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Chhattisgarh Tourism: खूबसूरत झरनों और हरियाली से सजे हैं छत्तीसगढ़ के ये 5 टूरिस्ट प्लेस, देखें तस्वीरें

छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी छोर सरगुजा से दक्षिण बस्तर तक हरियाली युक्त पहाड़ों की श्रृंखला के साथ-साथ मनोरम घाटियों का दृश्य और आदिवासियों की अनोखी संस्कृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी छोर सरगुजा से दक्षिण बस्तर तक हरियाली युक्त पहाड़ों की श्रृंखला के साथ-साथ मनोरम घाटियों का दृश्य और आदिवासियों की अनोखी संस्कृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

(छत्तीसगढ़ के 5 टूरिस्ट प्लेस)

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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए देशभर में मशहूर है. यहां के खूबसूरत झरने, नदी, पहाड़ और घाटियां अनायास ही लोगों को अपनी ओर खींच लाती हैं. राज्य से उत्तरी छोर सरगुजा से दक्षिण बस्तर तक हरियाली युक्त पहाड़ों की श्रृंखला के साथ-साथ मनोरम घाटियों का दृश्य और आदिवासियों की अनोखी संस्कृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. चूंकि ठंड की शुरुआत हो चुकी है और नया साल भी नजदीक आ रहा है.
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए देशभर में मशहूर है. यहां के खूबसूरत झरने, नदी, पहाड़ और घाटियां अनायास ही लोगों को अपनी ओर खींच लाती हैं. राज्य से उत्तरी छोर सरगुजा से दक्षिण बस्तर तक हरियाली युक्त पहाड़ों की श्रृंखला के साथ-साथ मनोरम घाटियों का दृश्य और आदिवासियों की अनोखी संस्कृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. चूंकि ठंड की शुरुआत हो चुकी है और नया साल भी नजदीक आ रहा है.
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ऐसे में पिकनिक स्पॉट, हिल स्टेशनों में धीरे-धीरे पर्यटकों का सैर-सपाटे के लिए पहुंचना शुरू हो चुका है. सरगुजा के मैनपाट और बस्तर के चित्रकोट की खूबसूरती इन दिनों देखते ही बन रही है. ज्यादातर लोग छत्तीसगढ़ के इन दो जगहों पर ही छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं, लेकिन इस खूबसूरत छत्तीसगढ़ में ऐसे कई खूबसूरत जगहें मौजूद हैं. जहां आप प्राकृतिक नजारों के बीच अपने परिवार, दोस्तों के साथ अच्छा टाइम स्पेंड कर सकते हैं. इस खबर में हम आपको छत्तीसगढ़ की कुछ चुनिंदा पर्यटन स्थलों के बारे में बताएंगे.
ऐसे में पिकनिक स्पॉट, हिल स्टेशनों में धीरे-धीरे पर्यटकों का सैर-सपाटे के लिए पहुंचना शुरू हो चुका है. सरगुजा के मैनपाट और बस्तर के चित्रकोट की खूबसूरती इन दिनों देखते ही बन रही है. ज्यादातर लोग छत्तीसगढ़ के इन दो जगहों पर ही छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं, लेकिन इस खूबसूरत छत्तीसगढ़ में ऐसे कई खूबसूरत जगहें मौजूद हैं. जहां आप प्राकृतिक नजारों के बीच अपने परिवार, दोस्तों के साथ अच्छा टाइम स्पेंड कर सकते हैं. इस खबर में हम आपको छत्तीसगढ़ की कुछ चुनिंदा पर्यटन स्थलों के बारे में बताएंगे.
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सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 50 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर मैनपाट बसा हुआ है. यहां सालभर ठंड रहती है. इसकी वजह से मैनपाट छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर है. मैनपाट में कुछ ऐसे अजूबे हैं जिसकी वजह से देशभर में इसकी अलग पहचान है. साथ ही छत्तीसगढ़ के पर्यटकों के लिए यह पहली पसंद है. मैनपाट में बिसरपानी नाम की एक जगह है जहां गुरुत्वाकर्षण का नियम काम नहीं करता है. यहां खेत से बहती जलधारा नीचे से ऊपर की ओर बहती है. इसके अलावा इस जगह पर बाइक या कार को न्यूटल कर दिया जाए तो वह अपने आप चलने लगती है. शोधकर्ता बताते हैं इस जगह पर गुरुत्वाकर्षण का नियम काम नहीं करता है. यह जगह उल्टा पानी के नाम से मशहूर है.
सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 50 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर मैनपाट बसा हुआ है. यहां सालभर ठंड रहती है. इसकी वजह से मैनपाट छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर है. मैनपाट में कुछ ऐसे अजूबे हैं जिसकी वजह से देशभर में इसकी अलग पहचान है. साथ ही छत्तीसगढ़ के पर्यटकों के लिए यह पहली पसंद है. मैनपाट में बिसरपानी नाम की एक जगह है जहां गुरुत्वाकर्षण का नियम काम नहीं करता है. यहां खेत से बहती जलधारा नीचे से ऊपर की ओर बहती है. इसके अलावा इस जगह पर बाइक या कार को न्यूटल कर दिया जाए तो वह अपने आप चलने लगती है. शोधकर्ता बताते हैं इस जगह पर गुरुत्वाकर्षण का नियम काम नहीं करता है. यह जगह उल्टा पानी के नाम से मशहूर है.
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मैनपाट में ही उल्टा पानी के अलावा जलजली प्वाइंट है. इस जगह की खासियत यह है कि यहां खेत के एक हिस्से पर उछल कूद करने से वहां की जमीन रबर की तरह उछलने लगती है. मैनपाट घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह काफी पसंदीदा जगह है. शोधकर्ता बताते हैं कि जलजली प्वाइंट में जहां जमीन हिलती है उसके नीचे कभी ज्वालामुखी हुआ करता था. हालांकि, अब वहां घूमने फिरने में कोई प्रतिबंध नहीं है. इसके अलावा टाइगर प्वाइंट का खूबसूरत झरना है. जहां लगभग 50 फीट की ऊंचाई से जलधारा बहते हुए घने जंगल की ओर बहती चली जाती है. यहां पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया गया है. इसके साथ ही मैनपाट वनक्षेत्र अंतर्गत आता है. इसलिए हर वक्त सुरक्षा की दृष्टि से विभाग के जवान तैनात रहते हैं.
मैनपाट में ही उल्टा पानी के अलावा जलजली प्वाइंट है. इस जगह की खासियत यह है कि यहां खेत के एक हिस्से पर उछल कूद करने से वहां की जमीन रबर की तरह उछलने लगती है. मैनपाट घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह काफी पसंदीदा जगह है. शोधकर्ता बताते हैं कि जलजली प्वाइंट में जहां जमीन हिलती है उसके नीचे कभी ज्वालामुखी हुआ करता था. हालांकि, अब वहां घूमने फिरने में कोई प्रतिबंध नहीं है. इसके अलावा टाइगर प्वाइंट का खूबसूरत झरना है. जहां लगभग 50 फीट की ऊंचाई से जलधारा बहते हुए घने जंगल की ओर बहती चली जाती है. यहां पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया गया है. इसके साथ ही मैनपाट वनक्षेत्र अंतर्गत आता है. इसलिए हर वक्त सुरक्षा की दृष्टि से विभाग के जवान तैनात रहते हैं.
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बस्तर के खूबसूरत पहाड़ियों के बीच चित्रकोट जलप्रपात है. यह जिला मुख्यालय जगदलपुर से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इस झरने की प्रसिद्धि देश-विदेश तक है. इस वॉटरफाल को देखने के लिए हर साल देश-विदेश से हजारों लोग पहुंचते हैं. पर्यटन विभाग के नक्शे में यह छत्तीसगढ़ के टॉप 10 प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस में शामिल है. इस वॉटरफाल की खासियत यह है कि, यह 90 फीट की ऊंचाई पर और 300 मीटर चौड़ा है. इसे भारत का सबसे ज्यादा चौड़ाई वाला वॉटरफाल माना जाता है. चित्रकोट जलप्रपात की बनावट घोड़े की नाल के समान होने के कारण इस वाटरफाल की तुलना अमेरिका के नाइग्रा फॉल के साथ की जाती है.
