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Durg News: जानिए छत्तीसगढ़ के ऐसे गांव की कहानी, जहां खेलों की बदौलत 40 से ज्यादा युवाओं को मिली सरकारी नौकरियां

पुरई गांव, छतीसगढ़

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Durg News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर पुरई गांव जो खेल गांव के रूप में मशहूर है. यहां से निकले खिलाड़ियों ने जिले के बाद प्रदेश और देश में भी गांव का नाम रोशन किया है. गांव का एक खिलाड़ी तो अंतर्राष्ट्रीय खो-खो मैच में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुका है. खेलों की बदौलत यहां के करीब 40 अधिक युवा पुलिस, सेना और व्यायाम शिक्षक की नौकरियों में हैं.
Durg News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर पुरई गांव जो खेल गांव के रूप में मशहूर है. यहां से निकले खिलाड़ियों ने जिले के बाद प्रदेश और देश में भी गांव का नाम रोशन किया है. गांव का एक खिलाड़ी तो अंतर्राष्ट्रीय खो-खो मैच में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुका है. खेलों की बदौलत यहां के करीब 40 अधिक युवा पुलिस, सेना और व्यायाम शिक्षक की नौकरियों में हैं.
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खेल गांव पुरई शुरू से खेल गतिविधियों में अग्रणी रहा है. सन् 1973 में नव शक्ति स्पोर्ट्स क्लब के माध्यम से कबड्डी और क्रिकेट का नियमित अभ्यास चलता था. इन खेल विधा से जुड़े लगभग 15 से 20 लोग बीएसपी, पुलिस और अन्य विभाग में नौकरी में लगे. 1999 मे गांव के तीन युवक फौज में गए. फिर गांव में एक अच्छा महौल बना. सन् 2000-2001 मे नवीन खो खो क्लब का गठन हुआ. जिसके अध्यक्ष अशोक कुमार रिगरी और मुख्य प्रशिक्षक व सचिव मोतीलाल साहू रहे. इस क्लब में मुख्य रूप से खो खो और एथलेटिक्स का प्रशिक्षण दिया जाता रहा.
खेल गांव पुरई शुरू से खेल गतिविधियों में अग्रणी रहा है. सन् 1973 में नव शक्ति स्पोर्ट्स क्लब के माध्यम से कबड्डी और क्रिकेट का नियमित अभ्यास चलता था. इन खेल विधा से जुड़े लगभग 15 से 20 लोग बीएसपी, पुलिस और अन्य विभाग में नौकरी में लगे. 1999 मे गांव के तीन युवक फौज में गए. फिर गांव में एक अच्छा महौल बना. सन् 2000-2001 मे नवीन खो खो क्लब का गठन हुआ. जिसके अध्यक्ष अशोक कुमार रिगरी और मुख्य प्रशिक्षक व सचिव मोतीलाल साहू रहे. इस क्लब में मुख्य रूप से खो खो और एथलेटिक्स का प्रशिक्षण दिया जाता रहा.
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फिर सन् 2020 मे फ्लोटिंग विग्ंस क्लब का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष उमा रिगरी (सरपंच, पुरई) मुख्य प्रशिक्षक व सचिव ओमकुमार ओझा है. इस क्लब में तैराकी, एथलेटिक्स, फुटबॉल व कबड्डी का प्रशिक्षण दिया जाता हैं. 2021 में सत्या खो - खो क्लब भी मिनी स्टेडियम मे कार्यशील हैं. नवीन खो खो क्लब से जुड़े लगभग 18 से 20 युवक-युवतियां पुलिस,फौज एवं पीटीआई में नौकरी कर रहे हैं. खेल के साथ - साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी यहां अच्छा कार्य होता है. संतोष कुमार सिंह व अशोक कुमार रिगरी लगभग 25 वर्षों से  यहां शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. जिसके कारण यहां के 35 युवक-युवतियां इंजीनियर, रेलवेकर्मी, शिक्षक, पुलिस, फौज एवं मंत्रालय में पीआरओ के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.
फिर सन् 2020 मे फ्लोटिंग विग्ंस क्लब का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष उमा रिगरी (सरपंच, पुरई) मुख्य प्रशिक्षक व सचिव ओमकुमार ओझा है. इस क्लब में तैराकी, एथलेटिक्स, फुटबॉल व कबड्डी का प्रशिक्षण दिया जाता हैं. 2021 में सत्या खो - खो क्लब भी मिनी स्टेडियम मे कार्यशील हैं. नवीन खो खो क्लब से जुड़े लगभग 18 से 20 युवक-युवतियां पुलिस,फौज एवं पीटीआई में नौकरी कर रहे हैं. खेल के साथ - साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी यहां अच्छा कार्य होता है. संतोष कुमार सिंह व अशोक कुमार रिगरी लगभग 25 वर्षों से यहां शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. जिसके कारण यहां के 35 युवक-युवतियां इंजीनियर, रेलवेकर्मी, शिक्षक, पुलिस, फौज एवं मंत्रालय में पीआरओ के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.
