेयरेस्ट प्रजाति क्रोकोडाइल्स पोरोसस की संख्या भी लगातार घटती जा रही है. वहीं कुछ जीव तो पार्क से विलुप्त भी हो गए हैं. जो फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ बस्तरवासियों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है.
जगदलपुर शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कांगेर वैली नेशनल पार्क पूरे देश में विख्यात है. इस नेशनल पार्क में मगरमच्छ, हिरण, तेंदुआ, वन भैंसा, पहाड़ी मैना, बंदर, बारहसिंघा, पैंगोलिन और अजगर के साथ-साथ दुर्लभ वन्य जीव भी हैं. बीते कुछ महीनों से विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यहां मानव दखल तेजी से बढ़ गई है. खुद नेशनल पार्क के डायरेक्टर धम्मशील इंदुबाई संपत इस बात को स्वीकार करते हैं कि आबादी वाले इलाके से यह पार्क सटे होने के कारण लोग पार्क के अंदर घुस आते हैं और यहां मछली पकड़ने के साथ वन्यजीवों का शिकार करते हैं.
हालांकि इसे रोकने के लिए गश्त बढ़ाई जा रही है. साथ ही ग्रामीणों को समझाइश भी दी जा रही है कि वह मछली ना पकड़े लेकिन फिर भी ग्रामीणों के दखलंदाजी की वजह से वन्यजीवों पर खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने बताया कि कांगेर वैली में मगरमच्छ के संरक्षण के लिए गुजरात से विशेषज्ञ बुलाए जाने के प्रयास जारी हैं.
गौरतलब है कि बस्तर जिले के इकलौते राष्ट्रीय उद्यान को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करने की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है. लेकिन ग्रामीणों द्वारा शिकार और अन्य अवैध गतिविधियां इस प्रक्रिया में बाधक बन सकती है. फिलहाल विभाग के अधिकारी मानव दखल और ग्रामीणों के द्वारा वन्यजीवों की किये जा रहे शिकार को रोकने के लिए गश्ती बढ़ाई जाने की बात कह रहे हैं.
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