Bastar News: बस्तरिया डिशेज के लाखों हैं दीवाने, ठंड के मौसम में रहती है इन लोकल व्यंजनों की डिमांड, यहां- देखें तस्वीरें
Bastar News: छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए और यहां के आदिवासियों के रहन-सहन और खान-पान के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. कुदरत ने बस्तर को नेचुरल खूबसूरती से तराशा है. यहां की खूबसुरती विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं. इसी के साथ यहां कुछ ऐसी डिसेश होती हैं जो बस्तर को अलग पहचान दिलाती हैं. इनमें चापड़ा चटनी, गुलगुला भजिया और मांसाहारी में सूखी मछली और कड़कनाथ मुर्गा, शाकाहारी में कुम्हड़ा भाजी और देसी कोचई ,आमट शामिल हैं.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appदरअसल, ठंड का मौसम आते ही यहां के शहरी लोगों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय भी ठंड के मौसम में अपनी सेहत का खास ख्याल रखते हैं. इस दौरान मांसाहारी खाना ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे उनके शरीर में गर्मी बने रहे और इसके लिए सबसे ज्यादा सुखी मछलियां, कड़कनाथ मुर्गा का सेवन करते हैं. वही शाकाहारी में वनों में मिलने वाले अनेक प्रकार के भाजी, कांदा और बास्ता का भी सेवन करते हैं.
वहीं ठंड के मौसम में पहुंचने वाले पर्यटक भी मांसाहार में कड़कनाथ मुर्गा खाना ही पसंद करते हैं. पूरी तरह से देसी स्टाइल में बनाए जाने वाले इस कड़कनाथ मुर्गा की ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा डिमांड होती है और पर्यटक भी बड़े चाव से इसे खाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कड़कनाथ मुर्गा इम्यूनिटी बढ़ाने में काफी लाभदायक होती है, यही वजह है कि सबसे ज्यादा बस्तर में ही कड़कनाथ मुर्गा पाया जाता है और बस्तर के लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं और ठंड में इसकी डिमांड भी बढ़ जाती है.
इसके अलावा शाकाहारी में भी आदिवासी ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा कुमड़ा भाजी का सेवन करते हैं, क्योंकि यह भी शरीर को काफी फायदा पहुंचाता है. इसके अलावा मांसाहारी में बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण जंगली कड़कनाथ मुर्गा बड़े चाव से खाते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि कड़कनाथ जंगली मुर्गा ठंड में खाए जाने वाला ग्रामीणों का सबसे पसंदीदा और शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है.
ठंड के मौसम में अगर आपको बस्तर की खूबसूरत वादियों में जाना है तो यहां आदिवासियों की मशहूर डिश चापड़ा चटनी का सेवन करें, क्योंकि इस चटनी को खाने को लेकर कई साइंटिफिक रीजन भी है. आदिवासियों का मानना है कि वैसे तो चापड़ा चटनी 12 महीनों खाया जाता है, लेकिन ठंड के मौसम में चापड़ा चटनी ग्रामीण अंचलों में हर घर में बनाई जाने वाली डिश है, यह शरीर के लिए काफी लाभदायक होती है. चापड़ा चटनी के सेवन से शरीर ठंड के मौसम में भी पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त रहता है और शरीर में गर्मी पैदा करता है. यही वजह रहती है कि घने जंगलों में कड़कड़ाती ठंड के बावजूद यहां के आदिवासी ग्रामीण इस ठंड को झेलने की शक्ति रखते हैं और इसकी वजह है चापड़ा चटनी.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -