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In photos: आदिवासी महिला के इस Tribal Homestay को पर्यटकों से मिल रहा अच्छा रिस्पॉन्स, देखें एक झलक

प्राकृतिक सौंदर्य से भरा बस्तर गर्मियों की छुट्टी मनाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है. देश- विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक गर्मियों की छुट्टी में यहां घूमने आते हैं.

प्राकृतिक सौंदर्य से भरा बस्तर गर्मियों की छुट्टी मनाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है. देश- विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक गर्मियों की छुट्टी में यहां घूमने आते हैं.

गर्मियों की छुट्टी मनाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद

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यहां 12 से भी अधिक वॉटरफॉल्स,आदिवासी अंचलों की सुंदरता, नैसर्गिक गुफाएं और यहां मौजूद घने जंगल और पहाड़ पर्यटकों को आकर्षित करती है, और यही वजह रहती है कि हर साल गर्मियों की छुट्टियों में बड़ी संख्या में पर्यटक बस्तर घूमने आते हैं.
यहां 12 से भी अधिक वॉटरफॉल्स,आदिवासी अंचलों की सुंदरता, नैसर्गिक गुफाएं और यहां मौजूद घने जंगल और पहाड़ पर्यटकों को आकर्षित करती है, और यही वजह रहती है कि हर साल गर्मियों की छुट्टियों में बड़ी संख्या में पर्यटक बस्तर घूमने आते हैं.
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वहीं इन पर्यटकों को बस्तर के ट्राईबल कल्चर से रूबरू कराने के लिए प्रशासन के द्वारा और गांव के ग्रामीणों द्वारा शुरू की गई होमस्टे को पर्यटकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, दरभा ब्लॉक के माझीपाल गांव में भी स्थित आदिवासी महिला उर्मिला नाग पर्णिकर की होम स्टे देश विदेशों से बस्तर घूमने  आने वाले पर्यटको की पसंदीदा जगह बनी हुई है.
वहीं इन पर्यटकों को बस्तर के ट्राईबल कल्चर से रूबरू कराने के लिए प्रशासन के द्वारा और गांव के ग्रामीणों द्वारा शुरू की गई होमस्टे को पर्यटकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, दरभा ब्लॉक के माझीपाल गांव में भी स्थित आदिवासी महिला उर्मिला नाग पर्णिकर की होम स्टे देश विदेशों से बस्तर घूमने आने वाले पर्यटको की पसंदीदा जगह बनी हुई है.
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दरअसल आदिवासियों के धुरवा समाज से संबंध रखने वाली उर्मिला नाग पर्णिकर बस्तर के एक छोटे से गांव मांझीपाल की रहने वाली हैं. आज उर्मिला की पहचान देश विदेशों तक है. उर्मिला ने बताया कि अपने पति रजनीश पर्णिकर के साथ मिलकर उन्होंने आमचो- लाडी नाम से होमस्टे की शुरुआत की ,जहां वे बस्तर घूमने आने वाले पर्यटकों को बस्तर की संस्कृति ,यहां की स्थानीय फूड्स और अदिवासियों के रहन सहन और वेशभूषा पहनावे से परिचित करवाती हैं, खास बात यह है कि कभी हिंदी तक नहीं समझने वाली उर्मिला आज विदेशी पर्यटकों से भी काफी सहजता से बात कर लेती हैं.
दरअसल आदिवासियों के धुरवा समाज से संबंध रखने वाली उर्मिला नाग पर्णिकर बस्तर के एक छोटे से गांव मांझीपाल की रहने वाली हैं. आज उर्मिला की पहचान देश विदेशों तक है. उर्मिला ने बताया कि अपने पति रजनीश पर्णिकर के साथ मिलकर उन्होंने आमचो- लाडी नाम से होमस्टे की शुरुआत की ,जहां वे बस्तर घूमने आने वाले पर्यटकों को बस्तर की संस्कृति ,यहां की स्थानीय फूड्स और अदिवासियों के रहन सहन और वेशभूषा पहनावे से परिचित करवाती हैं, खास बात यह है कि कभी हिंदी तक नहीं समझने वाली उर्मिला आज विदेशी पर्यटकों से भी काफी सहजता से बात कर लेती हैं.
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होमस्टे के जरिए उर्मिला बस्तर की संस्कृति को देश दुनिया तक पहुंचा रही है. उर्मिला ने बताया कि अपने हाथों से तैयार की गई बस्तरिया देसी फूड का स्वाद चखकर दुनिया के जाने माने शेफ गार्डन रामसे तक उनकी खाने की तारीफ कर चुके हैं, उर्मिला ने बताया कि अपने होमस्टे के जरिए स्थानीय आदिवासी युवाओं को रोजगार से भी जोड़ रही हैं.