बस्तर के खूबसूरत पहाड़ियों के बीच चित्रकोट जलप्रपात है. यह जिला मुख्यालय जगदलपुर से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इस झरने की प्रसिद्धि देश-विदेश तक है. इस वॉटरफाल को देखने के लिए हर साल देश-विदेश से हजारों लोग पहुंचते हैं. पर्यटन विभाग के नक्शे में यह छत्तीसगढ़ के टॉप 10 प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस में शामिल है. इस वॉटरफाल की खासियत यह है कि, यह 90 फीट की ऊंचाई पर और 300 मीटर चौड़ा है. इसे भारत का सबसे ज्यादा चौड़ाई वाला वॉटरफाल माना जाता है. चित्रकोट जलप्रपात की बनावट घोड़े की नाल के समान होने के कारण इस वाटरफाल की तुलना अमेरिका के नाइग्रा फॉल के साथ की जाती है.
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बस्तर की पहचान बन चुका चित्राकोट वॉटरफाल इतना खूबसूरत दिखता है कि उसे देखते रहें, लेकिन मन नहीं भरता है. यह वॉटरफाल मोस्ट एडवेंचर पिकनिक स्पॉट मे से एक है. इसलिए यहां हमेशा भीड़ देखने को मिलती है. इसके अलावा आप यहां मोटरबाइक, पैराग्लाइडिंग, नेचर ट्रेल ट्रैकिंग और कैपिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटीज का लुफ्त उठा सकते है. इसके साथ वॉटरफाल के पास ही बेहतरीन वुडेन रिजॉर्ट है जिसमें रहकर यहां की खूबसूरती का आनंद लिया जा सकता है. यहां घूमने का सही समय जुलाई से लेकर फरवरी तक होता है. तब यह वाटरफॉल काफी मनमोहक हो जाता है.
बस्तर की पहचान बन चुका चित्राकोट वॉटरफाल इतना खूबसूरत दिखता है कि उसे देखते रहें, लेकिन मन नहीं भरता है. यह वॉटरफाल मोस्ट एडवेंचर पिकनिक स्पॉट मे से एक है. इसलिए यहां हमेशा भीड़ देखने को मिलती है. इसके अलावा आप यहां मोटरबाइक, पैराग्लाइडिंग, नेचर ट्रेल ट्रैकिंग और कैपिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटीज का लुफ्त उठा सकते है. इसके साथ वॉटरफाल के पास ही बेहतरीन वुडेन रिजॉर्ट है जिसमें रहकर यहां की खूबसूरती का आनंद लिया जा सकता है. यहां घूमने का सही समय जुलाई से लेकर फरवरी तक होता है. तब यह वाटरफॉल काफी मनमोहक हो जाता है.
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भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है. क्योंकि इसकी छवि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर और उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के समान है. भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 125 किलोमीटर और कबीरधाम से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर चौरागांव में हरी भरी घाटियों के बीच स्थित है. बताया जाता है कि भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध दार्शनिक स्थलों में से एक है और लगभग हजार साल पुराना है. इस मंदिर की बनावट ऐसी है कि इसे देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी पर्यटक हर साल यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर का निर्माण भड़ीनागवंशी राजाओं के काल में 7वीं से 12वीं शताब्दी के बीच करवाया गया था.
भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है. क्योंकि इसकी छवि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर और उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के समान है. भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 125 किलोमीटर और कबीरधाम से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर चौरागांव में हरी भरी घाटियों के बीच स्थित है. बताया जाता है कि भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध दार्शनिक स्थलों में से एक है और लगभग हजार साल पुराना है. इस मंदिर की बनावट ऐसी है कि इसे देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी पर्यटक हर साल यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर का निर्माण भड़ीनागवंशी राजाओं के काल में 7वीं से 12वीं शताब्दी के बीच करवाया गया था.
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यहां मान्यता है कि गोंड राजाओं के देवता भोरमदेव थे जो भगवान शिव का ही एक नाम है. इस कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां नागर शैली में निर्मित बाहरी दीवारों में कामुक प्रतिमाएं, गज, अश्व और नर्तक, नृतिकाएं, देवी-देवताओं की खूबसूरत नक्काशी की गई है. इस मंदिर को इसकी खूबसूरती की वजह से भी पहचाना जाता है. इस जगह पर राज्य सरकार द्वारा मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल के पहले सप्ताह तक भोरमदेव महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटती है. सैर सपाटा की दृष्टि से इस जगह को काफी महत्व दिया जाता है. इसके अलावा यहां पुरातात्विक संग्रहालय भी है जहां 1000 साल पुरानी मूर्तियों को रखा गया है.
