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In Photos: कृत्रिम पैरों से दुनिया के चार महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी फतह करने वाले पहले पर्वतारोही बने चित्रसेन साहू, देखें तस्वीरें

छत्तीसगढ़ के हाफ ह्यूमन रोबो कहे जाने वाले चित्रसेन साहू ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. उन्होंने साउथ अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एकांकागुआ फतह किया है.

छत्तीसगढ़ के हाफ ह्यूमन रोबो कहे जाने वाले चित्रसेन साहू ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. उन्होंने साउथ अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एकांकागुआ फतह किया है.

पर्वतारोही चित्रसेन साहू ( फोटो- रवि मिरी)

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छत्तीसगढ़ के हाफ ह्यूमन रोबो कहे जाने वाले चित्रसेन साहू ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. उन्होंने  माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में साउथ अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एकांकागुआ फतह किया है. चित्रसेन साहू देश के पहले पर्वतारोही बने है. जिन्होंने दोनों कृतिम पैर से दुनिया के 7 महाद्वीप में से 4 महाद्वीप के सबसे ऊंची चोटी फतह किया है. आज पर्वतारोही चित्रसेन साहू की इस मुश्किल सफर की कहानी जानते हैं.दरअसल छत्तीसगढ़ के पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने एक बार फिर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया है.कृत्रिम पैरों की मदद से दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकागुआ जिसकी ऊंचाई 6962 मीटर यानी 22 हजार 841 फीट है. जोकि अर्जेंटीना में स्थित है.
छत्तीसगढ़ के हाफ ह्यूमन रोबो कहे जाने वाले चित्रसेन साहू ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. उन्होंने माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में साउथ अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एकांकागुआ फतह किया है. चित्रसेन साहू देश के पहले पर्वतारोही बने है. जिन्होंने दोनों कृतिम पैर से दुनिया के 7 महाद्वीप में से 4 महाद्वीप के सबसे ऊंची चोटी फतह किया है. आज पर्वतारोही चित्रसेन साहू की इस मुश्किल सफर की कहानी जानते हैं.दरअसल छत्तीसगढ़ के पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने एक बार फिर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया है.कृत्रिम पैरों की मदद से दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकागुआ जिसकी ऊंचाई 6962 मीटर यानी 22 हजार 841 फीट है. जोकि अर्जेंटीना में स्थित है.
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चित्रसेन साहू ने मिशन इंक्लूसन
चित्रसेन साहू ने मिशन इंक्लूसन "अपने पैरों पर खड़े हैं" मिशन के तहत दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकागुआ फतह किया. चित्रसेन का ये सफर बेहद ही मुश्किलों से भरा था. सांसों को बर्फ बना देने वाली ठंड में चित्रसेन साहू ने अपनी ट्रैकिंग पूरी की है. दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट अकोंकागुआ एशिया महाद्वीप के बाहर विश्व की सबसे ऊंची चोटी है. इस मिशन की शुरुआत को लेकर चित्रसेन साहू ने बताया कि रायपुर से 19 दिसंबर 2022 मिशन के लिए रवाना हुए थे और मेंडोजा अर्जेंटीना से 23 दिसंबर 2022 को ट्रैकिंग शुरू हुई. इसके बाद 12 दिन के मुश्किल सफर के बाद चित्रसेन साहू ने माउंट अकोंकागुआ फतह किया है.
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चित्रसेन ने ट्रैकिंग के दौरान आई कठिनाइयों को लेकर कहा कि इस अभियान में - 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और मौसम खराब होने अत्यधिक बर्फबारी के कारण उन्हें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. इस मिशन को चित्रसेन साहू ने अपने बेस्ट फ्रेंड दिवंगत अविनाश वर्मा को समर्पित किया है. पर्वत से उन्होंने अविनाश वर्मा को श्रद्धांजलि दी.इससे पहले चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो, माउंट कोजीअस्को और माउंट एलब्रुस फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था. इसके साथ साथ वो एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंच चुके है.
