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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
In Pics: छत्तीसगढ़ के इस प्राचीन मंदिर में छुपे हैं कई राज, यहां के किस्से लोक कथाओं में भी हैं प्रचलित
छत्तीसगढ़ के इतिहास के पन्नों में कई ऐसे प्राचीन मंदिर और स्थल है, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.छत्तीसगढ़ खनिज संपदा से भरा हुआ है. इसका ज्यादातर हिस्सा जंगल से घिरा हुआ है. वहीं राज्य में आज भी ऐसे कई राज दफ्न है, जिसका पता अभी तक नही चल पाया है.आज हम आपको ऐसे ही एक प्राचीन स्थल और मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे शायद बहुत कम लोग ही जानते हैं.
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View In Appयहां मां बहादुर कलारिन का एक प्राचीन मंदिर है. लोग उन्हें देवी की तरह मानते है. वो पूरे राज्य के साथ कलार समाज के पौराणिक इतिहास का हिस्सा है. साथ ही छत्तीसगढ़ के इतिहास में भी उनका नाम बड़े -बड़े अक्षरों में अंकित है.बहादुर कलारिन के प्रचलित किस्से लोक कथाओ में सुनने मिलते है. उनका स्मारक और मंदिर राज्य के बालोद जिले से 26 किलोमीटर दूर चिरचारी और सोरर गांव की सरहद पर है.
मां बहादुर कलारिन के नाम से राज्य अलंकरण की घोषणा भी प्रदेश सरकार द्वारा की गई है. लेकिन जिस जगह माची है उसका संरक्षण कहीं ना कहीं उपेक्षित है.यहां पर जो मेला लगता है वह भी कुछ वर्षों से बंद है.आसपास के लोगों ने बताया कि मंदिर के देखरेख के लिए एक कर्मचारी की नियुक्ति की गई है. जो कभी-कभी यहां आता है और देखरेख करता है. कुछ असामाजिक तत्वों ने इसके पत्थरों को गिरा दिया था. लेकिन जब हम इसके पास जाते हैं तो यह प्रतीत होता है कि यह अपने भीतर सैकड़ों राज समेटे हुए हैं.आसपास के लोगों का कहना है कि जिस जगह माची बनी हुई है. उसके नीचे करोड़ों रुपयों का सोना दबा हुआ है.
इसकी जब खुदाई होगी तभी मूल बात का पता लग पाएगा. साथ ही आसपास के लोगों का कहना है कि इसको लेकर सरकार को और शोध करना चाहिए. पुरातत्वविदियों को इस पर शोध करना चाहिए. तब मां बहादुर कलारिन की वास्तविकता और कई सारे राज सामने आएंगे.मां बहादुर कलारिन को कलार समाज ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में मां का दर्जा दिया गया है. मां बहादुर कलारिन को लेकर कई सारी बातें प्रचलित है . ग्रामीण चूरामन लाल कुंभज ने कहा की मां के बारे में बहुत सी बातें आती हैं. पर हम ये सोचते हैं की इसमें आज शोध करने की जरूरत है.क्योंकि वो नारी उत्थान के विषय में काम करने वाली एक महिला थी. जिन्होंने नारियों के सम्मान में अपने पुत्र को भी नहीं छोड़ा और उसे मौत के घाट उतार दिया था. उनका बेटा भी मातृ प्रेम का एक मिसाल था. जिसने अपनी मां के सम्मान के लिए कदम उठाए.
ग्रामीण चुरामन लाल कुंभज ने बताया कि स्थानीय लोगों ने इसकी सुरक्षा संरक्षण का जिम्मा उठाया है. देवी स्थलों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. अब तो मंदिर का भी निर्माण किया गया है.उन्होंने कहा कि लगातार हम इस क्षेत्र को संरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.क्षेत्र महापाषाण काल के स्मारकों से घिरा हुआ है. यही नहीं कई जगहों पर तो पत्थर भी चोरी हो रहे हैं.
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