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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है भगवान राम का ‘रॉक गार्डन’, वनवासकाल से जुड़ी है इस मंदिर की कहानी
Sukma News: कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास काल के लिए अयोध्या से निकले. उस दौरान वे अयोध्या से निकलकर देश के अलग-अलग स्थानों में गए और अपना समय व्यतीत किया.
![Sukma News: कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास काल के लिए अयोध्या से निकले. उस दौरान वे अयोध्या से निकलकर देश के अलग-अलग स्थानों में गए और अपना समय व्यतीत किया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/ddb21f84a759468973dabfb68f3016d11705410043428864_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
छत्तीसगढ़ का रॉक गार्डन
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![इनमें भारत देश के कई ऐसे राज्य हैं. जहां पर भगवान श्रीराम के वनगमन पथ को लेकर किवदंतियां जुड़ी हुई है. कई ऐसे स्थान हैं जहां भगवान श्रीराम के पग पड़ने के बाद कई गांव राम के नाम से भी बस गए. माना यह भी जाता है कि वनवास के दौरान उन्होंने सबसे अधिक समय दंडकारण्य में बिताया था और यह दंडकारण्य का जंगल छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में मौजूद है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/8b5f953393b9fd51bf841016ab29f415a10f3.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इनमें भारत देश के कई ऐसे राज्य हैं. जहां पर भगवान श्रीराम के वनगमन पथ को लेकर किवदंतियां जुड़ी हुई है. कई ऐसे स्थान हैं जहां भगवान श्रीराम के पग पड़ने के बाद कई गांव राम के नाम से भी बस गए. माना यह भी जाता है कि वनवास के दौरान उन्होंने सबसे अधिक समय दंडकारण्य में बिताया था और यह दंडकारण्य का जंगल छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में मौजूद है.
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![बताया जाता है कि वनवास के दौरान भगवान श्री राम सुकमा जिले के रामाराम भी पहुंचे हुए थे, जहां पर उन्होंने देवी चिटमिट्टिन माता की पूजा अर्चना की थी. रामाराम में देवी चिटमिट्टिन का मंदिर आज भी मौजूद है. साथ ही इस क्षेत्र को राम वनगमन पथ से जोड़कर मंदिर के नजदीक ‘द रॉक गार्डन’ बनाया गया है. जो पर्यटकों को बेहद ही पसंद आ रहा है. पर्यटक यह अपना समय बिताने के लिए पहुंच रहे हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/e988b8360f3f85399cfeebf8953da1da69a8d.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बताया जाता है कि वनवास के दौरान भगवान श्री राम सुकमा जिले के रामाराम भी पहुंचे हुए थे, जहां पर उन्होंने देवी चिटमिट्टिन माता की पूजा अर्चना की थी. रामाराम में देवी चिटमिट्टिन का मंदिर आज भी मौजूद है. साथ ही इस क्षेत्र को राम वनगमन पथ से जोड़कर मंदिर के नजदीक ‘द रॉक गार्डन’ बनाया गया है. जो पर्यटकों को बेहद ही पसंद आ रहा है. पर्यटक यह अपना समय बिताने के लिए पहुंच रहे हैं.
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![इस रॉक गार्डन में अलग-अलग कलाकृतियां बनाई गई है. साथ ही एक गुफा का भी निर्माण किया गया है. जिसमें भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी चीजों को तस्वीरों के माध्यम से संजोया गया है. यह रामाराम मंदिर सुकमा जिला मुख्यालय से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/320b78d80b4f491a8b85d634139c47de05443.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस रॉक गार्डन में अलग-अलग कलाकृतियां बनाई गई है. साथ ही एक गुफा का भी निर्माण किया गया है. जिसमें भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी चीजों को तस्वीरों के माध्यम से संजोया गया है. यह रामाराम मंदिर सुकमा जिला मुख्यालय से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
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![वहीं सुकमा जिले के ही इंजरम में भी भगवान श्री राम ने शिवलिंग की स्थापना कर महाकाल की आराधना की. आज भी इंजरम में वनवास काल के दौरान की गणेश की मूर्ति, नंदी और अन्य देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियों के साथ-साथ भगवान श्री राम के पद चिन्ह भी मौजूद है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/d054b6b9da3bc46560a9dc297277306059441.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वहीं सुकमा जिले के ही इंजरम में भी भगवान श्री राम ने शिवलिंग की स्थापना कर महाकाल की आराधना की. आज भी इंजरम में वनवास काल के दौरान की गणेश की मूर्ति, नंदी और अन्य देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियों के साथ-साथ भगवान श्री राम के पद चिन्ह भी मौजूद है.
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![राम वनगमन पथ के जानकार मनोज देव ने जानकारी देते हुए बताया कि सुकमा जिले का रामाराम मंदिर भगवान राम वनवास काल के दौरान यहां पहुंचे और भू-देवी की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेकर आगे की ओर बढ़े और इंजरम पहुंचे फिर ओडिशा के मोटू होते पर्णशाला भद्राचलम के लिए प्रस्थान किया.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/bbe032d8bc89c523e68d72b42c09fb8edf3b0.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
राम वनगमन पथ के जानकार मनोज देव ने जानकारी देते हुए बताया कि सुकमा जिले का रामाराम मंदिर भगवान राम वनवास काल के दौरान यहां पहुंचे और भू-देवी की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेकर आगे की ओर बढ़े और इंजरम पहुंचे फिर ओडिशा के मोटू होते पर्णशाला भद्राचलम के लिए प्रस्थान किया.