चित्रसेन ने ट्रैकिंग के दौरान आई कठिनाइयों को लेकर कहा कि इस अभियान में - 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और मौसम खराब होने अत्यधिक बर्फबारी के कारण उन्हें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. इस मिशन को चित्रसेन साहू ने अपने बेस्ट फ्रेंड दिवंगत अविनाश वर्मा को समर्पित किया है. पर्वत से उन्होंने अविनाश वर्मा को श्रद्धांजलि दी.इससे पहले चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो, माउंट कोजीअस्को और माउंट एलब्रुस फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था. इसके साथ साथ वो एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंच चुके है.
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ये उपलब्धि हासिल करने वाले वो देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है. चित्रसेन साहू ने बताया कि दोनों पैर कृत्रिम होने की वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयां आती हैं और यह अपने आप बहुत बड़ा चैलेंज है. जिसको उन्होंने स्वीकार किया है.   चित्रसेन ने बताया कि उनका लक्ष्य सात महाद्वीप के सात शिखर फतह करना है. जिसमें से माउंट aconcagua के साथ 4 लक्ष्य को उन्होंने फतह कर लिया है. उन्होंने बताया कि मेरे लिए पर्वतारोहण का निर्णय आसान नहीं था क्योंकि भारत में अभी तक कोई भी डबल अंप्यूटी पर्वतारोही नहीं है. जो पर्वतारोहण करता हो. सबके लिए स्वतंत्रता के मायने क्या है ? वह बाहर घूमे फिरे ,कोई रोक-टोक ना हो, वह कहीं भी आ जा सके.
ये उपलब्धि हासिल करने वाले वो देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है. चित्रसेन साहू ने बताया कि दोनों पैर कृत्रिम होने की वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयां आती हैं और यह अपने आप बहुत बड़ा चैलेंज है. जिसको उन्होंने स्वीकार किया है. चित्रसेन ने बताया कि उनका लक्ष्य सात महाद्वीप के सात शिखर फतह करना है. जिसमें से माउंट aconcagua के साथ 4 लक्ष्य को उन्होंने फतह कर लिया है. उन्होंने बताया कि मेरे लिए पर्वतारोहण का निर्णय आसान नहीं था क्योंकि भारत में अभी तक कोई भी डबल अंप्यूटी पर्वतारोही नहीं है. जो पर्वतारोहण करता हो. सबके लिए स्वतंत्रता के मायने क्या है ? वह बाहर घूमे फिरे ,कोई रोक-टोक ना हो, वह कहीं भी आ जा सके.
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उन्होंने बताया कि मुझे घूमना और ट्रैकिंग बहुत पसंद था. 2014 में दुर्घटना में दोनों पैर खोने के बाद मेरे मन में भी यही स्वतंत्रता का भाव था जो मुझे धीरे-धीरे पर्वतारोहण के क्षेत्र में ले गया.    उन्होंने बताया कि शुरुआत छोटी-छोटी यात्रा ट्रैकिंग में और ट्रेकिंग माउंटेनियरिंग में तब्दील हुई. जब मैंने छोटी-छोटी ट्रैकिंग पर जाना शुरू किया तो आत्मविश्वास बढ़ता गया.
उन्होंने बताया कि मुझे घूमना और ट्रैकिंग बहुत पसंद था. 2014 में दुर्घटना में दोनों पैर खोने के बाद मेरे मन में भी यही स्वतंत्रता का भाव था जो मुझे धीरे-धीरे पर्वतारोहण के क्षेत्र में ले गया. उन्होंने बताया कि शुरुआत छोटी-छोटी यात्रा ट्रैकिंग में और ट्रेकिंग माउंटेनियरिंग में तब्दील हुई. जब मैंने छोटी-छोटी ट्रैकिंग पर जाना शुरू किया तो आत्मविश्वास बढ़ता गया.
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कृत्रिम पैर होने से आपको एक सामान्य व्यक्ति से 65% ज्यादा ताकत और ऊर्जा लगती है और माउंटेन में जब अधिक ऊंचाई पर होते हैं, तो ऑक्सीजन लेवल भी कम होता है. आप बाकी लोगों की तुलना में थोड़े धीरे होते हैं, तो यह और मुश्किल हो जाता है. ऊपर से वातावरण का शरीर पर प्रभाव पड़ने का डर अधिक रहता है लेकिन मनोबल ऊंचा रहे तो सब संभव है.
कृत्रिम पैर होने से आपको एक सामान्य व्यक्ति से 65% ज्यादा ताकत और ऊर्जा लगती है और माउंटेन में जब अधिक ऊंचाई पर होते हैं, तो ऑक्सीजन लेवल भी कम होता है. आप बाकी लोगों की तुलना में थोड़े धीरे होते हैं, तो यह और मुश्किल हो जाता है. ऊपर से वातावरण का शरीर पर प्रभाव पड़ने का डर अधिक रहता है लेकिन मनोबल ऊंचा रहे तो सब संभव है.

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