Chhattisgarh: बस्तर में अनोखी आदिवासी परंपरा, इस तरह युवक-युवतियां चुनते हैं लाइफ पार्टनर, फिर होती है शादी
छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर अपनी अनोखी परंपरा, रीति-रिवाज, रहन-सहन ,संस्कृति और कलाकृति के लिए पूरे देश में जाना जाता है. 'घोटूल' बस्तर के मुरिया, माड़िया और गोंड जनजाति द्वारा घोटूल परंपरा को सदियों से निभाया जा रहा है.
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View In Appबस्तर की ऐसी परंपरा है जिसमें आदिवासी युवक युवतियों को अपने जीवन साथी को चुनने की पूरी आजादी होती है.
दोनों की सहमति के बाद युवक-युवतियों का परिवार धूमधाम से उनकी शादी कराता है यह परंपरा पूरे भारत देश में केवल छत्तीसगढ़ के बस्तर, दक्षिण भारत के कुछ खास जगह में ही देखने को मिलती है.
घोटूल परंपरा के तहत गांव के बच्चे या जवान एक साथ रहते हैं, घोटूल एक प्रकार की बैचलर्स डोरमीटरी है, यहां सभी आदिवासी लड़के लड़कियां रात में बसेरा करते हैं ,घोटूल में मुरिया , माड़िया और गोंड जाति से जुड़े आस्थाऐं, नाच संगीत, कला और कहानियां भी बताई जाती है.
यह प्रथा लिंगो पेन अर्थात लिंगो देव ने शुरू की थी लिंगो देव को गोंड जनजाति का देवता भी माना जाता है, गोंड समुदाय को पहांदी कुपार लिंगो ने कोया पुनेम के माध्यम से एक सूत्र में बांधने का काम किया.
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