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बस्तर का 1000 साल पुराना भगवान विष्णु का मंदिर बयां करता है नागवंशी शासकों की गाथा, खासियत जान रह जाएंगे दंग

Vishnu Temple in Bastar: बस्तर अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और पौराणिक कथाओं के लिए मशहूर है. यहां पर कई प्राचीन मंदिर हैं. रियासत काल में बने इन भव्य मंदिरों की विशेष महत्ता है.

Vishnu Temple in Bastar: बस्तर अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और पौराणिक कथाओं के लिए मशहूर है. यहां पर कई प्राचीन मंदिर हैं. रियासत काल में बने इन भव्य मंदिरों की विशेष महत्ता है.

बस्तर स्थित विष्णु मंदिर

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छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ कई पौराणिक परंपरा और रियासत काल में बनाए गए मंदिरों को लेकर काफी प्रसिद्ध है. इसलिए बस्तर को धर्म नगरी भी कहा जाता है. यहां मौजूद प्राचीन मंदिरे इस बात के साक्षी हैं कि बस्तर में रियासत काल से ही महादेव, भगवान विष्णु और दुर्गा देवी के प्रति काफी गहरी आस्था रही है. यही वजह है कि उन्होंने यहां पर भव्य और बेहद खूबसूरत मंदिरों का निर्माण किया है.
छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ कई पौराणिक परंपरा और रियासत काल में बनाए गए मंदिरों को लेकर काफी प्रसिद्ध है. इसलिए बस्तर को धर्म नगरी भी कहा जाता है. यहां मौजूद प्राचीन मंदिरे इस बात के साक्षी हैं कि बस्तर में रियासत काल से ही महादेव, भगवान विष्णु और दुर्गा देवी के प्रति काफी गहरी आस्था रही है. यही वजह है कि उन्होंने यहां पर भव्य और बेहद खूबसूरत मंदिरों का निर्माण किया है.
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इन मंदिरों में से एक है नारायणपाल का विष्णु मंदिर. लाल पत्थर से बने लगभग 70 फीट ऊंचे इस मंदिर का निर्माण करीब एक हजार साल पहले छिंदक नागवंश के राजा जगदीश भूषण ने करवाया था. जगदीश भूषण की पत्नी मुंमुडा देवी विष्णु भक्त थीं और सोमेश्वर देव की प्रेरणा से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया.
इन मंदिरों में से एक है नारायणपाल का विष्णु मंदिर. लाल पत्थर से बने लगभग 70 फीट ऊंचे इस मंदिर का निर्माण करीब एक हजार साल पहले छिंदक नागवंश के राजा जगदीश भूषण ने करवाया था. जगदीश भूषण की पत्नी मुंमुडा देवी विष्णु भक्त थीं और सोमेश्वर देव की प्रेरणा से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया.
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इंद्रावती और नारंगी नदी के संगम के पास नारायणपाल गांव में स्थित यह पुराना विष्णु मंदिर बस्तर और छत्तीसगढ़ के छिंदक नागवंशी राजाओं की वैभव का गौरवपूर्ण स्मारक है. बस्तर के इतिहासकार रूद्रनारायण पाणिग्राही ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में छिंदक नागवंश का शासन था और वे ईश्वर के प्रति बहुत गहरी आस्था रखते थे. छत्तीसगढ़ का बस्तर और दंतेवाड़ा देवी पूजा और नरबलि आदि के लिए प्रचलित था.
इंद्रावती और नारंगी नदी के संगम के पास नारायणपाल गांव में स्थित यह पुराना विष्णु मंदिर बस्तर और छत्तीसगढ़ के छिंदक नागवंशी राजाओं की वैभव का गौरवपूर्ण स्मारक है. बस्तर के इतिहासकार रूद्रनारायण पाणिग्राही ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में छिंदक नागवंश का शासन था और वे ईश्वर के प्रति बहुत गहरी आस्था रखते थे. छत्तीसगढ़ का बस्तर और दंतेवाड़ा देवी पूजा और नरबलि आदि के लिए प्रचलित था.
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जगदलपुर से लगभग 60 किमी दूर नागवंशी शासनकाल मे बनाया गया, नारायणपाल गांव में लगभग 1 हजार साल पुराना मंदिर है. जिसे नारायणपाल विष्णु मंदिर कहा जाता है. इस मंदिर का निर्माण नागवंशी शासकों ने किया था. यह मंदिर नागकालीन उन्नत वास्तुकला का अद्भुत प्रमाण है. इस मंदिर से शिलालेख मिले हैं. जिससे यह स्पष्ट होता है कि हजार साल पहले भी बस्तर के रहवासी देवालय निर्माण में राजाओं को धन देकर सहयोग करते रहे हैं. यह वही जगह है जहां जैनाचार्यों ने कई ग्रंथों की रचना की थी.
