एक्सप्लोरर

In Photos: बस्तरिया मोहरी बाजे के बिना पूरा नहीं होता कोई शुभ कार्य, मधुर धुन थिरकने पर कर देते हैं मजबूर

फिलहाल शादी का सीजन चल रहा है और इसमें ढोल नगाड़े, बैंड बाजे के साथ डीजे की साउंड शादियों की शान बढ़ाती है लेकिन बस्तर में आज भी आदिवासी अपने समाज की शादियों में पारंपरिक बाजे को ही महत्व देते हैं.

फिलहाल शादी का सीजन चल रहा है और इसमें ढोल नगाड़े, बैंड बाजे के साथ डीजे की साउंड शादियों की शान बढ़ाती है लेकिन बस्तर में आज भी आदिवासी अपने समाज की शादियों में पारंपरिक बाजे को ही महत्व देते हैं.

डीजे की साउंड को भी फेल कर देती है बस्तरिया मोहरी बाजा (फोटो क्रेडिट-अशोक नायडू)

1/8
जितने भी शुभ कार्य होते हैं उनमें मोहरी- बाजा का विशेष महत्व होता है, यह मोहरी- बाजा केवल बस्तर के ग्रामीण अंचलों में ही देखने को मिलता है, केवल शादी ब्याह मांगलिक कार्यक्रमों में ही नही बल्कि बस्तर के प्राचीन मंदिरों, देवगुड़ीयो  में भी मोहरी- बाजा का विशेष महत्व होता है, और बकायदा ग्रामीण इन मोहरी बाजा की पूजा भी करते हैं, खास बात यह है कि इस मोहरी-बाजा की आवाज सुनकर खुद देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसकी जमकर तारीफ की थी.
जितने भी शुभ कार्य होते हैं उनमें मोहरी- बाजा का विशेष महत्व होता है, यह मोहरी- बाजा केवल बस्तर के ग्रामीण अंचलों में ही देखने को मिलता है, केवल शादी ब्याह मांगलिक कार्यक्रमों में ही नही बल्कि बस्तर के प्राचीन मंदिरों, देवगुड़ीयो में भी मोहरी- बाजा का विशेष महत्व होता है, और बकायदा ग्रामीण इन मोहरी बाजा की पूजा भी करते हैं, खास बात यह है कि इस मोहरी-बाजा की आवाज सुनकर खुद देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसकी जमकर तारीफ की थी.
2/8
बस्तर में आदिवासी कल्चर के  जानकार कैलाश नाग बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में पारंपरिक मोहरी -बाजा का विशेष महत्व होता है. बस्तर के आदिवासी बहुत ही सरल वाद्यों से अपने संगीत का काम करते हैं, अपने आसपास सीमित प्राकृतिक संसाधनों से ही जो वाद्य बनाते हैं, वह काफी अद्भुत होने के साथ दिखने में भी सुंदर होता है, और बस्तर में इन मोहरी बाजा के बिना कोई भी शुभ काम पूरा नहीं किया जाता है.
बस्तर में आदिवासी कल्चर के जानकार कैलाश नाग बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में पारंपरिक मोहरी -बाजा का विशेष महत्व होता है. बस्तर के आदिवासी बहुत ही सरल वाद्यों से अपने संगीत का काम करते हैं, अपने आसपास सीमित प्राकृतिक संसाधनों से ही जो वाद्य बनाते हैं, वह काफी अद्भुत होने के साथ दिखने में भी सुंदर होता है, और बस्तर में इन मोहरी बाजा के बिना कोई भी शुभ काम पूरा नहीं किया जाता है.
3/8
मोहरी और नगाड़े तुढ़बुढ़ी के मस्त धुनों का अद्भुत संगम को ही मोहरी- बाजा कहा जाता है. बस्तर के माढ़िया, गोंड और मुरिया जनजाति के लोग लकड़ी, लोहा और पीतल से ही इस मोहरी -बाजा का निर्माण करते है और इसका प्रयोग वाद्य यंत्र के रूप में करते हैं.
मोहरी और नगाड़े तुढ़बुढ़ी के मस्त धुनों का अद्भुत संगम को ही मोहरी- बाजा कहा जाता है. बस्तर के माढ़िया, गोंड और मुरिया जनजाति के लोग लकड़ी, लोहा और पीतल से ही इस मोहरी -बाजा का निर्माण करते है और इसका प्रयोग वाद्य यंत्र के रूप में करते हैं.
4/8
दरअसल मोहरी और बाजा (नगाड़ा और तुड़बुड़ी) दोनों एक साथ बजाए जाते हैं. नगाड़ा बाजा एक ताल बाजा है, जिसे विशेष तौर पर देवी स्थानों में और देवी देवता के अनुष्ठान और कई देव गुड़िया और माता गुड़ी में स्थाई रूप से रखे जाते हैं, इसके अलावा मांगलिक कार्यक्रमों  शादी ब्याह में इसे बजाया जाता है.
दरअसल मोहरी और बाजा (नगाड़ा और तुड़बुड़ी) दोनों एक साथ बजाए जाते हैं. नगाड़ा बाजा एक ताल बाजा है, जिसे विशेष तौर पर देवी स्थानों में और देवी देवता के अनुष्ठान और कई देव गुड़िया और माता गुड़ी में स्थाई रूप से रखे जाते हैं, इसके अलावा मांगलिक कार्यक्रमों शादी ब्याह में इसे बजाया जाता है.
5/8
शादी ब्याह में मोहरी बाजा की मधुर धुन पैरों को थिरकने को मजबूर कर देती हैं और नृत्य के कदम मोहरी के सुरों के साथ ताल से ताल  मिलाकर थिरकने लगते हैं. यही नहीं मोहरी- बाजे की मधुर ध्वनि से देवी देवताओं और देव गुड़ियों का वातावरण भी भक्तिमय हो जाता है.
शादी ब्याह में मोहरी बाजा की मधुर धुन पैरों को थिरकने को मजबूर कर देती हैं और नृत्य के कदम मोहरी के सुरों के साथ ताल से ताल मिलाकर थिरकने लगते हैं. यही नहीं मोहरी- बाजे की मधुर ध्वनि से देवी देवताओं और देव गुड़ियों का वातावरण भी भक्तिमय हो जाता है.
6/8
बस्तर में हल्बी बोली में मोहरी जिसे कहते हैं यह दिखने में चिलम के आकार का होता है, और शहनाई का ही एक प्रकार है, इसकी तुलना बांसुरी से भी किया जा सकता है, क्योंकि इसमें 7 छेद होते हैं और सामने पीतल का बना एक गोलाकार मुख लगा होता है, जिसे यह शहनाई जैसे नजर आता है.
बस्तर में हल्बी बोली में मोहरी जिसे कहते हैं यह दिखने में चिलम के आकार का होता है, और शहनाई का ही एक प्रकार है, इसकी तुलना बांसुरी से भी किया जा सकता है, क्योंकि इसमें 7 छेद होते हैं और सामने पीतल का बना एक गोलाकार मुख लगा होता है, जिसे यह शहनाई जैसे नजर आता है.
7/8
तुड़बुड़ी या बाजा एक ताल छोटा आकार का बाजा होता है, जिसका आकार और माप ताशे के समान होता है और तुड़बुड़ी  का निचला हिस्सा लोहे का बना होता है, जिसे लोहार बनाते हैं, इसे मोहरी की धुन के साथ मिलाकर बजाया जाता है. इसकी साउंड काफी तेज होती है.
तुड़बुड़ी या बाजा एक ताल छोटा आकार का बाजा होता है, जिसका आकार और माप ताशे के समान होता है और तुड़बुड़ी का निचला हिस्सा लोहे का बना होता है, जिसे लोहार बनाते हैं, इसे मोहरी की धुन के साथ मिलाकर बजाया जाता है. इसकी साउंड काफी तेज होती है.
8/8
बस्तर के आदिवासी प्राकृतिक संसाधनों से ही इस मोहरी बाजा को बनाते हैं, जो सालों तक टिकाऊ रहता है, और आदिवासी घरों की उनके शादियों की और गांव में होने वाले मंडई मेला के साथ  मंदिरों और देव गुड़ियों की शान बढ़ाता है.
बस्तर के आदिवासी प्राकृतिक संसाधनों से ही इस मोहरी बाजा को बनाते हैं, जो सालों तक टिकाऊ रहता है, और आदिवासी घरों की उनके शादियों की और गांव में होने वाले मंडई मेला के साथ मंदिरों और देव गुड़ियों की शान बढ़ाता है.

