Bastar News: बस्तर के पर्यटन स्थलों में छाने लगी विरानी, सूखने लगा है यहां के प्रसिद्ध वॉटरफॉल्स का पानी
जनवरी के महीने से ही छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौजूद वाटरफॉल्स सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. वहीं इनको देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या भी घटती जा रही है. दरअसल हर साल मार्च से अप्रैल महीने तक इन जलप्रपातों में जलभराव रहता है. जिस वजह से मार्च और अप्रैल महीने तक यहां पर्यटक इनकी खूबसूरती देखने पहुंचते हैं. लेकिन जिस तरह से लगातार बस्तर में जलस्तर घट रहा है, उसका प्रभाव यहां के पर्यटन पर भी पड़ रहा है.
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View In Appवाटरफॉल्स में फिलहाल तीरथगढ़, चित्रकोट और कांगेर जलधारा के साथ तामड़ घूमर में जल का स्तर पहले से कम हुआ है. लेकिन यहां जलस्तर फिलहाल अभी बना हुआ है. इसके अलावा बस्तर जिले में मौजूद 10 से अधिक वाटरफॉल्स का जलस्तर घटता चला गया है. कई वाटरफॉल तो पानी के अभाव में सूखे पड़े हैं. बस्तर को यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है. यहां की पौराणिक देव स्थलों के साथ खासकर नदी पहाड़ और यहां के वाटरफॉल्स पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं. साल 2023 में जिले में मौजूद कुछ वॉटरफॉल्स में घटते जलस्तर से पर्यटन विभाग की चिंता भी बढ़ गई है. दरअसल जल के स्त्रोत को बनाए रखने के लिए प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. जिसके चलते नदी नाले तेजी से सूख रहे हैं.
बस्तर जिले में मौजूद चित्रधारा वॉटरफॉल, मंडवा, शिवगंगा और मेंद्रिघूमर वाटरफॉल में तेजी से जलस्तर घटा है. यहां पर्यटकों की रौनक भी अब कम होते जा रही है. हालांकि पिछले कुछ सालों से यह आलम बना हुआ है. इससे पहले बस्तर जिले के वॉटरफॉल्स में मार्च से अप्रैल महीने तक जल का स्तर बना रहता था. गर्मी के दिनों में भी पर्यटक इन वाटरफॉल्स को देखने और यहां घूमने आते थे. वहीं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के द्वारा नदी नालों में जल स्तर की घटने की वजह चेक डैम की कमी बता रहे हैं. कई जगह अभी भी चेक डेम नहीं बन पाए हैं. ऐसे में पानी का ठहराव नहीं होता और तेजी से जलस्तर घटते जाता है.
इसके अलावा कुछ वाटरफॉल्स में आसपास के गांव वाले मछली पकड़ने के चलते वाटरफॉल में मौजूद जल को भी पूरी तरह से मोटर पंप से सुखा देते हैं. जिस वजह से इनमें जलस्तर तेजी से घट जाता है. हालांकि विभाग पूरी तरह से कोशिश कर रहा है कि गांव गांव में डेम बनाया जाए और खासकर वाटरफॉल के आसपास पानी के ठहराव की व्यवस्था की जाए. लेकिन अब तक यह संभव नहीं हो पाया है. जिसके चलते जलप्रपात सूख रहे हैं.
वहीं देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात में भी दिसंबर महीने से तेजी से जल स्तर घटता हुआ देखा जा रहा है. पहले ही उड़ीसा सरकार बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी में कम पानी छोड़ रही है. यही नहीं गर्मी के दिनों में तो इंद्रावती नदी सूखने के कगार पर पहुंच जाती है. वहीं दिसंबर से चित्रकोट वाटरफॉल में घटते जलस्तर से जिला प्रशासन और राज्य सरकार की भी चिंता बनी हुई है. हालांकि जल्द ही इंद्रावती नदी में डेम बनाने की बात कही जा रही है.
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