In Photos: देश के बड़े शहरों में खोले जाएंगे बस्तर कैफे के नाम से आउटलेट्स, CCD और स्टारबक्स की तर्ज पर होगी ब्रांडिंग
इसकी ब्रांडिंग के लिए मार्केटिंग का काम भी शुरू कर दिया गया है, दरअसल बस्तर में उगाए जा रहे कॉफी को देश की राजधानी दिल्ली के साथ ही रायपुर और जगदलपुर में अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, जिसके चलते राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है कि अब देश दुनिया में बस्तर की कॉफी का भी लोगों को स्वाद चखाया जाएगा. बस्तर जिले में अलग-अलग जगहों पर करीब 200 एकड़ में इसकी खेती शुरू कर दी गई है, साल 2017 में प्रायोगिक तौर पर दरभा इलाके में उद्यानिकी विभाग द्वारा 20 एकड़ में शुरू की गई कॉफी की खेती को अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद अब बस्तर के सभी किसानों को अपने अपने खेतों में कॉफी के प्लांटेशन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
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View In Appदरअसल 2017 में 20 एकड़ में लगाई गई कॉफी से 2 साल बाद करीब 9 क्विंटल कॉफी का उत्पादन किया गया, जिसके बाद उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों और महिला स्व सहायता समूह को प्लांटिंग और प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक के लिए ट्रेनिंग दिया गया. सबसे पहले जगदलपुर शहर में बस्तर कैफे के नाम से कॉफी की ब्रांडिंग की गई, और दूसरे राज्यों के साथ ही दूसरे देश से आने वाले लोगों ने बस्तर की कॉफ़ी का स्वाद चखा और इसकी जमकर तारीफ की, जिसके बाद अब सीसीडी और स्टारबक्स की तर्ज पर बस्तर कॉफी की ब्रांडिंग के लिए बड़े शहरों में बस्तर कैफे के आउटलेट्स खोली जा रही है. हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर के. पी. सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में सेनरमेन किस्म के कॉफी को दरभा में लगाया गया था जो कि भारत की सबसे पुरानी कॉफ़ी की किस्मों में से एक है.
साल 2018 में यहां काफी कि अबेरिका और रोबोस्टा किस्म का प्रोडक्शन भी शुरू किया गया, वही 2018 की प्लांटिंग की हार्वेस्टिंग जारी है और उम्मीद की जा रही है कि इस साल फरवरी में लगभग 15 क्विंटल कॉफी का प्रोडक्शन हो जाएगा, दरभा में लगाई गई कॉफी प्लांटेशन से जो कॉफी का उत्पादन किया गया उसकी गुणवत्ता भी काफी शानदार है और खुद राहुल गांधी ने भी इसका स्वाद चखा था, इसलिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन की पहल से बस्तर जिले में 200 एकड़ में कॉफी की खेती की जा रही है.
सीसीडी और स्टारबक्स की कॉफ़ी पूरे देश मे प्रसिद्ध है, बस्तर कैफे आउटलेट भी दुनियाभर में बस्तर कॉफी को नया आयाम देगी, जिसके लिए बस्तर कैफे को देश के बड़े शहरों तक पहुंचाने पर काम शुरू कर दिया गया है, इधर कॉफी के प्रोडक्शन से जहां किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं, वहीं स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है, जिससे इन आदिवासी क्षेत्रों में काफी हद तक पलायन भी रुका है, अंदाजा लगाया जा रहा है कि परियोजना के माध्यम से 2017 से अब तक 60 लाख रुपये का रोजगार दिया जा चुका है, और यहां काम करने वाले मजदूर सालाना 40 से 45 हजार रुपये की कमाई भी कर रहे हैं.
बस्तर जिले का दरभा इलाका कॉफी का गढ़ बन रहा है , बस्तर कॉफ़ी की एक खास बात यह भी है कि यह पूरी तरह से फर्टिलाइजर है जिसकी वजह से इसे ऑर्गेनिक कॉफी भी कहा जा सकता है, फिलहाल बस्तर के साथ-साथ राजधानी दिल्ली और रायपुर के भी सी- मार्ट में बस्तर की कॉफी का मार्केटिंग किया जा रहा है.बस्तर कॉफी का प्रोडक्शन किसानों द्वारा, प्रोसेसिंग स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा और मार्केटिंग बस्तर कैफे के द्वारा किया जा रहा है, जिससे किसानों को भी उत्पादन का सही दाम मिल सकेगा, और स्व सहायता समूह की महिलाओं को इससे आर्थिक लाभ भी मिलेगा.
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