एक्सप्लोरर

Bastar News: बस्तरिया डिशेज के लाखों हैं दीवाने, ठंड के मौसम में रहती है इन लोकल व्यंजनों की डिमांड, यहां- देखें तस्वीरें

Bastar Dishes: यहां कुछ ऐसी डिशेज होती हैं जो बस्तर को अलग पहचान दिलाती हैं. इनमें चापड़ा चटनी, गुलगुला भजिया, सूखी मछली, कड़कनाथ मुर्गा, शाकाहारी में कुम्हड़ा भाजी और देसी कोचई शामिल हैं.

Bastar Dishes: यहां कुछ ऐसी डिशेज होती हैं जो बस्तर को अलग पहचान दिलाती हैं. इनमें चापड़ा चटनी, गुलगुला भजिया, सूखी मछली, कड़कनाथ मुर्गा, शाकाहारी में कुम्हड़ा भाजी और देसी कोचई शामिल हैं.

(बस्तर की फेसम डिशेज)

1/5
Bastar News: छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए और यहां के आदिवासियों के रहन-सहन और खान-पान के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. कुदरत ने बस्तर को नेचुरल खूबसूरती से तराशा है. यहां की खूबसुरती विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं. इसी के साथ यहां कुछ ऐसी डिसेश होती हैं जो बस्तर को अलग पहचान दिलाती हैं. इनमें चापड़ा चटनी, गुलगुला भजिया और मांसाहारी में सूखी मछली और कड़कनाथ मुर्गा, शाकाहारी में कुम्हड़ा भाजी और देसी कोचई ,आमट शामिल हैं.
Bastar News: छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए और यहां के आदिवासियों के रहन-सहन और खान-पान के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. कुदरत ने बस्तर को नेचुरल खूबसूरती से तराशा है. यहां की खूबसुरती विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं. इसी के साथ यहां कुछ ऐसी डिसेश होती हैं जो बस्तर को अलग पहचान दिलाती हैं. इनमें चापड़ा चटनी, गुलगुला भजिया और मांसाहारी में सूखी मछली और कड़कनाथ मुर्गा, शाकाहारी में कुम्हड़ा भाजी और देसी कोचई ,आमट शामिल हैं.
2/5
दरअसल, ठंड का मौसम आते ही यहां के शहरी लोगों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय भी ठंड के मौसम में अपनी सेहत का खास ख्याल रखते हैं. इस दौरान मांसाहारी खाना ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे उनके शरीर में गर्मी बने रहे और इसके लिए सबसे ज्यादा सुखी मछलियां, कड़कनाथ मुर्गा का सेवन करते हैं. वही शाकाहारी में वनों में मिलने वाले अनेक प्रकार के भाजी,  कांदा और बास्ता का भी सेवन करते हैं.
दरअसल, ठंड का मौसम आते ही यहां के शहरी लोगों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय भी ठंड के मौसम में अपनी सेहत का खास ख्याल रखते हैं. इस दौरान मांसाहारी खाना ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे उनके शरीर में गर्मी बने रहे और इसके लिए सबसे ज्यादा सुखी मछलियां, कड़कनाथ मुर्गा का सेवन करते हैं. वही शाकाहारी में वनों में मिलने वाले अनेक प्रकार के भाजी, कांदा और बास्ता का भी सेवन करते हैं.
3/5
वहीं ठंड के मौसम में पहुंचने वाले पर्यटक भी मांसाहार में कड़कनाथ मुर्गा खाना ही पसंद करते हैं. पूरी तरह से देसी स्टाइल में बनाए जाने वाले इस कड़कनाथ मुर्गा की ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा डिमांड होती है और पर्यटक भी बड़े चाव से इसे खाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कड़कनाथ मुर्गा इम्यूनिटी बढ़ाने में काफी लाभदायक होती है, यही वजह है कि सबसे ज्यादा बस्तर में ही कड़कनाथ मुर्गा पाया जाता है और बस्तर के लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं और ठंड में इसकी डिमांड भी बढ़ जाती है.