यहां मान्यता है कि गोंड राजाओं के देवता भोरमदेव थे जो भगवान शिव का ही एक नाम है. इस कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां नागर शैली में निर्मित बाहरी दीवारों में कामुक प्रतिमाएं, गज, अश्व और नर्तक, नृतिकाएं, देवी-देवताओं की खूबसूरत नक्काशी की गई है. इस मंदिर को इसकी खूबसूरती की वजह से भी पहचाना जाता है. इस जगह पर राज्य सरकार द्वारा मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल के पहले सप्ताह तक भोरमदेव महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटती है. सैर सपाटा की दृष्टि से इस जगह को काफी महत्व दिया जाता है. इसके अलावा यहां पुरातात्विक संग्रहालय भी है जहां 1000 साल पुरानी मूर्तियों को रखा गया है.
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छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार से 40 किलोमीटर और बिलासपुर से 80 किलोमीटर दूरी पर गिरौदपुरी धाम स्थित है. यह छत्तीसगढ़ का सबसे पूजनीय तीर्थ स्थल है. गिरौदपुरी जैतखाम सतनामी समुदाय के लोगों के लिए सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है. यहां पूरे साल भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन फागुन पंचमी में हर साल तीन दिवसीय मेले के दौरान लाखों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. जैतखाम शांति एकता और भाईचारे का प्रतीक है. यहां जो जैतखाम बनाया गया है. यह सामान्य तौर पर जो जैतखाम बनाए जाते हैं उससे बिल्कुल अलग और बहुत भव्य है. कहा जाता है कि इसे बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है.
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार से 40 किलोमीटर और बिलासपुर से 80 किलोमीटर दूरी पर गिरौदपुरी धाम स्थित है. यह छत्तीसगढ़ का सबसे पूजनीय तीर्थ स्थल है. गिरौदपुरी जैतखाम सतनामी समुदाय के लोगों के लिए सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है. यहां पूरे साल भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन फागुन पंचमी में हर साल तीन दिवसीय मेले के दौरान लाखों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. जैतखाम शांति एकता और भाईचारे का प्रतीक है. यहां जो जैतखाम बनाया गया है. यह सामान्य तौर पर जो जैतखाम बनाए जाते हैं उससे बिल्कुल अलग और बहुत भव्य है. कहा जाता है कि इसे बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है.
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छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के महानदी पर गंगरेल डैम बना हुआ है. इसे छत्तीसगढ़ के टॉप टूरिस्ट प्लेस के रूप में देखा जाता है. गंगरेल डैम को रविशंकर सागर बांध के नाम से भी जाना जाता है. इस डैम का निर्माण 1978 में किया गया था. महानदी पर बना यह डैम अपने अंदर अथाह जल राशि समाने के साथ छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा डैम है. इसे देखने के लिए विदेश से भी पर्यटक दस्तक देते हैं. यह डैम इतना विशाल है कि इसे देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे समुद्र अलग-अलग दीपों से घिरा हुआ है. डैम के पास जाने के बाद जहां तक नजर दौड़ाएं वहां तक पानी ही पानी नजर आता है. ऐसा लगता है असली समुद्र है.
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के महानदी पर गंगरेल डैम बना हुआ है. इसे छत्तीसगढ़ के टॉप टूरिस्ट प्लेस के रूप में देखा जाता है. गंगरेल डैम को रविशंकर सागर बांध के नाम से भी जाना जाता है. इस डैम का निर्माण 1978 में किया गया था. महानदी पर बना यह डैम अपने अंदर अथाह जल राशि समाने के साथ छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा डैम है. इसे देखने के लिए विदेश से भी पर्यटक दस्तक देते हैं. यह डैम इतना विशाल है कि इसे देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे समुद्र अलग-अलग दीपों से घिरा हुआ है. डैम के पास जाने के बाद जहां तक नजर दौड़ाएं वहां तक पानी ही पानी नजर आता है. ऐसा लगता है असली समुद्र है.

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