Bhilai News: भिलाई में एकता की मिसाल, महज 10 दिनों में 150 से अधिक घरों को फिर से बसाया, जानिए पूरी कहानी
कहते हैं ना एकता में शक्ति होती है. जिसे कोई नहीं हरा सकता. अगर कोई भी काम सब मिलकर करें तो ऐसा कोई भी काम नहीं है जो नहीं हो सकता. कुछ ऐसा ही नजारा छत्तीसगढ़ के दुर्ग में देखने को मिला. जहां पर 10 दिन पहले एक पूरी बस्ती में आग लग गई थी. इसमें 150 से अधिक घर आग में जलकर खाक हो गए थे. लेकिन महज 10 दिनों में सामाजिक संस्थाओं, आम जनता, जनप्रतिनिधि और प्रशासन की मदद से इन सभी लोगों को फिर से घर मिल गया है.
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View In Appआपको बता दें कि भिलाई के सूर्या नगर स्लम बस्ती में 10 दिन पहले भीषण आग लग गई थी. इस आग ने लगभग डेढ़ सौ से अधिक घरों को जलाकर खाक कर दिया था. 2000 से अधिक परिवार बेघर हो गए थे. इस आग ने ऐसी तबाही मचाई थी कि उन लोगों को अपने घरों से रुपए, सोना-चांदी, कूलर, कपड़े और तमाम चीजें निकालने का मौका ही नहीं मिला था.
भिलाई के जनप्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाएं, आम जनता और प्रशासन ने मिलकर इन लोगों की मदद की. किसी ने कपड़े दिए, किसी ने खाना दिया, किसी ने छत बनाने के लिए सीट दी, किसी ने बांस बल्ली दी. एक साथ मिलकर इन लोगों का साथ देने की वजह से आज जो डेढ़ सौ से अधिक घर आग में जलकर खाक हो गए थे. अब वह फिर से बसने को तैयार है. लोगों का कहना है कि सामाजिक संस्थाएं सहित अन्य लोगों ने हमारी बहुत मदद की है. जिसकी वजह से हम इतनी जल्दी अपने आशियाने फिर से बना पाए हैं.
निश्चित तौर पर इस बस्ती में लगी आग और 10 दिनों में सबकी मदद से फिर से वही जगह पर डेढ़ सौ से अधिक घर बस जाना अपने आप में एक काबिलियत को दर्शाता है. जो परिवार बेघर हो गया था अब 2000 से अधिक परिवारों को फिर से एक छत मिल गया है. अब लोगों को उम्मीद है कि इस आग में जो उनके सामान जलकर राख हो गए हैं उन सामानों की भरपाई के लिए सरकार उनको उचित मुआवजा जल्द से जल्द दे दे.
प्रभावित लोगों को तो जिला प्रशासन और सामाजिक संगठनों की मदद से महज 10 दिनों में रहने के लिए आशियाना तो बनाकर तैयार कर दिया गया है लेकिन अब तक प्रभावित बस्ती में बिजली, पानी, गैस सिलेंडर जैसी मूलभूत सुविधा नहीं पहुंच पाई है.
इस भीषण गर्मी में लोग पानी, खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर और बिजली के लिए तरस रहे हैं. लोग इस भीषण गर्मी से बचने के लिए घर के बाहर सोने को मजबूर हैं. बस्ती के लोगों ने बताया कि दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है. गैस सिलेंडर नहीं होने की वजह से किसी दिन भूखे पेट भी रहना पड़ता है.
प्रभावित लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि बस्ती में बिजली, पानी और गैस सिलेंडर जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं ताकि प्रभावित लोग रोजमर्रा की जीवनशैली फिर से शुरू कर सके.
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