वहीं ठंड के मौसम में पहुंचने वाले पर्यटक भी मांसाहार में कड़कनाथ मुर्गा खाना ही पसंद करते हैं. पूरी तरह से देसी स्टाइल में बनाए जाने वाले इस कड़कनाथ मुर्गा की ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा डिमांड होती है और पर्यटक भी बड़े चाव से इसे खाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कड़कनाथ मुर्गा इम्यूनिटी बढ़ाने में काफी लाभदायक होती है, यही वजह है कि सबसे ज्यादा बस्तर में ही कड़कनाथ मुर्गा पाया जाता है और बस्तर के लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं और ठंड में इसकी डिमांड भी बढ़ जाती है.
4/5
इसके अलावा शाकाहारी में भी आदिवासी ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा कुमड़ा भाजी का सेवन करते हैं, क्योंकि यह भी शरीर को काफी फायदा पहुंचाता है. इसके अलावा मांसाहारी में बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण जंगली कड़कनाथ मुर्गा बड़े चाव से  खाते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि कड़कनाथ जंगली मुर्गा ठंड में खाए जाने वाला ग्रामीणों का सबसे पसंदीदा और शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है.
इसके अलावा शाकाहारी में भी आदिवासी ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा कुमड़ा भाजी का सेवन करते हैं, क्योंकि यह भी शरीर को काफी फायदा पहुंचाता है. इसके अलावा मांसाहारी में बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण जंगली कड़कनाथ मुर्गा बड़े चाव से खाते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि कड़कनाथ जंगली मुर्गा ठंड में खाए जाने वाला ग्रामीणों का सबसे पसंदीदा और शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है.
5/5
ठंड के मौसम में अगर आपको बस्तर की खूबसूरत वादियों में जाना है तो यहां आदिवासियों की मशहूर डिश चापड़ा चटनी का सेवन  करें, क्योंकि इस चटनी को खाने को लेकर कई साइंटिफिक  रीजन  भी है. आदिवासियों का मानना है कि वैसे तो चापड़ा चटनी 12 महीनों खाया जाता है, लेकिन ठंड के मौसम में चापड़ा चटनी  ग्रामीण अंचलों में हर घर में बनाई जाने वाली डिश है, यह शरीर के लिए काफी लाभदायक होती है. चापड़ा चटनी के सेवन से शरीर ठंड के मौसम में भी पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त रहता है और शरीर में गर्मी पैदा करता है. यही वजह रहती है कि घने जंगलों में कड़कड़ाती ठंड के बावजूद यहां के आदिवासी ग्रामीण इस ठंड को झेलने की शक्ति रखते हैं और इसकी वजह है चापड़ा चटनी.
ठंड के मौसम में अगर आपको बस्तर की खूबसूरत वादियों में जाना है तो यहां आदिवासियों की मशहूर डिश चापड़ा चटनी का सेवन करें, क्योंकि इस चटनी को खाने को लेकर कई साइंटिफिक रीजन भी है. आदिवासियों का मानना है कि वैसे तो चापड़ा चटनी 12 महीनों खाया जाता है, लेकिन ठंड के मौसम में चापड़ा चटनी ग्रामीण अंचलों में हर घर में बनाई जाने वाली डिश है, यह शरीर के लिए काफी लाभदायक होती है. चापड़ा चटनी के सेवन से शरीर ठंड के मौसम में भी पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त रहता है और शरीर में गर्मी पैदा करता है. यही वजह रहती है कि घने जंगलों में कड़कड़ाती ठंड के बावजूद यहां के आदिवासी ग्रामीण इस ठंड को झेलने की शक्ति रखते हैं और इसकी वजह है चापड़ा चटनी.