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![सुकमा और मलकानगिरी जिला जो कभी दंडकारण्य के केंद्र के रूप में जाना जाता था. यहां की जनता द्वारा भू-देवी की आराधना की जाती है, जिसे यहां की बोलचाल की भाषा में माय माटी, माटी पूजा, माटी तिहार कहा जाता है. पूरे सुकमा वासियो द्वारा भू देवी की आराधना की जाती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/254292a623b14b91ee95db9b06f76e85532a0.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
सुकमा और मलकानगिरी जिला जो कभी दंडकारण्य के केंद्र के रूप में जाना जाता था. यहां की जनता द्वारा भू-देवी की आराधना की जाती है, जिसे यहां की बोलचाल की भाषा में माय माटी, माटी पूजा, माटी तिहार कहा जाता है. पूरे सुकमा वासियो द्वारा भू देवी की आराधना की जाती है.
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![राम वन गमन पथ के तहत सुकमा जिले के रामाराम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए रॉक गार्डन बनाया गया है. जो पूरे प्रदेश भर में पहला रॉक गार्डन है, रॉक गार्डन में जामवंत गुफा भी बनाया गया है, जिसके अंदर रामायण काल के दौर को कलाकृति के जरिए दर्शाया गया है. ये सभी कलाकृति पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जिसे देखने रोजाना लोग रामाराम पहुंचते है. पर्यटक बताते हैं कि यह इलाका बेहद खूबसूरत है, जो भी पर्यटक यहां आते हैं वे इसकी तारीफ करते नहीं थकते है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/1ade9bb4e7ddaa2dec03e771ba8d1c95e8877.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
राम वन गमन पथ के तहत सुकमा जिले के रामाराम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए रॉक गार्डन बनाया गया है. जो पूरे प्रदेश भर में पहला रॉक गार्डन है, रॉक गार्डन में जामवंत गुफा भी बनाया गया है, जिसके अंदर रामायण काल के दौर को कलाकृति के जरिए दर्शाया गया है. ये सभी कलाकृति पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जिसे देखने रोजाना लोग रामाराम पहुंचते है. पर्यटक बताते हैं कि यह इलाका बेहद खूबसूरत है, जो भी पर्यटक यहां आते हैं वे इसकी तारीफ करते नहीं थकते है.
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![खासकर यहां का रॉक गार्डन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. चारों ओर पहाड़ से घिरे रामाराम मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण वनवास काल के दौरान रामाराम पहुंचकर यहाँ कुछ समय बिताए थे. इस वजह से इस जगह का नाम रामाराम रखा गया. जानकार मनोज देव ने बताया कि हर साल फरवरी महीने में भव्य मेला का आयोजन रामाराम में होता है. जानकारी के अनुसार 608 सालों से यहां मेला का आयोजन होता आ रहा है. वहीं सुकमा जमीदार परिवार रियासत काल से यहां पर देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/b80fa58810562bb06a5af28772d38a72a2fcd.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
खासकर यहां का रॉक गार्डन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. चारों ओर पहाड़ से घिरे रामाराम मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण वनवास काल के दौरान रामाराम पहुंचकर यहाँ कुछ समय बिताए थे. इस वजह से इस जगह का नाम रामाराम रखा गया. जानकार मनोज देव ने बताया कि हर साल फरवरी महीने में भव्य मेला का आयोजन रामाराम में होता है. जानकारी के अनुसार 608 सालों से यहां मेला का आयोजन होता आ रहा है. वहीं सुकमा जमीदार परिवार रियासत काल से यहां पर देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे है.
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![मां रामारामिन की डोली रामाराम के लिए राजवाड़ा से निकलती है. माता की डोली की पूजा नगर में जगह-जगह होती है. इस उत्सव में आस-पास के देवी-देवता भी पहुंचते है. रामाराम मेले के बाद जिले में जगह-जगह मेले का आयोजन शुरू होता है. मान्यता है कि रामाराम में तीन देवीयों का मिलन होता है. ये तीन बहने माता चिटमिट्टिन, रामारामिन और मुसरिया छिन्दगढ़ हैं. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी ये मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/16/592e51151512f01b5a3cb9ef3273a92749847.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
मां रामारामिन की डोली रामाराम के लिए राजवाड़ा से निकलती है. माता की डोली की पूजा नगर में जगह-जगह होती है. इस उत्सव में आस-पास के देवी-देवता भी पहुंचते है. रामाराम मेले के बाद जिले में जगह-जगह मेले का आयोजन शुरू होता है. मान्यता है कि रामाराम में तीन देवीयों का मिलन होता है. ये तीन बहने माता चिटमिट्टिन, रामारामिन और मुसरिया छिन्दगढ़ हैं. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी ये मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है.
Published at : 16 Jan 2024 06:31 PM (IST)
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