Durg News: ये है दुर्ग के ग्रीन कॉरिडोर मैन, जिन्होंने 20 सालों में बचाई सैकड़ों जिंदगियां, जानें- इनकी बेमिशाल कहानी
Durg News - समाज सेवा से बढ़कर इस दुनिया में कोई सेवा नहीं है और वो सेवा निस्वार्थ भाव से किया जाए तो सही मायने में मानवता मिसाल इसी को कहते हैं. इस देश में बहुत कम लोग हैं जो बिना स्वार्थ के बढ़-चढ़कर लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं. ऐसे ही एक समाजसेवी छत्तीसगढ़ के दुर्ग के भिलाई में हैं जो लोगों की निस्वार्थ मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं. पिछले 20 सालों से वो सैकड़ों जिंदगियां अब तक बचा चुके है.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appहम बात कर रहे हैं भिलाई के सेक्टर 2 में रहने वाले समाजसेवी वशिष्ठ नारायण मिश्रा की. वशिष्ठ नारायण मिश्रा पिछले 20 सालों से लोगों की ऐसी निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं. जिसकी वजह से अब उन्हें पूरे जिले में ग्रीन कॉरिडोर मैन के नाम से लोग जानने लगे हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वशिष्ठ नारायण मिश्रा ने ग्रीन कॉरिडोर बनवा कर अब तक लगभग सैकड़ों जिंदगियां बचा चुके है.
वशिष्ठ नारायण मिश्रा ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि मैं पिछले 20 सालों से समाज सेवा कर रहा है. अक्सर भिलाई या आसपास के लोगों का मेरे पास फोन आता है कि उनके परिजन काफी गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती है और उन्हें दुर्ग हॉस्पिटल से रायपुर बड़े हॉस्पिटल में जल्दी शिफ्ट करना है.
इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाना है मैं उन लोगों की मदद के लिए तुरंत निकल पड़ता हूं और अस्पताल पहुंचकर दुर्ग पुलिस की मदद से ग्रीन कॉरिडोर बनवाता हूं. जिससे मरीज 35 से 40 मिनट में रायपुर के बड़े हॉस्पिटल में मरीज को पहुंचाया जाता है. अगर बिना ग्रीन कॉरिडोर के मरीज को भिलाई से रायपुर ले जाया जाएगा तो लगभग डेढ़ से 2 घंटे लगते है.
वशिष्ठ नारायण मिश्रा बताते हैं कि हर एक-दो दिन की आड़ में मेरे पास लोगों का फोन आता है. और वो कहते हैं कि उनके परिजन काफी गंभीर हालत में और उन्हें दुर्ग हॉस्पिटल से रायपुर हॉस्पिटल शिफ्ट करना है. और ग्रीन कॉरिडोर बनाने की मदद मांगते है. और मैं निस्वार्थ वहां पहुंचकर ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था कर गंभीर मरीज को रायपुर बड़े हॉस्पिटल में पहुंचा दिया करता हूं. और इसके लिए मैं उस हॉस्पिटल से लेकर रायपुर बड़े हॉस्पिटल तक की व्यवस्था करता हूं.
अब तक सामाज सेवी वशिष्ठ नारायण मिश्रा अब तक कई लोगों की मदद कर चुके हैं. और सैकड़ों जिंदगियां भी बचा चुके हैं. वशिष्ठ बताते हैं कि जब लोगों की तबीयत ठीक हो जाते है तो आकर मुझसे मिलते हैं और मुझे धन्यवाद करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. लेकिन मैं उस उद्देश्य से लोगों की मदद नहीं करता कि लोग मेरी तारीफ करें मैं लोगों की निस्वार्थ भावना से मदद करता हूं और आगे भी करता रहूंगा.
वशिष्ठ नारायण मिश्रा बताते हैं कि किसी समय दुर्ग-भिलाई को अस्पतालों का शहर कहा जाता था. यहां के अस्पतालों में इलाज कराने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे. लेकिन अब ऐसे अस्पताल नहीं है जो बड़े से बड़े बीमारी का इलाज कर सके. इसलिए अक्सर अच्छे लिया इलाज के लिए गंभीर मरीज को रायपुर बड़े अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ता है.
भिलाई अस्पताल के डॉक्टर और लोगों द्वारा मुझे फोन किया जाता है कि उनके मरीज काफी गंभीर है और उन्हें जल्दी ही रायपुर बड़े हॉस्पिटल में शिफ्ट करना है. इसलिए मुझे जब भी किसी का फोन आता है तो मैं तत्काल उस हॉस्पिटल में पहुंचकर ग्रीन कॉरिडोर बनवाने की व्यवस्था करता हूं. ताकि मरीज जल्दी से जल्दी बड़े अस्पताल तक हो सके और उसका इलाज अच्छे से हो सके.और उनकी जिंदगी बच सके.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -