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In Pics: अमेरिका रहकर भिलाई के गरीब बच्चों को शिक्षा देता है शर्मा परिवार, ज़ूम कनेक्टिविटी से सिखाई फर्राटेदार इंग्लिश

Durg News: अमेरिका में रहने वाले भिलाई के आलोक शर्मा और उनके बेटे ने एक अनोखी मिसाल पेश की है. दरअसल ये परिवार अमेरिका रहते हुए भी अपने क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं.

Durg News: अमेरिका में रहने वाले भिलाई के आलोक शर्मा और उनके बेटे ने एक अनोखी मिसाल पेश की है. दरअसल ये परिवार अमेरिका रहते हुए भी अपने क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा  प्रदान कर रहे हैं.

भिलाई

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Durg News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की इस्पात नगरी भिलाई में कैम्प क्षेत्र के बच्चे कंप्यूटर साक्षरता और अंग्रेजी में दक्ष हो रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि, इन्हें ये सारी काबिलियत किसी स्थानीय शिक्षक के माध्यम से नहीं बल्कि अमेरिका में रह रहे भिलाई (Bhilai) के एक परिवार की वजह से हासिल हो रही है. दरअसल 35 साल पहले आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में देश भर में दूसरे स्थान पर रहे भिलाई के होनहार आलोक शर्मा और उनका परिवार अपने शहर के बच्चों का भविष्य संवारने एक बड़ी जिम्मेदारी उठा रहा है.
Durg News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की इस्पात नगरी भिलाई में कैम्प क्षेत्र के बच्चे कंप्यूटर साक्षरता और अंग्रेजी में दक्ष हो रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि, इन्हें ये सारी काबिलियत किसी स्थानीय शिक्षक के माध्यम से नहीं बल्कि अमेरिका में रह रहे भिलाई (Bhilai) के एक परिवार की वजह से हासिल हो रही है. दरअसल 35 साल पहले आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में देश भर में दूसरे स्थान पर रहे भिलाई के होनहार आलोक शर्मा और उनका परिवार अपने शहर के बच्चों का भविष्य संवारने एक बड़ी जिम्मेदारी उठा रहा है.
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आलोक के दो बेटों में बड़े आयुष शर्मा ने 10 साल पहले भिलाई में इस बारे में एक छोटी सी पहल की थी. आयुष चूंकि अब अपने करियर की वजह से व्यस्त हो गए हैं. ऐसे में उनके छोटे भाई ईशान उनके काम को आगे बढ़ाने के लिए इन दिनों भिलाई में है. भिलाई नेहरू नगर स्थित अपने दादाजी केके शर्मा के घर आए हुए. ईशान करीब दो महीने भर से यहां कैम्प-1 शांति पारा  क्षेत्र में नगर निगम के एक भवन में रोजाना इन बच्चों के साथ 3-4 घंटा बिता रहे हैं.
आलोक के दो बेटों में बड़े आयुष शर्मा ने 10 साल पहले भिलाई में इस बारे में एक छोटी सी पहल की थी. आयुष चूंकि अब अपने करियर की वजह से व्यस्त हो गए हैं. ऐसे में उनके छोटे भाई ईशान उनके काम को आगे बढ़ाने के लिए इन दिनों भिलाई में है. भिलाई नेहरू नगर स्थित अपने दादाजी केके शर्मा के घर आए हुए. ईशान करीब दो महीने भर से यहां कैम्प-1 शांति पारा क्षेत्र में नगर निगम के एक भवन में रोजाना इन बच्चों के साथ 3-4 घंटा बिता रहे हैं.
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इस दौरान ईशान इन बच्चों को ना सिर्फ अंग्रेजी में दक्ष कर रहे हैं बल्कि इन्हें कंप्यूटर और इंटरनेट के इस्तेमाल से अपना भविष्य निर्माण करने में भी मार्गदर्शन दे रहे हैं. ईशान के इस कार्य में उनकी मां रचना शर्मा भी सहयोग करती हैं. वहीं अंचल के प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. डीएन शर्मा का भी मार्गदर्शन व स्थानीय स्वसहायता समूह की प्रमुख बी. पोलम्मा का विशेष सहयोग है.
इस दौरान ईशान इन बच्चों को ना सिर्फ अंग्रेजी में दक्ष कर रहे हैं बल्कि इन्हें कंप्यूटर और इंटरनेट के इस्तेमाल से अपना भविष्य निर्माण करने में भी मार्गदर्शन दे रहे हैं. ईशान के इस कार्य में उनकी मां रचना शर्मा भी सहयोग करती हैं. वहीं अंचल के प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. डीएन शर्मा का भी मार्गदर्शन व स्थानीय स्वसहायता समूह की प्रमुख बी. पोलम्मा का विशेष सहयोग है.
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इस दौरान ईशान इन बच्चों को ना सिर्फ अंग्रेजी में दक्ष कर रहे हैं बल्कि इन्हें कंप्यूटर और इंटरनेट के इस्तेमाल से अपना भविष्य निर्माण करने में भी मार्गदर्शन दे रहे हैं. ईशान के इस कार्य में उनकी मां रचना शर्मा भी सहयोग करती हैं. वहीं अंचल के प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. डीएन शर्मा का भी मार्गदर्शन व स्थानीय स्वसहायता समूह की प्रमुख बी. पोलम्मा का विशेष सहयोग है.
