Chhattisgarh News: बस्तर के मासूम बच्चे जर्जर स्कूल भवन और झोपड़ियों में गढ़ रहे अपना भविष्य, तस्वीरों में देखें हालत
नये शिक्षा सत्र के साथ ही बस्तर संभाग के सरकारी स्कूलों में फिर से स्कूल की घंटी बजने लगी है और गांव गांव के बच्चे स्कूल जा रहे हैं, लेकिन कुछ बच्चों के परिजनों में इस बात का हमेशा डर बना रहता है कि उनके बच्चे सालों से मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुके स्कूल भवन में किसी हादसे का शिकार ना हो जाये.
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View In Appशहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे कई स्कूल जर्जर हालत में है जहां बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर भविष्य गढ़ रहे हैं, इन स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि हर साल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को लिखित में आवेदन देने के बाद भी इन स्कूलों का जीर्णोद्धार नहीं किया जा रहा है.
बस्तर जिले में ही 500 से अधिक ऐसे स्कूल है जो जर्जर हालत में है.. वही पूरे बस्तर संभाग में ऐसे स्कूलों की संख्या 2 हजार से भी ज्यादा है, इसके अलावा बीजापुर और सुकमा के इलाके में आज भी बच्चे ताड़ के पत्तों से बनी झोपड़ीनुमा स्कूल में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.
इन स्कूल भवनों की स्थिति में सुधार नहीं की गई है, जिस वजह से खासकर बारिश के मौसम में स्कूल भवनों के ढहने का डर बना रहता है, यही नहीं कई स्कूल आज भी टीन शेड से बने छत के नीचे संचालित हो रहे हैं. बच्चों के परिजनों का कहना है कि नक्सली दहशत की वजह से पहले उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते थे, लेकिन अब उनके गांव में दोबारा स्कूल खोला गया है लेकिन झोपड़ीनुमा स्कूल में कक्षा लगने से बारिश के मौसम में कभी भी उनके मन में हादसा होने का डर बना रहता है.
बस्तर जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान का कहना है कि साला जतन योजना के तहत जिले में 1075 स्कूलों के जर्जर हालत को सुधारने और नए स्कूल भवन बनाने के लिए 70 करोड़ रुपये शासन की ओर से प्राप्त हुआ है और इस नए सत्र के साथ स्कूल भवनों के मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया गया है.
वहीं इस मामले में बीजेपी के प्रवक्ता संजय पांडे का कहना है कि शाला जतन योजना के नाम पर शासन के द्वारा बजट पास तो किया जाता है लेकिन यह राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है, कई सालों से अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रो के सरकारी स्कूलों की हालत जस की तस बनी हुई है और मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति कर दी जाती है.
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