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Chhattisgarh Bamboo Art: बांस से खिलौने और रसोई की सामग्री बनाकर अच्छी कमाई कर रहे छत्तीसगढ़ के लोग, तस्वीरों पर डालें एक नजर
![](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/837d441f680243b53ecc8bb786961478_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
(छत्तीसगढ़ का बम्बू आर्ट)
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![छत्तीसगढ़ एक ट्राइबल स्टेट है. यही वजह है की आज भी राज्य में जल, जंगल और जमीन से ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था जुड़ी है. इसी से जुड़ी एक कला है बम्बू आर्ट. जो आज से सैड़कों वर्षों पहले से छत्तीसगढ़ में चली आ रही है. ग्रामीण बांस से सामग्री बनकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/84b2cd1c1bb3b90ae5a922a45d3ae478455ce.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
छत्तीसगढ़ एक ट्राइबल स्टेट है. यही वजह है की आज भी राज्य में जल, जंगल और जमीन से ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था जुड़ी है. इसी से जुड़ी एक कला है बम्बू आर्ट. जो आज से सैड़कों वर्षों पहले से छत्तीसगढ़ में चली आ रही है. ग्रामीण बांस से सामग्री बनकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं.
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![दरअसल इतिहासकार बताते हैं कि प्लास्टिक और स्टील से पहले सस्ता और टिकाऊ बर्तन हो या बच्चों के खिलौने मिट्टी और लकड़ियों से ही बनाए जाते रहे हैं. स्टील और प्लास्टिक के आते ही भारतीय बाजार से बांस से बनाई जाने वाली सामग्रियां विलुप्त होने की कगार पर आ गई है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/cd844df39f9841efd7f6f27803ad0b00bd8bc.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
दरअसल इतिहासकार बताते हैं कि प्लास्टिक और स्टील से पहले सस्ता और टिकाऊ बर्तन हो या बच्चों के खिलौने मिट्टी और लकड़ियों से ही बनाए जाते रहे हैं. स्टील और प्लास्टिक के आते ही भारतीय बाजार से बांस से बनाई जाने वाली सामग्रियां विलुप्त होने की कगार पर आ गई है.
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![छत्तीसगढ़ ने अपने पूर्वजों से सीखी कारीगरी आज भी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए मददगार साबित हो रही है. इसके साथ-साथ अब बांस से बनाई जा रही सामग्री को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/51e10301389f166175fa8b6390f17d0771bca.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
छत्तीसगढ़ ने अपने पूर्वजों से सीखी कारीगरी आज भी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए मददगार साबित हो रही है. इसके साथ-साथ अब बांस से बनाई जा रही सामग्री को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.
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![महासमुंद के एक कारीगर बांस से बच्चों के खिलौने बना रहे हैं. उन्होंने 24 घंटे मेहनत करके एक बैलगाड़ी बनाई है. इस बैलगाड़ी के चक्के और बाकी अन्य ढांचा बांस से बनाई गई है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/1d54be0a58f2554a1cad3fce6fdee8dc8c1eb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
महासमुंद के एक कारीगर बांस से बच्चों के खिलौने बना रहे हैं. उन्होंने 24 घंटे मेहनत करके एक बैलगाड़ी बनाई है. इस बैलगाड़ी के चक्के और बाकी अन्य ढांचा बांस से बनाई गई है.
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![इसके अलावा बैलगाड़ी चलाने वाले किसान को भी बांस की लकड़ी से बनाया गया है. इसके अलावा घर को सजाने के लिए बांस को काट-काट कर गमले के फूल और पत्ते तैयार किये गए हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/4eac4692e183c422900beb156a5d008e3a9c0.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसके अलावा बैलगाड़ी चलाने वाले किसान को भी बांस की लकड़ी से बनाया गया है. इसके अलावा घर को सजाने के लिए बांस को काट-काट कर गमले के फूल और पत्ते तैयार किये गए हैं.
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![पाटन के एक युवा पढ़ाई के साथ बांस से कलाकृति कर अपनी अलग पहचान बनाने के लिए निकल पड़े हैं. युवा ने आदिवासी कल्चर को प्रदर्शित करते हुए एक मिट्टी के मकान की तरह दिखने वाला मकान बांस से बनाया है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/f477f79e4f03dced414ffb2b1ac9f4457ce0a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
पाटन के एक युवा पढ़ाई के साथ बांस से कलाकृति कर अपनी अलग पहचान बनाने के लिए निकल पड़े हैं. युवा ने आदिवासी कल्चर को प्रदर्शित करते हुए एक मिट्टी के मकान की तरह दिखने वाला मकान बांस से बनाया है.
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![आदिवासियों का नृत्य करते एक पूरा मॉडल तैयार किया गया है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/730b5bb4cc73f56a0fb613ec1ad05deb0156c.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
आदिवासियों का नृत्य करते एक पूरा मॉडल तैयार किया गया है.
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![युवा ने बताया, ये सभी बेकार टुकड़े हैं जिसे फेंक दिया जाता है. उससे ये मॉडल तैयार किया गया है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/f4270896b5b78d2aa6833e62fde916ff9e7cb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
युवा ने बताया, ये सभी बेकार टुकड़े हैं जिसे फेंक दिया जाता है. उससे ये मॉडल तैयार किया गया है.
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![जशपुर से महिलाएं बांस और जंगली पौधे से सुंदर और टिकाऊ टोकरियां बना रही हैं. उन्होंने बताया की बचपन से ही बनाते आ रहे हैं. पहले घर में सब्जी रखने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे. लेकिन अब लोग खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. इसलिए 20 महिलाओं के समूह द्वारा रोजाना टोकरियां बनाने का काम किया जा रहा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/66b72b075fdfb6a287df0950e68520a018772.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
जशपुर से महिलाएं बांस और जंगली पौधे से सुंदर और टिकाऊ टोकरियां बना रही हैं. उन्होंने बताया की बचपन से ही बनाते आ रहे हैं. पहले घर में सब्जी रखने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे. लेकिन अब लोग खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. इसलिए 20 महिलाओं के समूह द्वारा रोजाना टोकरियां बनाने का काम किया जा रहा है.
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![टोकरियां अलग-अलग साइज की बनाई जाती है. इसके दाम 150 से 250 रुपए तक हैं. महिलाओं ने बताया कि रोजाना एक महिला 4 से 5 ऐसी टोकरियां बना लेती हैं. वहीं शशि बाई भी बांस में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है. उन्होंने बांस से पानी ट्रे, घर को सजाने वाली सामग्री और लेटर बॉक्स बना रही है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/10/aaae6e15f953976b9eec486854ac4932ac88a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
टोकरियां अलग-अलग साइज की बनाई जाती है. इसके दाम 150 से 250 रुपए तक हैं. महिलाओं ने बताया कि रोजाना एक महिला 4 से 5 ऐसी टोकरियां बना लेती हैं. वहीं शशि बाई भी बांस में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है. उन्होंने बांस से पानी ट्रे, घर को सजाने वाली सामग्री और लेटर बॉक्स बना रही है.
Published at : 10 May 2022 06:42 PM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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