जगदलपुर से लगभग 60 किमी दूर नागवंशी शासनकाल मे बनाया गया, नारायणपाल गांव में लगभग 1 हजार साल पुराना मंदिर है. जिसे नारायणपाल विष्णु मंदिर कहा जाता है. इस मंदिर का निर्माण नागवंशी शासकों ने किया था. यह मंदिर नागकालीन उन्नत वास्तुकला का अद्भुत प्रमाण है. इस मंदिर से शिलालेख मिले हैं. जिससे यह स्पष्ट होता है कि हजार साल पहले भी बस्तर के रहवासी देवालय निर्माण में राजाओं को धन देकर सहयोग करते रहे हैं. यह वही जगह है जहां जैनाचार्यों ने कई ग्रंथों की रचना की थी.
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दिर में प्राचीन प्रमाण शिलालेख के रूप में भी उपलब्ध हैं. नारायणपाल मंदिर के अंदर करीब 8 फुट ऊंचा एक शिलालेख है. जिसमें शिवलिंग, सूर्य- चंद्रमा के अलावा गाय और बछड़े की आकृति उकेरी गई है. शिलालेख पर उकेरा गया है कि मंदिर के निर्माण में आसपास के कौन- कौन से गांव के किन लोगों ने राजा को मंदिर के निर्माण में सहयोग किया था.
दिर में प्राचीन प्रमाण शिलालेख के रूप में भी उपलब्ध हैं. नारायणपाल मंदिर के अंदर करीब 8 फुट ऊंचा एक शिलालेख है. जिसमें शिवलिंग, सूर्य- चंद्रमा के अलावा गाय और बछड़े की आकृति उकेरी गई है. शिलालेख पर उकेरा गया है कि मंदिर के निर्माण में आसपास के कौन- कौन से गांव के किन लोगों ने राजा को मंदिर के निर्माण में सहयोग किया था.
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वर्तमान में नारायण पाल मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार द्वारा प्राचीन मंदिर स्मारक एवं पुरातात्विक जगह अवशेष अधिनियम 1958 के तहत संरक्षित है. जानकरी के अनुसार, लाल पत्थर से बनाई गई करीब 70 फीट ऊंचे इस मंदिर को देखने हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. बस्तर के जानकार हेमंत कश्यप ने बताया कि बस्तर जिले में नारायणपाल मंदिर ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है
वर्तमान में नारायण पाल मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार द्वारा प्राचीन मंदिर स्मारक एवं पुरातात्विक जगह अवशेष अधिनियम 1958 के तहत संरक्षित है. जानकरी के अनुसार, लाल पत्थर से बनाई गई करीब 70 फीट ऊंचे इस मंदिर को देखने हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. बस्तर के जानकार हेमंत कश्यप ने बताया कि बस्तर जिले में नारायणपाल मंदिर ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है
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उड़ीसा से आए कारीगरों द्वारा निर्मित इस मंदिर में उड़ीसा शैली स्पष्ट नजर आती है. यह पूरी तरह से भाषण खंडो से निर्मित है. इस मंदिर का निर्माण वेदिका पर किया गया है. मंदिर का गर्भ गृह का शिखर बेहद विशाल और मनोहारी है. नारायणपाल का यह मंदिर खजुराहो समकालीन मंदिर है और छिंदक नागवंशी शासन के समय की जानकारी समेटने का मुख्य स्रोत भी है.
उड़ीसा से आए कारीगरों द्वारा निर्मित इस मंदिर में उड़ीसा शैली स्पष्ट नजर आती है. यह पूरी तरह से भाषण खंडो से निर्मित है. इस मंदिर का निर्माण वेदिका पर किया गया है. मंदिर का गर्भ गृह का शिखर बेहद विशाल और मनोहारी है. नारायणपाल का यह मंदिर खजुराहो समकालीन मंदिर है और छिंदक नागवंशी शासन के समय की जानकारी समेटने का मुख्य स्रोत भी है.
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सन 1111 ईस्वी  में बनी स्थापत्य कला की दृष्टि से नारायणपाल का मंदिर बस्तर की अनमोल धरोहर है. खास बात यह है कि बस्तर घूमने आने वाले पर्यटक चित्रकोट, तीरथगढ़ वॉटरफॉल घूमने के बाद, नारायण पाल मंदिर पहुंचकर भगवान विष्णु के दर्शन जरुर करते हैं. हालांकि इसे पर्यटन स्थल के रूप में और विकसित किए जाने की जरुरत है. जिससे ज्यादा से ज्यादा पर्यटक इस प्रसिद्ध मंदिर को देखने पहुंच सकें.
सन 1111 ईस्वी में बनी स्थापत्य कला की दृष्टि से नारायणपाल का मंदिर बस्तर की अनमोल धरोहर है. खास बात यह है कि बस्तर घूमने आने वाले पर्यटक चित्रकोट, तीरथगढ़ वॉटरफॉल घूमने के बाद, नारायण पाल मंदिर पहुंचकर भगवान विष्णु के दर्शन जरुर करते हैं. हालांकि इसे पर्यटन स्थल के रूप में और विकसित किए जाने की जरुरत है. जिससे ज्यादा से ज्यादा पर्यटक इस प्रसिद्ध मंदिर को देखने पहुंच सकें.

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