एक्सप्लोरर

Holi 2024: बस्तर में मनाई जाती है अनोखी होली, 600 साल पुरानी होलिका दहन की परंपरा, जानें- पूरी कहानी

Happy Holi 2024: बस्तर सहित पूरे देश में होली का उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. बस्तर की होली देश के अन्य भागों में मनाई जाने वाली होली के अलग है, जिसमें देवी-देवताओं की पूजा की जाती है.

Happy Holi 2024: बस्तर सहित पूरे देश में होली का उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. बस्तर की होली देश के अन्य भागों में मनाई जाने वाली होली के अलग है, जिसमें देवी-देवताओं की पूजा की जाती है.

(बस्तर की अनोखी होली)

1/7
पूरे देश में होली पर्व की धूम मची हुई है. छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाई जा रही है. रविवार (24 मार्च) की आधी रात बस्तर जिले के माड़पाल गांव में  600 साल पुरानी ऐतिहासिक होलिका दहन की परंपरा को पूरा किया गया. इस मौके पर बस्तर राजपरिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव समेत हजारों ग्रामीण इकट्ठा होकर होलिका दहन की रस्म निभाई.
पूरे देश में होली पर्व की धूम मची हुई है. छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाई जा रही है. रविवार (24 मार्च) की आधी रात बस्तर जिले के माड़पाल गांव में 600 साल पुरानी ऐतिहासिक होलिका दहन की परंपरा को पूरा किया गया. इस मौके पर बस्तर राजपरिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव समेत हजारों ग्रामीण इकट्ठा होकर होलिका दहन की रस्म निभाई.
2/7
दरअसल, बस्तर में होलिका दहन की कहानी 600 साल पुरानी है. रियासत काल से ही जगदलपुर शहर से लगे माड़पाल गांव में सबसे बड़े होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है, जिसके बाद पूरे बस्तर संभाग में होलिका दहन होती है. खास बात यह है कि बस्तर की होलिका दहन की कहानी भक्त प्रह्लाद से नहीं बल्कि बस्तर की देवी देवताओं से जुड़ी हुई हैं. बस्तर में निभाई जाने वाली होलिका दहन की परंपरा देश के अन्य जगहों से सबसे अलग है.
दरअसल, बस्तर में होलिका दहन की कहानी 600 साल पुरानी है. रियासत काल से ही जगदलपुर शहर से लगे माड़पाल गांव में सबसे बड़े होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है, जिसके बाद पूरे बस्तर संभाग में होलिका दहन होती है. खास बात यह है कि बस्तर की होलिका दहन की कहानी भक्त प्रह्लाद से नहीं बल्कि बस्तर की देवी देवताओं से जुड़ी हुई हैं. बस्तर में निभाई जाने वाली होलिका दहन की परंपरा देश के अन्य जगहों से सबसे अलग है.
3/7
बस्तर के रियासत कालीन होली में दंतेवाड़ा की फागुन मंडई मेला, माड़पाल गांव की होली और जगदलपुर की जोड़ा होली की परंपरा 600 सालों से आज तक निभाई जा रही है. खास बात यह है कि बस्तर की होली में भक्त प्रहलाद और होलिका गौण हो जाते हैं. इनकी जगह पर कृष्ण के रूप में विष्णु नारायण और विष्णु के कलयुग के अवतार कलकी के साथ दंतेश्वरी माता, मावली माता और स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर होलिका दहन कर 600 साल पुरानी परंपरा के साथ रंगों का पर्व होली मनाया जाता है.
बस्तर के रियासत कालीन होली में दंतेवाड़ा की फागुन मंडई मेला, माड़पाल गांव की होली और जगदलपुर की जोड़ा होली की परंपरा 600 सालों से आज तक निभाई जा रही है. खास बात यह है कि बस्तर की होली में भक्त प्रहलाद और होलिका गौण हो जाते हैं. इनकी जगह पर कृष्ण के रूप में विष्णु नारायण और विष्णु के कलयुग के अवतार कलकी के साथ दंतेश्वरी माता, मावली माता और स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर होलिका दहन कर 600 साल पुरानी परंपरा के साथ रंगों का पर्व होली मनाया जाता है.
4/7
बस्तर संभाग में सबसे पहले होलिका दहन दंतेवाड़ा के फागुन मंडई मेले में जलाया जाता है. यहां लकड़ी और उपले से नहीं बल्कि बस्तर में पाई जाने वाली ताड़ के पेड़ के पत्तों से होलिका दहन किया जाता है. जिसके बाद होली के दिन इसकी राख से होली खेलने की परंपरा है. दंतेवाड़ा में सबसे पहले होलिका दहन के बाद बस्तर जिले के माड़पाल गांव में दूसरी होली जलाई जाती है. जिसमें बस्तर राज परिवार के सदस्यों के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहते हैं. जानकार रुद्रनारायण पाणिग्रही के मुताबिक, बस्तर के तत्कालीन महाराजा पुरुषोत्तम देव भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे. सन 1408 ई में महाराजा पुरुषोत्तम देव भगवान जगन्नाथ के सेवक के रूप में रथपति की उपाधि का सौभाग्य प्राप्त कर बस्तर लौटते समय फागुन पूर्णिमा के दिन उनका काफिला माड़पाल गांव पहुंचा था.
