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In Photos: बस्तर में महुआ से बनाई जा रही स्वादिष्ट लड्डू और कुकीज, लाखों रुपये कमा रहीं महिलाएं, देखें तस्वीरें

(महुआ से बने स्वादिष्ट लड्डू ,कुकीज)

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छत्तीसगढ़ के बस्तर में मिलने वाली वनोपज यहां के आदिवासियों के आजीविका का मुख्य स्रोत है. बस्तर संभाग के सातों जिलों में रहने वाले आदिवासियों की आधी आबादी वनोपज में ही आश्रित है और बस्तर में मिलने वाले वनोपज में सबसे ज्यादा डिमांड महुआ की होती है. महुआ से शराब बनाई जाती है लेकिन बस्तर में अब महुआ से स्वादिष्ट लड्डू ,कुकीज, चंक्स, जैम और जेली बनाकर बस्तर के ग्रामीण महिलाएं लाखों रुपए कमा रही हैं. इसके साथ ही महुआ से बनी इन खाद्य पदार्थो की पूरे देश भर में बिक्री हो रही है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में मिलने वाली वनोपज यहां के आदिवासियों के आजीविका का मुख्य स्रोत है. बस्तर संभाग के सातों जिलों में रहने वाले आदिवासियों की आधी आबादी वनोपज में ही आश्रित है और बस्तर में मिलने वाले वनोपज में सबसे ज्यादा डिमांड महुआ की होती है. महुआ से शराब बनाई जाती है लेकिन बस्तर में अब महुआ से स्वादिष्ट लड्डू ,कुकीज, चंक्स, जैम और जेली बनाकर बस्तर के ग्रामीण महिलाएं लाखों रुपए कमा रही हैं. इसके साथ ही महुआ से बनी इन खाद्य पदार्थो की पूरे देश भर में बिक्री हो रही है.
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दरअसल, बस्तर में महुआ को शराब बनाने के लिए अधिकतर इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन अब इस महुआ के फूल की पहचान बदल रही है और इससे स्वादिष्ट हलवा, चंक्स, कुकीज, जैम और जेली बनाया जा रहा है. दंतेवाड़ा जिले में  ग्रामीण महिलाओं ने समूह बनाकर महुआ प्रोसेसिंग हब बनाया है.
दरअसल, बस्तर में महुआ को शराब बनाने के लिए अधिकतर इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन अब इस महुआ के फूल की पहचान बदल रही है और इससे स्वादिष्ट हलवा, चंक्स, कुकीज, जैम और जेली बनाया जा रहा है. दंतेवाड़ा जिले में  ग्रामीण महिलाओं ने समूह बनाकर महुआ प्रोसेसिंग हब बनाया है.
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महिलाएं महुआ से इन खाद्य पदार्थों को तैयार कर रही हैं और देश भर में इन उत्पादों की सप्लाई भी शुरू हो गई है. बस्तर में ग्रामीण महिलाओं द्वारा महुआ से तैयार किए जा रहे इन प्रोडक्ट की काफी तारीफ हो रही है और अब धीरे धीरे  डिमांड भी बढ़ी है. वहीं प्रशासन भी ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को महुआ से बनाए जा रहे इस प्रोडक्ट के जरिए रोजगार देने का प्रयास कर रही है.
महिलाएं महुआ से इन खाद्य पदार्थों को तैयार कर रही हैं और देश भर में इन उत्पादों की सप्लाई भी शुरू हो गई है. बस्तर में ग्रामीण महिलाओं द्वारा महुआ से तैयार किए जा रहे इन प्रोडक्ट की काफी तारीफ हो रही है और अब धीरे धीरे डिमांड भी बढ़ी है. वहीं प्रशासन भी ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को महुआ से बनाए जा रहे इस प्रोडक्ट के जरिए रोजगार देने का प्रयास कर रही है.
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दंतेवाड़ा के संगवारी महिला स्व सहायता समूह के द्वारा बनाए जा रहे इन महुआ के प्रोडक्ट की डिमांड सबसे ज्यादा है और महिलाओं ने कुछ ही महीनों में लाखों रुपए का कारोबार कर लिया है और उन्हें अच्छी आय भी हो रही है. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि महुआ से इतने सारे खाद्य पदार्थ तैयार हो सकते हैं और इसे बेचकर उन्हें एक अच्छी आय हो सकती है.