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इस गांव में खो खो ,एथलेटिक्स, फुटबॉल व कबड्डी का नियमित अभ्यास सुबह - शाम स्कूल के खेल मैदान व मिनी स्टेडियम में चलता है. 2007 से पंचायत द्वारा खेल मैदान में लाइट की व्यवस्था की गई थी. सन् 2020 में स्कूल खेल मैदान व मिनी स्टेडियम मैदान को स्पंजिंग बनाया गया. 2021 में ताम्रध्वज साहू गृहमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के प्रयास से खेल विभाग द्वारा खो खो क्लब को 3.40 लाख की मदद मिली.
इस गांव में खो खो ,एथलेटिक्स, फुटबॉल व कबड्डी का नियमित अभ्यास सुबह - शाम स्कूल के खेल मैदान व मिनी स्टेडियम में चलता है. 2007 से पंचायत द्वारा खेल मैदान में लाइट की व्यवस्था की गई थी. सन् 2020 में स्कूल खेल मैदान व मिनी स्टेडियम मैदान को स्पंजिंग बनाया गया. 2021 में ताम्रध्वज साहू गृहमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के प्रयास से खेल विभाग द्वारा खो खो क्लब को 3.40 लाख की मदद मिली.
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खेल गांव से दो खिलाड़ी खो - खो अन्य देशों के साथ हुए मैच में भारत के तरफ से खेले हैं. चूंकि खो - खो अंतरराष्ट्रीय खेलों की श्रेणी में नहीं आता है. इसलिए  हम केवल बताने के लिए कह सकते हैं कि दो खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं. तीन खिलाड़ियों का चयन अल्टीमेटम खो - खो के लिए हुआ है. स्कूल गेम, ओपन व अन्य मंचों पर इस गांव के लगभग 500 से 600 खिलाड़ी नेशनल और लगभग 1000 से 1500 खिलाड़ी राज्यस्तरीय खेलों में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
खेल गांव से दो खिलाड़ी खो - खो अन्य देशों के साथ हुए मैच में भारत के तरफ से खेले हैं. चूंकि खो - खो अंतरराष्ट्रीय खेलों की श्रेणी में नहीं आता है. इसलिए हम केवल बताने के लिए कह सकते हैं कि दो खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं. तीन खिलाड़ियों का चयन अल्टीमेटम खो - खो के लिए हुआ है. स्कूल गेम, ओपन व अन्य मंचों पर इस गांव के लगभग 500 से 600 खिलाड़ी नेशनल और लगभग 1000 से 1500 खिलाड़ी राज्यस्तरीय खेलों में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
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इस गांव में शुरुआती दौर में कुछ सीनियर खिलाड़ी ही खेलों का प्रशिक्षण दिया करते थे. फिर कुछ लोग बीपीएड-एमपीएड व एनआईएस किए. ये लोग अभी खिलाड़ी बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. तैराकी के क्षेत्र में 12 बच्चे अहमदाबाद में रहकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे. लेकिन कोरोना के बाद से वो बच्चे यही एक तालाब में प्रशिक्षण कर रहे है. इन बच्चों को तैराकी के लिए बेहतर तालाब नहीं होने की वजह से अपने प्रक्षिण बहुत दिक्कत होती है.
इस गांव में शुरुआती दौर में कुछ सीनियर खिलाड़ी ही खेलों का प्रशिक्षण दिया करते थे. फिर कुछ लोग बीपीएड-एमपीएड व एनआईएस किए. ये लोग अभी खिलाड़ी बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. तैराकी के क्षेत्र में 12 बच्चे अहमदाबाद में रहकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे. लेकिन कोरोना के बाद से वो बच्चे यही एक तालाब में प्रशिक्षण कर रहे है. इन बच्चों को तैराकी के लिए बेहतर तालाब नहीं होने की वजह से अपने प्रक्षिण बहुत दिक्कत होती है.
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पुरई गांव (खेल गांव) की सरपंच उमा रिगरी ने बताया कि हमारे गांव से लगभग 40 से अधिक बच्चे खेल के माध्यम से सेना, पुलिस और सरकारी विभाग में नौकरी कर रहे हैं. खेल के लिए खुला मैदान तो है. लेकिन इन्हें प्रशिक्षण देने के लिए कोच की कमी है. बच्चे सुबह - शाम इन खुले मैदानों में प्रैक्टिस करते हैं. लेकिन बेहतर ट्रेनिंग नहीं होने की वजह से इन्हें वह मुकाम नहीं मिल पा रहा है. सरकार अगर इन बच्चों की ओर ध्यान दे तो अभी भी इस गांव से कई ऐसे प्रतिभाशाली बच्चे खेल की बदौलत इस गांव का इस राज्य का और इस देश का नाम पूरे विश्व में रोशन कर सकते हैं.
पुरई गांव (खेल गांव) की सरपंच उमा रिगरी ने बताया कि हमारे गांव से लगभग 40 से अधिक बच्चे खेल के माध्यम से सेना, पुलिस और सरकारी विभाग में नौकरी कर रहे हैं. खेल के लिए खुला मैदान तो है. लेकिन इन्हें प्रशिक्षण देने के लिए कोच की कमी है. बच्चे सुबह - शाम इन खुले मैदानों में प्रैक्टिस करते हैं. लेकिन बेहतर ट्रेनिंग नहीं होने की वजह से इन्हें वह मुकाम नहीं मिल पा रहा है. सरकार अगर इन बच्चों की ओर ध्यान दे तो अभी भी इस गांव से कई ऐसे प्रतिभाशाली बच्चे खेल की बदौलत इस गांव का इस राज्य का और इस देश का नाम पूरे विश्व में रोशन कर सकते हैं.

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