बस्तर संभाग में सबसे पहले होलिका दहन दंतेवाड़ा के फागुन मंडई मेले में जलाया जाता है. यहां लकड़ी और उपले से नहीं बल्कि बस्तर में पाई जाने वाली ताड़ के पेड़ के पत्तों से होलिका दहन किया जाता है. जिसके बाद होली के दिन इसकी राख से होली खेलने की परंपरा है. दंतेवाड़ा में सबसे पहले होलिका दहन के बाद बस्तर जिले के माड़पाल गांव में दूसरी होली जलाई जाती है. जिसमें बस्तर राज परिवार के सदस्यों के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहते हैं. जानकार रुद्रनारायण पाणिग्रही के मुताबिक, बस्तर के तत्कालीन महाराजा पुरुषोत्तम देव भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे. सन 1408 ई में महाराजा पुरुषोत्तम देव भगवान जगन्नाथ के सेवक के रूप में रथपति की उपाधि का सौभाग्य प्राप्त कर बस्तर लौटते समय फागुन पूर्णिमा के दिन उनका काफिला माड़पाल गांव पहुंचा था.
5/7
रुद्रनारायण पाणिग्रही ने बताया कि उस समय उन्हें इस दिन के महत्व का एहसास हुआ कि फागुन पूर्णिमा है, आज के दिन भगवान जगन्नाथ धाम पुरी में हर्षोल्लास के साथ राधा कृष्ण जमकर होली खेलते हैं. इसके बाद राजा ने माड़पाल में होली जलाकर उत्सव मनाने का निर्णय लिया. तब से माड़पाल  में होलिका दहन की परंपरा 600 सालों से निभाई जाती है. आज भी माड़पाल होलिका दहन में राज परिवार के सदस्य भाग लेते हैं. इसके बाद संभाग के अलग-अलग जगहों में होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है. रविवार की आधी रात को भी बस्तर राज परिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में होलिका दहन किया. इस दौरान माड़पाल में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिला.
रुद्रनारायण पाणिग्रही ने बताया कि उस समय उन्हें इस दिन के महत्व का एहसास हुआ कि फागुन पूर्णिमा है, आज के दिन भगवान जगन्नाथ धाम पुरी में हर्षोल्लास के साथ राधा कृष्ण जमकर होली खेलते हैं. इसके बाद राजा ने माड़पाल में होली जलाकर उत्सव मनाने का निर्णय लिया. तब से माड़पाल में होलिका दहन की परंपरा 600 सालों से निभाई जाती है. आज भी माड़पाल होलिका दहन में राज परिवार के सदस्य भाग लेते हैं. इसके बाद संभाग के अलग-अलग जगहों में होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है. रविवार की आधी रात को भी बस्तर राज परिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में होलिका दहन किया. इस दौरान माड़पाल में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिला.
6/7
खास बात यह है कि बस्तर की होली भक्त प्रह्लाद से नहीं बल्कि देवी-देवताओं से जुड़ी हुई है. माड़पाल गांव की होलिका दहन के बाद बस्तर संभाग में होलिका दहन किए जाने की परंपरा आज भी जारी है. माड़पाल में होली जलने के बाद, उस होली की आग को 20 किमी दूर जगदलपुर शहर के मावली मंदिर के सामने जलाए जाने वाली जोड़ा होलिका दहन के लिए लाई जाती है. जगदलपुर में जोड़ा होलिका दहन के साथ बस्तर संभाग के अन्य जगहों पर भी होलिका दहन किया जाता है.
खास बात यह है कि बस्तर की होली भक्त प्रह्लाद से नहीं बल्कि देवी-देवताओं से जुड़ी हुई है. माड़पाल गांव की होलिका दहन के बाद बस्तर संभाग में होलिका दहन किए जाने की परंपरा आज भी जारी है. माड़पाल में होली जलने के बाद, उस होली की आग को 20 किमी दूर जगदलपुर शहर के मावली मंदिर के सामने जलाए जाने वाली जोड़ा होलिका दहन के लिए लाई जाती है. जगदलपुर में जोड़ा होलिका दहन के साथ बस्तर संभाग के अन्य जगहों पर भी होलिका दहन किया जाता है.
7/7
शहर के मावली मंदिर के सामने जलाए जाने वाली जोड़ी होलिका दहन का अपना अलग ही महत्व है. मान्यताओं के मुताबिक, एक मावली माता को और दूसरी होली को जगन्नाथ भगवान को समर्पित किया जाता है. देर रात भी इस रस्म को बखूबी निभाया गया और धूमधाम से मावली माता और दंतेश्वरी माता के डोली का विधि विधान से पूजा अर्चना कर मंदिर परिसर में भ्रमण कराकर होलिका का दहन किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. इस रस्म के बाद शहर के प्रमुख लोग दूसरे दिन राजा से मुलाकात करने राजमहल जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं और धूमधाम से होली का पर्व मनाते हैं.
शहर के मावली मंदिर के सामने जलाए जाने वाली जोड़ी होलिका दहन का अपना अलग ही महत्व है. मान्यताओं के मुताबिक, एक मावली माता को और दूसरी होली को जगन्नाथ भगवान को समर्पित किया जाता है. देर रात भी इस रस्म को बखूबी निभाया गया और धूमधाम से मावली माता और दंतेश्वरी माता के डोली का विधि विधान से पूजा अर्चना कर मंदिर परिसर में भ्रमण कराकर होलिका का दहन किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. इस रस्म के बाद शहर के प्रमुख लोग दूसरे दिन राजा से मुलाकात करने राजमहल जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं और धूमधाम से होली का पर्व मनाते हैं.

