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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो', दुर्ग के अनिल शर्मा ने बंजर जमीन को फलों की खेती से किया गुलजार
हरियाणा के रहने वाले अनिल शर्मा सन 2002 में छत्तीसगढ़ के दुर्ग में आए थे और उन्होंने कृषि के लिए धमधा क्षेत्र के धौराभाठा गांव में 300 एकड़ जमीन खरीदी थी उसका नाम दिया जेएस फॉर्म लेकिन जब अनिल शर्मा ने वहां कृषि करने की शुरुआत की तो तब उन्हें पता चला कि यह जमीन तो पूरी तरह से बंजर है इसके बाद वे काफी चिंतित हो गए लेकिन अनिल शर्मा ने हार नहीं मानी.
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View In Appअनिल शर्मा ने उस जमीन में 20 से 25 बोर भी करवाएं फिर भी वहां से पानी नहीं निकला फिर उन्होंने गांव से पानी लाने के लिए लगभग तीन किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई और गांव से पानी से खेती करना शुरू किया, लेकिन इतने बड़े क्षेत्र में खेती करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था. फिर उन्होंने फिर तय किया कि वह प्राकृतिक खेती करेंगे.
अनिल शर्मा ने सबसे पहले अपने जमीन पर सात एकड़ एरिया में 40 फीट गहरा एक तालाब खुदवाया और बारिश के पानी को एकत्रित करने लग गए. उन्होंने तलाब को इस एंगल में बनवाया था कि जमीन पर गिरने वाले वर्षा का पानी सब तलाब में एकत्रित हो जाए धीरे धीरे वह तालाब पूरी तरह से भर गया जिससे पूरे इलाके का जलस्तर बढ़ने लगा. फिर से अनिल शर्मा ने जब खेतों में बोर खुदवाई तो सभी बोरों में पानी आने लगा जिससे उनको पानी की सबसे बड़ी समस्या से निजात मिल गई.x`
अनिल शर्मा ने अपने 300 एकड़ जमीन पर कई फलों के खेती करने लगे और कुछ ही सालों में उनका व्यापार इतना बढ़ गया कि वह अन्य राज्यों में अपने फलों का निर्यात करने लग गए. आज उनके फॉर्म उसमें ड्रैगन फूड, सीताफल, अमरूद सेब, बेर जैसे कई फलों का उत्पादन कर रहे हैं.
अनिल शर्मा के जे एस फार्म द्वारा सिंचाई के उद्देश्य से ड्रिप प्रणाली या विधि को अपनाया गया है. यह विधि भी उन्नत है. स्वचालित और परिष्कृत प्रणाली के साथ-साथ कम पानी की खपत और पानी की बचत होती है. अनिल शर्मा का कहना है कि पारिस्थितिकी तंत्र - प्रकृति के जैविक और अकार्बनिक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र भूमि की उपजाऊ शक्ति को प्रभावित करता है. साथ ही पर्यावरण प्रदूषित होता है और मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है. इसलिए हमें यह सोचना होगा कि हम जो भी फल खाते हैं वह स्वस्थ होते हैं. हमारे शरीर और जीवन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. इसलिए, हम अपने खेत में जैविक खाद को पूरी तरह से बढ़ावा दे रहे हैं और कर रहे हैं और जैविक के लिए गाय डेयरी शुरू की है.
इस फार्म हाउस में 200 से 300 गायों का डेयरी भी जिनसे गाय के गोबर (गोबर), गोमूत्र (गोमूत्र), वर्मी कम्पोस्ट, घोल संरचना, जीवा अमृत, जड़ी-बूटियों आदि का उपयोग करके अपनी फसलों के लिए जैविक खाद बना रहे हैं. जेएस फार्म वह नाम है जो भारत के जैविक कृषि उद्योग में अग्रणी खिलाड़ी है. यह एकमात्र फार्म है जो जैविक उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है.
जेएस फार्म उच्चतम गुणवत्ता के जैविक व प्राकृतिक फल उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है. टीम वर्क एक टीम का एक सामान्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास है या किसी कार्य को सबसे प्रभावी और कुशल तरीके से पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना आवश्यक है और हमारे प्रबंध भागीदार वजीर सिंह लोहान, अनिल कुमार शर्मा और हमारे फार्म हेड श्री राजेश पुनिया और उनकी टीम उम्मीदों से परे काम करती है. जैविक उत्पादों का उत्पादन करने और संपूर्ण जैविक फलों के साथ भारतीयों की सेवा करने के लिए लगातार आगे बढ़ रही है. हमारा पूरा खेत इजरायल की खेती की तकनीक से प्रभावित है और पूरी फार्म डिजाइनिंग इजरायल की खेती पर आधारित है.
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