इस दौरान ईशान इन बच्चों को ना सिर्फ अंग्रेजी में दक्ष कर रहे हैं बल्कि इन्हें कंप्यूटर और इंटरनेट के इस्तेमाल से अपना भविष्य निर्माण करने में भी मार्गदर्शन दे रहे हैं. ईशान के इस कार्य में उनकी मां रचना शर्मा भी सहयोग करती हैं. वहीं अंचल के प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. डीएन शर्मा का भी मार्गदर्शन व स्थानीय स्वसहायता समूह की प्रमुख बी. पोलम्मा का विशेष सहयोग है.
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ईशान का कहना है कि अमेरिका में रहने की वजह से वो लगातार यहां बच्चों के संपर्क में नहीं रह पाते हैं. जिससे इन अनूठी शाला के संचालन में व्यवहारिक कठिनाईयां आती हैं. ईशान के मुताबिक उनके साथ भिलाई के ही दूसरे युवा इसके संचालन में आगे आएं तो उन्हें और उनके परिवार को बेहद खुशी होगी. ईशान की छोटी सी पहल का नतीजा ये है कि  श्रमिक  बस्ती  क्षेत्र  के बच्चे अब फर्राटे से अंग्रेजी बोल रहे हैं और कंप्यूटर-इंटरनेट   के  माध्यम  से  अपनी स्कूली  पढ़ाई  का  आसान बनाकर बेहतर भविष्य  की राह  बुन  रहे हैं.
ईशान का कहना है कि अमेरिका में रहने की वजह से वो लगातार यहां बच्चों के संपर्क में नहीं रह पाते हैं. जिससे इन अनूठी शाला के संचालन में व्यवहारिक कठिनाईयां आती हैं. ईशान के मुताबिक उनके साथ भिलाई के ही दूसरे युवा इसके संचालन में आगे आएं तो उन्हें और उनके परिवार को बेहद खुशी होगी. ईशान की छोटी सी पहल का नतीजा ये है कि श्रमिक बस्ती क्षेत्र के बच्चे अब फर्राटे से अंग्रेजी बोल रहे हैं और कंप्यूटर-इंटरनेट के माध्यम से अपनी स्कूली पढ़ाई का आसान बनाकर बेहतर भविष्य की राह बुन रहे हैं.
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ईशान अपनी हाल के दो महीने  की  क्लास  पर  संतोष  जाहिर करते हुए कहते हैं. इतने  कम  समय  में  इन  बच्चों  ने  जितने  बेहतर ढंग  से  सीखा,  उससे  उम्मीद  है  कि भविष्य में इन्हें इसका लाभ जरूर मिलेगा. ईशान का कहना है कि श्रमिक बस्ती के इन बच्चों में सीखने के प्रति बेहद गंभीरता है. जिससे उन्हें यहां इनके बीच समय बिताना बेहद सार्थक लगता है.
ईशान अपनी हाल के दो महीने की क्लास पर संतोष जाहिर करते हुए कहते हैं. इतने कम समय में इन बच्चों ने जितने बेहतर ढंग से सीखा, उससे उम्मीद है कि भविष्य में इन्हें इसका लाभ जरूर मिलेगा. ईशान का कहना है कि श्रमिक बस्ती के इन बच्चों में सीखने के प्रति बेहद गंभीरता है. जिससे उन्हें यहां इनके बीच समय बिताना बेहद सार्थक लगता है.
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अमेरिका में रह रहे आलोक शर्मा मूल रूप से भिलाई के निवासी हैं. 1987 में उन्होंने बीएसपी सीनियर सेकंडरी स्कूल सेक्टर-10 के स्टूडेंट के तौर पर आईआईटी प्रवेश परीक्षा दी थी और देश भर में दूसरा स्थान हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था. इसके बाद उन्होंने कानपुर आईआईटी में अध्य्यन के लिए प्रवेश लिया और फिर अमेरिका में बस गए. वर्तमान में अमेरिका के वेस्ट विंडसर न्यू जर्सी में रह रहे आलोक और उनका परिवार अपनी जमीन को नहीं भूले हैं.
अमेरिका में रह रहे आलोक शर्मा मूल रूप से भिलाई के निवासी हैं. 1987 में उन्होंने बीएसपी सीनियर सेकंडरी स्कूल सेक्टर-10 के स्टूडेंट के तौर पर आईआईटी प्रवेश परीक्षा दी थी और देश भर में दूसरा स्थान हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था. इसके बाद उन्होंने कानपुर आईआईटी में अध्य्यन के लिए प्रवेश लिया और फिर अमेरिका में बस गए. वर्तमान में अमेरिका के वेस्ट विंडसर न्यू जर्सी में रह रहे आलोक और उनका परिवार अपनी जमीन को नहीं भूले हैं.
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ईशान अब अमेरिका लौट रहे हैं और वो चाहते हैं कि स्थानीय युवा भी उनकी इस मुहिम से जुड़ें. जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कंप्यूटर और अंग्रेजी में दक्ष किया जा सके. ईशान अपनी इस पहल की तमाम गतिविधियां अपने ब्लॉग में दर्ज करते हैं. स्थानीय युवा अगर ईशान की मुहिम से जुड़ना चाहें तो उनके ब्लॉग https://ishaansharma.substack.com/  के माध्यम से संपर्क कर सकते.
ईशान अब अमेरिका लौट रहे हैं और वो चाहते हैं कि स्थानीय युवा भी उनकी इस मुहिम से जुड़ें. जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कंप्यूटर और अंग्रेजी में दक्ष किया जा सके. ईशान अपनी इस पहल की तमाम गतिविधियां अपने ब्लॉग में दर्ज करते हैं. स्थानीय युवा अगर ईशान की मुहिम से जुड़ना चाहें तो उनके ब्लॉग https://ishaansharma.substack.com/ के माध्यम से संपर्क कर सकते.

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