In Photos: सरगुजा के मैनपाट में पहली कोशिश हुई कामयाब, लहलहाए चाय के बागान, देखें तस्वीरें
मैनपाट में चाय की फसल उत्पादन को सफलता से ग्रामीण परिवार के साथ वन विभाग उत्साहित हैं. अब वन विभाग नए किसानों को चाय की फसल के उत्पादन से जोड़ने सर्वे करा रहा है और किसानों को चाय का पौधा वन विभाग उपलब्ध कराएगा.
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View In Appसरगुजा संभाग के जशपुर में चाय उत्पादन की सफलता के बाद प्रयोग बतौर मैनपाट के ग्राम ललैया में वर्ष 2019 में पांच ग्रामीण परिवार जिसमें मंगरू राम यादव, मुरारी यादव, सभा यादव, सनमतिया व लल्लू यादव के खेत में प्रयोग बतौर 15 हजार चाय के पौधे वन विभाग न केवल उपलब्ध कराया, बल्कि वन विकास वन प्रबंधन समिति के माध्यम से पौधों का रोपण भी कराया गया.
सरगुजा वनमंडलाधिकारी पंकज कमल के निर्देश पर वन परिक्षेत्र अधिकारी फेंकू प्रसाद चौबे के नेतृत्व में वन विभाग की टीम भी चाय की फसल के उत्पादन में जुटे इन पांच ग्रामीण परिवारों को लगातार प्रोत्साहित करती रही.
प्रशासन द्वारा चाय की फसल की सिंचाई सुविधा के लिए सोलर पंप उपलब्ध कराया गया है. वहीं वन विभाग द्वारा ड्रिप सिस्टम की सुविधा प्रदान की गई है और ग्रामीण परिवारों को फसलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई.
वन प्रबंधन समिति के माध्यम से फसलों की को मवेशियों से बचाने पूरे ढाई एकड़ खेत जिसमें चाय के पौधों का रोपण हुआ है. उसका बैरिकेडिंग भी कराया गया है. पानी की सुविधा के लिए यहां बोर का भी खनन कराया गया और बेहतर सिंचाई सुविधा से अब चाय की फसल पूरी तरह तैयार हो चुकी है.
वन परिक्षेत्र अधिकारी फेंकू प्रसाद चौबे ने बताया कि अब चाय की फसल उत्पादन के लिए नए किसानों को भी जोड़ने की योजना है. जिसके तहत मैनपाट क्षेत्र में किसानों का सर्वे भी कराया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को उनके मांग के अनुरूप पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी और वन प्रबंधन समिति के माध्यम से किसानों को हर संभव मदद भी किया जाएगा.
मैनपाट के जजगा नर्सरी में चाय के नए पौधे भी तैयार हो चुके हैं और इनका रोपण अब खेतों में किया जाना है.वन परिक्षेत्र अधिकारी फेंकू प्रसाद चौबे ने बताया कि मैनपाट में तैयार चाय के फसल की बिक्री के लिए किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने बताया कि जशपुर जिले में प्रोसेसिंग सेंटर है और वहां चाय की पत्ती की बिक्री तत्काल हो जाती है. उन्होंने कहा कि चाय पत्ती के हरे पत्तों की ही बिक्री किसानों को करनी है और इसका प्रति किलो मूल्य 200 रुपए मिल सकेगा.
चाय की फसल वाले खेत में मदर ट्री बतौर केन आदि के भी पेड़ लगाए गए है. चौबे ने बताया कि चाय के पौधों से पत्ती तोड़े जाने के छंठवे दिन बाद नई पत्तियां निकल आती है. चाय के पौधों को यदि सुरक्षित रखा जाए तो 140 वर्षों तक खेत में नए पौधे लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
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