छत्तीसगढ़ फोटो गैलरी

छत्तीसगढ़ वेब स्टोरीज

और देखें
Advertisement
Advertisement
Sun Feb 23, 9:13 am
नई दिल्ली
25.2°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 37%   हवा: WNW 11.3 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

PM Modi at Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम पहुंचे पीएम मोदी, बालाजी मंदिर के किए दर्शन; कैंसर हॉस्पिटल की रखेंगे आधारशिला
PM Modi at Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम पहुंचे पीएम मोदी, बालाजी मंदिर के किए दर्शन; कैंसर हॉस्पिटल की रखेंगे आधारशिला
‘भक्ति भाव भी मजाक बन गया है’, पत्नी ज्योति सिंह ने फोटो के साथ लगाई डुबकी तो पवन सिंह ने कसा तंज
‘भक्ति भाव भी मजाक बन गया है’, पत्नी ज्योति सिंह ने फोटो के साथ लगाई डुबकी तो पवन सिंह ने कसा तंज
सोनाली बेंद्रे ने पति संग संगम में लगाई डुबकी, फिर टेलीस्कोप से देखा कुंभ का खूबसूरत नजारा, देखें तस्वीरें
सोनाली बेंद्रे ने संगम में लगाई डुबकी, फिर टेलीस्कोप से देखा कुंभ का नजारा
बिहार में कांग्रेस का दिल मांगे मोर, लेकिन RJD की पकड़ नहीं हो रही कमजोर
बिहार में कांग्रेस का दिल मांगे मोर, लेकिन RJD की पकड़ नहीं हो रही कमजोर
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

'मुझे उम्मीद है कि इंडिया जीतेगा…',Champions Trophy पर  Awadhesh Prasad ने किया भारत की जीत का दावा | ABP NEWSIND vs PAK Match :विराट के परफॉर्मेंस से निराश हुआ ये नन्हा फैन,वजह जानकर हो जायेंगे हैरानIND vs PAK: भारत-पाक के मैच में देश की जीत के लिए लोगों ने किया विजय यज्ञ | ABP NEWSIND vs PAK: ICC Champions Trophy के लिए Dubai में भिड़ेंगे भारत-पाकिस्तान, होगा सबसे बड़ा मुकाबला | ABP NEWS

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
PM Modi at Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम पहुंचे पीएम मोदी, बालाजी मंदिर के किए दर्शन; कैंसर हॉस्पिटल की रखेंगे आधारशिला
PM Modi at Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम पहुंचे पीएम मोदी, बालाजी मंदिर के किए दर्शन; कैंसर हॉस्पिटल की रखेंगे आधारशिला
‘भक्ति भाव भी मजाक बन गया है’, पत्नी ज्योति सिंह ने फोटो के साथ लगाई डुबकी तो पवन सिंह ने कसा तंज
‘भक्ति भाव भी मजाक बन गया है’, पत्नी ज्योति सिंह ने फोटो के साथ लगाई डुबकी तो पवन सिंह ने कसा तंज
सोनाली बेंद्रे ने पति संग संगम में लगाई डुबकी, फिर टेलीस्कोप से देखा कुंभ का खूबसूरत नजारा, देखें तस्वीरें
सोनाली बेंद्रे ने संगम में लगाई डुबकी, फिर टेलीस्कोप से देखा कुंभ का नजारा
बिहार में कांग्रेस का दिल मांगे मोर, लेकिन RJD की पकड़ नहीं हो रही कमजोर
बिहार में कांग्रेस का दिल मांगे मोर, लेकिन RJD की पकड़ नहीं हो रही कमजोर
IND vs PAK Dubai: भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने बदली प्लेइंग 11, टीम का दिग्गज खिलाड़ी हुआ बाहर
भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने बदली प्लेइंग 11, टीम का दिग्गज खिलाड़ी हुआ बाहर
मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव में क्या है अंतर, किसकी कितनी होती है पॉवर?
मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव में क्या है अंतर, किसकी कितनी होती है पॉवर?
NTA ने जारी किया UGC NET 2024 का परीक्षा परिणाम! यहां देखें रिजल्ट और कट-ऑफ
NTA ने जारी किया UGC NET 2024 का परीक्षा परिणाम! यहां देखें रिजल्ट और कट-ऑफ
एक परिवार में कितने लोगों का बन सकता है आयुष्मान कार्ड? जान लें काम की बात
एक परिवार में कितने लोगों का बन सकता है आयुष्मान कार्ड? जान लें काम की बात
Embed widget