Chhattisgarh: आजादी के 75 साल बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं बीजापुर के ये गांव, तस्वीरें कर रहीं बयां
नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर में देश की आजादी के 75 साल बाद भी यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के साथ स्वास्थ सुविधाओं की कमी से भी जूझ रहे हैं. हालात ये हैं कि बस्तर संभाग के ऐसे कई गांव हैं जहां आज तक ना स्वास्थ्य केंद्र खुले है और ना ही इन गांवो तक एंबुलेंस की सुविधा पहुंची है, और ना ही कभी स्वास्थ्य विभाग की टीम शिविर लगाई है. बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के इंद्रावती नदी के उस पार ऐसे दर्जनों गांव है, जहां आज तक कभी स्वास्थ का घोर अभाव है.
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View In Appयहां लगातार ग्रामीणों की तबीयत बिगड़ने की जानकारी के मिलने बाद पहली बार स्वास्थ विभाग की पूरी टीम इंद्रावती नदी को छोटी सी नाव से पारकर, करीब 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलकर इस गांव तक पहुंची और पेड़ के नीचे स्वास्थ शिविर लगाया. यहां के सैकड़ों ग्रामीणों का इलाज किया. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कई चिकित्सीय उपकरणओं के अभाव के बावजूद, पेड़ की टहनियों में ग्लूकोज बोतल बांधकर ग्रामीणों का इलाज किया. ग्रामीणों में 30 लोगों की हालत काफी गंभीर थी, जिन्हें कावड़ के माध्यम से भैरमगढ़ अस्पताल तक लाया गया, जहां उनका इलाज जारी है.
भैरमगढ़ ब्लॉक के नदी के उस पार ताकिलोड़, पल्लेवाया के अलावा ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां के लगभग 300 ग्रामीणों का स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शिविर लगाकर इलाज किया. इस नक्सलगढ़ गांव में 2 दिनों तक स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पेड़ के नीचे अपना डेरा जमाया और 300 से अधिक ग्रामीणों का इलाज किया. इनमें से कई ग्रामीणों की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें पेड़ की टहनी के सहारे ग्लूकोज चढ़ाई गई. 30 ग्रामीणों की हालात नाजुक होने की वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम कावड़ के सहारे उन्हें भैरमगढ़ स्वास्थ्य केंद्र लेकर गई. जहां उनका इलाज जारी है.
भैरमगढ़ ब्लॉक के मेडिकल ऑफिसर ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि, इंद्रावती नदी पार ताकिलोड़ समेत अन्य पंचायतों के सैकड़ों ग्रामीण बीमार हैं. इस वजह से स्वास्थ विभाग की टीम ने यहां ताकिलोड़ गांव में 2 दिनों तक स्वास्थ्य शिविर लगाया. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम का यहां पहुंचना आसान नहीं था. भैरमगढ़ ब्लॉक से होते हुए इंद्रावती नदी को लकड़ी की छोटी सी नाव से पार करने के बाद करीब 20 से 25 किलोमीटर पैदल सफर तय कर इस गांव तक पहुंचे और यहां पेड़ के नीचे शिविर लगाया. इस शिविर में ताकिलोड़, अबूझमाड़, पल्लेवाया, गोंडमेटा समेत कई पंचायतों के करीब 300 से अधिक ग्रामीण इस शिविर में पहुंचे, जहां उनका इलाज किया गया.
डॉक्टरों ने बताया कि इनमें कई ग्रामीण एनीमिया से पीड़ित है, इसके अलावा कईयों को बुखार, बीपी, शुगर की समस्या से ग्रस्त हैं. वहीं कुछ ग्रामीण अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, स्वास्थ विभाग की टीम ने यहां सभी ग्रामीणों का उपचार किया और उन्हें दवाइयां दीं. गांव में कोई सुविधा नहीं होने की वजह से दो पेड़ों के बीच टहनी पर रस्सी बांधकर ग्रामीणों को ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई गई. ग्रामीणों के इलाजा के लिए यहां न तो कोई बेड, गद्दा और न ही बिजली है. ऐसे स्थिति में मरीजों को खुले आसमान के नीचे जमीन पर त्रिपाल बिछाकर ग्रामीणों को उस पर लिटाकर इलाज किया गया. गंभीर रुप से बीमार ग्रामीणों को इलाज के लिए कावड़ की मदद से भैरमगढ़ अस्पताल पहुंचाया गया.
बीजापुर कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने बताया कि स्वास्थ विभाग के कर्मचारी करीब 2 दिनों तक नक्सलगढ़ के गांव में शिविर लगाकर ग्रामीणों का ईलाज किया, यह इलाका बेहद संवेदनशील और और प्रशासन के पहुंच से दूर है. यहां ना तो नेटवर्क है और ना ही सड़क है, जंगलों के बीच से इस गांव तक टीम पहुंची थी. स्वास्थ विभाग की अधिकारियों ने बताया कि इस गांव में समय- समय पर ANM और RHO जाते रहते हैं. लेकिन यह इलाका काफी बड़ा है, इस वजह से हर किसी तक इलाज पहुंचाना संभव नहीं होता, ऐसे में यहां पहली बार शिविर लगा कर एक साथ ग्रामीणों का इलाज किया गया.
इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि बीमार होने पर यहां के ग्रामीण गांव के सिरहा गुनिया के झाड़- फूंक के सहारे रहते हैं. बारिश के दिनों में इंद्रावती नदी उफान पर रहती है, साथ ही अस्पताल तक पहुंचना भी संभव नहीं हो पाता. इसलिए सिरहा गुनिया के पास ही झाड़- फूंक करवाते हैं. बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि इंद्रावती नदी पर पुल का निर्माण कार्य चल रहा है. उम्मीद है कि अगले साल बारिश से पहले पुल का निर्माण लगभग पूरा कर लिया जाएगा, जिससे इलाके के ग्रामीणों को काफी राहत मिलेगी. इंद्रावती नदी पारकर ग्रामीण इलाज के लिए आसानी से पहुंच सकेंगे, फिलहाल इलाज के लिए ऐसे गांव में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शिविर लगाकर ग्रामीणों का ईलाज किया जा रहा है.
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