दंतेवाड़ा के संगवारी महिला स्व सहायता समूह के द्वारा बनाए जा रहे इन महुआ के प्रोडक्ट की डिमांड सबसे ज्यादा है और महिलाओं ने कुछ ही महीनों में लाखों रुपए का कारोबार कर लिया है और उन्हें अच्छी आय भी हो रही है. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि महुआ से इतने सारे खाद्य पदार्थ तैयार हो सकते हैं और इसे बेचकर उन्हें एक अच्छी आय हो सकती है.
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महिलाओं ने कहा कि लगातार उनके द्वारा बनाए गए महुआ के खाद्य पदार्थों की डिमांड बढ़ती जा रही है. महुआ से बनाए जा रहे प्रोडक्ट में किसी तरह का नशा नहीं होता है. बल्कि ये खाने में बेहद स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी है.
महिलाओं ने कहा कि लगातार उनके द्वारा बनाए गए महुआ के खाद्य पदार्थों की डिमांड बढ़ती जा रही है. महुआ से बनाए जा रहे प्रोडक्ट में किसी तरह का नशा नहीं होता है. बल्कि ये खाने में बेहद स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी है.
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इधर महुआ फूल को भी पहले जमीन से बिनने की परंपरा थी लेकिन अब फॉरेस्ट विभाग के द्वारा ग्रामीणों को नेट उपलब्ध कराया गया है. बकायदा ग्रामीण महुआ पेड़ों के नीचे नेट को बांधकर इससे महुआ इकट्ठा कर रहे हैं ताकि महुआ की शुद्धता बनी रहे और जमीन पर गिरने से खराब ना हो सके. वहीं महुआ से प्रोडक्ट तैयार कर रहे महिलाओं को विहान बाजार में दुकान देने का भी प्लान बनाया गया है.
इधर महुआ फूल को भी पहले जमीन से बिनने की परंपरा थी लेकिन अब फॉरेस्ट विभाग के द्वारा ग्रामीणों को नेट उपलब्ध कराया गया है. बकायदा ग्रामीण महुआ पेड़ों के नीचे नेट को बांधकर इससे महुआ इकट्ठा कर रहे हैं ताकि महुआ की शुद्धता बनी रहे और जमीन पर गिरने से खराब ना हो सके. वहीं महुआ से प्रोडक्ट तैयार कर रहे महिलाओं को विहान बाजार में दुकान देने का भी प्लान बनाया गया है.
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ट्राइफेड सहित अन्य संस्थानों के जरिए उनके उत्पादों को देशभर में पहचान दिलाया जाए इसकी भी तैयारी की जा रही है. दंतेवाड़ा फॉरेस्ट विभाग के  DFO संदीप बलगा का कहना है कि बस्तर में महुआ के पेड़ ग्रामीणों की आजीविका का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है. इसलिए विभाग के द्वारा महिलाओं को महुआ से अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग भी दी गई है और इसका फायदा भी उन्हें मिल रहा है और पूरे देश भर में महुआ से बनाए जा रहे  प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ने के साथ इसके स्वाद की भी काफी तारीफ की जा रही है.
ट्राइफेड सहित अन्य संस्थानों के जरिए उनके उत्पादों को देशभर में पहचान दिलाया जाए इसकी भी तैयारी की जा रही है. दंतेवाड़ा फॉरेस्ट विभाग के  DFO संदीप बलगा का कहना है कि बस्तर में महुआ के पेड़ ग्रामीणों की आजीविका का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है. इसलिए विभाग के द्वारा महिलाओं को महुआ से अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग भी दी गई है और इसका फायदा भी उन्हें मिल रहा है और पूरे देश भर में महुआ से बनाए जा रहे  प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ने के साथ इसके स्वाद की भी काफी तारीफ की जा रही है.

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