छत्तीसगढ़ फोटो गैलरी

छत्तीसगढ़ वेब स्टोरीज

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
Bihar News: 'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
विनोद खन्ना ने बनाया था हिरोइन, सलमान खान संग दी  हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
सलमान खान संग दी हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Tax Rule Changes:Income Tax, STT, TDS Rates, आधार कार्ड को लेकर 1 अक्टूबर 2024 से बदल जाएंगे ये नियमबिना Bank Account के भी निकालें पैसे! NCMC कार्ड की पूरी जानकारी |UP Politics : यूपी टू बिहार...बैंड बाजा नाम विवाद | 24 Ghante 24 ReporterRajasthan News: राजस्थान के डिप्टी CM का 'रीलबाज' बेटा ! Sanasni | Prem Chand Bairwa

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
Bihar News: 'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
विनोद खन्ना ने बनाया था हिरोइन, सलमान खान संग दी  हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
सलमान खान संग दी हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
IPL 2025: रिटेंशन अनाउंसमेंट पर बड़ा अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद आज हो सकती है घोषणा
IPL रिटेंशन अनाउंसमेंट पर अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद होगी घोषणा
Bhagat Singh Jayanti 2024: खून से सनी मिट्टी को घर पर क्यों रखते थे भगत सिंह? जो बन गई अंग्रेजों का काल
खून से सनी मिट्टी को घर पर क्यों रखते थे भगत सिंह? जो बन गई अंग्रेजों का काल
नॉर्थ-ईस्ट में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध! प्रदर्शन करने वाले बोले- बीफ हमारे खाने का हिस्सा
नॉर्थ-ईस्ट में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध! प्रदर्शन करने वाले बोले- बीफ हमारे खाने का हिस्सा
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
Embed widget