छत्तीसगढ़ फोटो गैलरी

छत्तीसगढ़ वेब स्टोरीज

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

PM Modi US Visit: न्यूयॉर्क में पीएम मोदी के कार्यक्रम की तैयारियां पूरी, भारतीय मूल के लोगों को करेंगे संबोधित
न्यूयॉर्क में पीएम मोदी के कार्यक्रम की तैयारियां पूरी, भारतीय मूल के लोगों को करेंगे संबोधित
महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार की पार्टी ने SC से कर दी बड़ी मांग, 'अजित पवार गुट को भी...'
महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार की पार्टी ने SC से कर दी बड़ी मांग, जानिए क्या कुछ कहा
जब ‘ओमकारा’ के सेट पर सैफ अली खान ने खाए थे 20 थप्पड़, जानें एक्टर का दिलचस्प किस्सा
जब ‘ओमकारा’ के सेट पर सैफ अली खान खाए थे 20 थप्पड़, जानें किस्सा
IND vs BAN: बांग्लादेश की फील्डिंग क्यों सेट कर रहे थे ऋषभ पंत? टीम इंडिया की जीत के बाद बताया कारण
बांग्लादेश की फील्डिंग क्यों सेट कर रहे थे ऋषभ? जीत के बाद बताया कारण
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Hindustan Shikhar Samagam: Jagat Singh को ऐसे मिली जंगली की उपाधी | ABP News'प्रकृति को बिना नुकसान किए कैसे स्वस्थ रहें' देवभूमि के 'गुमनाम नायकों' का खास Interview | ABP NewsGuru Randhawa ने किसे बनाया अपना Guru? बताया Punjabi Singers क्यों हैं Cars से Obsessed?Mishri: VOLTAGE Drama! Raghav की पीठ पर लगा चाकू, क्या सही समय पर उसकी जान बचाएगी Mishri? | SBS

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
PM Modi US Visit: न्यूयॉर्क में पीएम मोदी के कार्यक्रम की तैयारियां पूरी, भारतीय मूल के लोगों को करेंगे संबोधित
न्यूयॉर्क में पीएम मोदी के कार्यक्रम की तैयारियां पूरी, भारतीय मूल के लोगों को करेंगे संबोधित
महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार की पार्टी ने SC से कर दी बड़ी मांग, 'अजित पवार गुट को भी...'
महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार की पार्टी ने SC से कर दी बड़ी मांग, जानिए क्या कुछ कहा
जब ‘ओमकारा’ के सेट पर सैफ अली खान ने खाए थे 20 थप्पड़, जानें एक्टर का दिलचस्प किस्सा
जब ‘ओमकारा’ के सेट पर सैफ अली खान खाए थे 20 थप्पड़, जानें किस्सा
IND vs BAN: बांग्लादेश की फील्डिंग क्यों सेट कर रहे थे ऋषभ पंत? टीम इंडिया की जीत के बाद बताया कारण
बांग्लादेश की फील्डिंग क्यों सेट कर रहे थे ऋषभ? जीत के बाद बताया कारण
Coaching Fees: शिकायत करने वालों की वापस मिली 1 करोड़ रुपये कोचिंग फीस, जानिए क्या है मामला 
शिकायत करने वालों की वापस मिली 1 करोड़ रुपये कोचिंग फीस, जानिए क्या है मामला 
'कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड को दिया जमीन हड़पने का सर्टिफिकेट', गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर भी साधा निशाना
'कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड को दिया जमीन हड़पने का सर्टिफिकेट', गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर भी साधा निशाना
छोटी मोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स में कहीं आप भी तो नहीं खा रहे दवाइयां, ज़रा ठहर जाएं, जान लें कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं आप
छोटी मोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स में खा रहे हैं दवाइयां तो जान लें इसके नुकसान
JNVST 2024: जवाहर नवोदय विद्यालय क्लास 6 प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम डेट कल, जल्दी करें आवेदन
जवाहर नवोदय विद्यालय क्लास 6 प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम डेट कल, जल्दी करें आवेदन
Embed widget