होमस्टे के जरिए उर्मिला बस्तर की संस्कृति को देश दुनिया तक पहुंचा रही है. उर्मिला ने बताया कि अपने हाथों से तैयार की गई बस्तरिया देसी फूड का स्वाद चखकर दुनिया के जाने माने शेफ गार्डन रामसे तक उनकी खाने की तारीफ कर चुके हैं, उर्मिला ने बताया कि अपने होमस्टे के जरिए स्थानीय आदिवासी युवाओं को रोजगार से भी जोड़ रही हैं.
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अब तक उनके होमस्टे में 250 से ज्यादा पर्यटक ठहर चुके हैं जिसमें देश और विदेशों के पर्यटक शामिल हैं, बस्तर के लोकल व्यंजन आदिवासियों की वेशभूषा और आदिवासी कल्चर पर्यटकों को खूब भा रही है, उर्मिला ने बताया कि होमस्टे सिर्फ एक रुकने की जगह नहीं बल्कि बस्तर के आदिवासी संस्कृति को करीब से जानने का एक माध्यम है.
अब तक उनके होमस्टे में 250 से ज्यादा पर्यटक ठहर चुके हैं जिसमें देश और विदेशों के पर्यटक शामिल हैं, बस्तर के लोकल व्यंजन आदिवासियों की वेशभूषा और आदिवासी कल्चर पर्यटकों को खूब भा रही है, उर्मिला ने बताया कि होमस्टे सिर्फ एक रुकने की जगह नहीं बल्कि बस्तर के आदिवासी संस्कृति को करीब से जानने का एक माध्यम है.
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उनके साथ-साथ अब आसपास के गांव और अन्य इलाकों में भी ग्रामीण होमस्टे की शुरुआत कर रहे हैं, जहां पर्यटकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, और साथ ही होम स्टे के माध्यम से सभी पर्यटक आदिवासी कल्चर से रूबरू भी हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि जगदलपुर से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर उनका माझीपाल होमस्टे मौजूद है, चारों और घने जंगल और होम स्टे से लगा माझिपाल वॉटरफॉल और नैसर्गिक  खूबसूरती यहां पहुंचने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है, इसके अलावा आदिवासियों की बेहद खूबसूरत दिखने वाली झोपड़ियां में पर्यटक रुकना पसंद करते हैं.
उनके साथ-साथ अब आसपास के गांव और अन्य इलाकों में भी ग्रामीण होमस्टे की शुरुआत कर रहे हैं, जहां पर्यटकों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, और साथ ही होम स्टे के माध्यम से सभी पर्यटक आदिवासी कल्चर से रूबरू भी हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि जगदलपुर से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर उनका माझीपाल होमस्टे मौजूद है, चारों और घने जंगल और होम स्टे से लगा माझिपाल वॉटरफॉल और नैसर्गिक खूबसूरती यहां पहुंचने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है, इसके अलावा आदिवासियों की बेहद खूबसूरत दिखने वाली झोपड़ियां में पर्यटक रुकना पसंद करते हैं.
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उर्मिला ने बताया कि पर्यटकों को खाने में पूरी तरह से आदिवासियों की देसी फूड्स को परोसा जाता है, जिसमें वेज और नॉनवेज दोनों शामिल होते हैं, इसके अलावा सल्फी, लंदा, महुआ के रस का  पर्यटक मजा लेते हैं, पिछले सालों की तुलना में बड़ी संख्या में उनके होमस्टे में पर्यटक पहुंच रहे हैं.
उर्मिला ने बताया कि पर्यटकों को खाने में पूरी तरह से आदिवासियों की देसी फूड्स को परोसा जाता है, जिसमें वेज और नॉनवेज दोनों शामिल होते हैं, इसके अलावा सल्फी, लंदा, महुआ के रस का पर्यटक मजा लेते हैं, पिछले सालों की तुलना में बड़ी संख्या में उनके होमस्टे में पर्यटक पहुंच रहे हैं.
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उर्मिला बताती हैं कि अपने क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में इस तरह की होमस्टे तैयार करने की ट्रेनिंग भी दे रही हैं, साथ ही स्थानीय आदिवासी युवाओं को रोजगार से भी जोड़ रही है. यही वजह है कि उनके इस सोच के लिए हाल ही में उर्मिला को बस्तर की संस्कृति को सहेजने के लिए
उर्मिला बताती हैं कि अपने क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में इस तरह की होमस्टे तैयार करने की ट्रेनिंग भी दे रही हैं, साथ ही स्थानीय आदिवासी युवाओं को रोजगार से भी जोड़ रही है. यही वजह है कि उनके इस सोच के लिए हाल ही में उर्मिला को बस्तर की संस्कृति को सहेजने के लिए "छत्तीसगढ़ महतारी सम्मान" से सम्मानित भी किया गया है.

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