Navratri 2024: बस्तर में हुआ था महिषासुर का वध, चट्टानों पर आज भी मौजूद है माता के पदचिह्न, देखें तस्वीरें

चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन आज मां कात्यायनी की पूजा हो रही है. बस्तर के सभी देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. लोकसभा प्रत्याशी भी जीत की कामना के लिए देवी मंदिरों का रुख कर रहे हैं. मां दंतेश्वरी को बस्तर की आराध्य देवी कहा जाता है.
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मां दंतेश्वरी को समर्पित मंदिर कोंडागांव जिले से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर बड़े डोंगर की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है. शारदीय और चैत्र नवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु मां दंतेश्वरी के दरबार में मत्था टेकने पहुंचते हैं. विदेश से भी मां दंतेश्वरी मंदिर में श्रद्धालु श्रद्धा के ज्योत जलाने पहुंचते हैं.

मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश प्रधान बताते हैं कि महिषासुर मायावी होने के चलते छल कपट और प्रपंच से आतंक मचा रहा था. महिषासुर के आतंक का अंत करने को मां दुर्गा प्रकट हुईं. मां दुर्गा और महिषासुर के बीच बड़े डोंगर की पहाड़ी पर लगातार कई दिनों तक युद्ध चला.
युद्ध से महिषासुर प्राण बचाने के लिए भागने लगा. मां दुर्गा पहाड़ी के ऊपर स्थित पत्थर पर खड़े होकर महिषासुर को चारों और निहारने लगी. एक विशाल पत्थर पर मां दुर्गा के पैर और शेर के पंजे का निशान आज भी मौजूद है. मां दुर्गा के पदचिन्ह आस्था स्वरूप पूजे जाते हैं.
बड़े डोंगर की पहाड़ियां महिषासुर और मां दुर्गा का युद्ध स्थल है. रियासत काल में मां दंतेश्वरी का मंदिर बनाया गया. बताया जाता है कि पहाड़ी में अंधेरी सुरंग है. हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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