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In Pics: बलरामपुर के पंचायतों को मिले रिक्शों में लग रही जंग, प्रशासन को हो रहा करोड़ों का नुकसान, देखें तस्वीरें

बलरामपुर जिले में ग्राम पंचायतों को मिले रिक्शे का उपयोग नहीं हो रहा है. रखे-रखे इनमें जंग लग रही है. महिला समूहों को भी इसका लाभ नहीं मिल रहा है.

बलरामपुर जिले में ग्राम पंचायतों को मिले रिक्शे का उपयोग नहीं हो रहा है. रखे-रखे इनमें जंग लग रही है. महिला समूहों को भी इसका लाभ नहीं मिल रहा है.

ग्राम पंचायतों को मिले रिक्शे का उपयोग नहीं

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सरकार पंचायतों को स्वच्छ बनाने की दिशा में नए प्रयोग कर रही है. नई योजनाएं बना रही हैं. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से कुछ योजनाएं धरातल पर पहुंचने के बाद दम तोड़ देती हैं. ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में हो रहा है.
सरकार पंचायतों को स्वच्छ बनाने की दिशा में नए प्रयोग कर रही है. नई योजनाएं बना रही हैं. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से कुछ योजनाएं धरातल पर पहुंचने के बाद दम तोड़ देती हैं. ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में हो रहा है.
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यहां प्रशासन की लापरवाही से स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायतों में दिए गए रिक्शे रखे रखे जंग खा रहे हैं. जिससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान होता नजर आ रहा है.इस योजना में लापरवाही को लेकर जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं मामला प्रकाश में आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी जल्द ही योजना का संचालन करने की बात कह रहे हैं. 
यहां प्रशासन की लापरवाही से स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायतों में दिए गए रिक्शे रखे रखे जंग खा रहे हैं. जिससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान होता नजर आ रहा है.इस योजना में लापरवाही को लेकर जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं मामला प्रकाश में आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी जल्द ही योजना का संचालन करने की बात कह रहे हैं. 
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दरअसल, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के 118 गांव में एक एक लाख रुपए की लागत से घरों से कचरा कलेक्शन के लिए दो दो रिक्शा के साथ साथ अन्य सामग्री की सप्लाई कराई थी.
दरअसल, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के 118 गांव में एक एक लाख रुपए की लागत से घरों से कचरा कलेक्शन के लिए दो दो रिक्शा के साथ साथ अन्य सामग्री की सप्लाई कराई थी.
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इसके अलावा गांव में कचरा प्रबंधन के लिए मनरेगा के तहत कचरा यार्ड का निर्माण करवाया गया था.
इसके अलावा गांव में कचरा प्रबंधन के लिए मनरेगा के तहत कचरा यार्ड का निर्माण करवाया गया था.
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जिसकी लागत 5 से 6 लाख रुपए थी. जिसके माध्यम से समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़कर गांव से इकट्ठा किए गए कचरे को डंप कर उससे जैविक खाद बनाई जानी थी. जिसकी बिक्री के बाद ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाता, लेकिन यह योजना जिले में फेल नजर आ रही है. 
जिसकी लागत 5 से 6 लाख रुपए थी. जिसके माध्यम से समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़कर गांव से इकट्ठा किए गए कचरे को डंप कर उससे जैविक खाद बनाई जानी थी. जिसकी बिक्री के बाद ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाता, लेकिन यह योजना जिले में फेल नजर आ रही है. 
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सरकार ने इस योजना को लेकर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए. लेकिन प्रशासन की लापरवाही की वजह से  जिले में योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. वहीं शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान होता दिखाई दे रहा है.
सरकार ने इस योजना को लेकर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए. लेकिन प्रशासन की लापरवाही की वजह से  जिले में योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. वहीं शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान होता दिखाई दे रहा है.
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बलरामपुर जनपद पंचायत अंतर्गत जरहाडीह गांव की सरपंच देवमुनि ने बताया कि सालभर पहले पंचायत में कचरा कलेक्शन के लिए रिक्शा आया था. लेकिन उसको उपयोग के लिए पंचायत सचिव की तरफ से कोई पहल नहीं की गई. जिससे अब रिक्शा खड़े खड़े जंग खा रहे है. 
बलरामपुर जनपद पंचायत अंतर्गत जरहाडीह गांव की सरपंच देवमुनि ने बताया कि सालभर पहले पंचायत में कचरा कलेक्शन के लिए रिक्शा आया था. लेकिन उसको उपयोग के लिए पंचायत सचिव की तरफ से कोई पहल नहीं की गई. जिससे अब रिक्शा खड़े खड़े जंग खा रहे है. 
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इसके अलावा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने बताया कि प्रशासन की लापरवाही से सरकार की महत्वपूर्ण योजना दम तोड़ रही है. महिला समूहों को दिए जाने वाले रिक्शे रखे रखे जंग खा रहे हैं और कचरा डंप के लिए बनाए गए यार्ड में अब ग्रामीण अपना निजी सामान रखकर उसका उपयोग कर रहे हैं.
इसके अलावा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने बताया कि प्रशासन की लापरवाही से सरकार की महत्वपूर्ण योजना दम तोड़ रही है. महिला समूहों को दिए जाने वाले रिक्शे रखे रखे जंग खा रहे हैं और कचरा डंप के लिए बनाए गए यार्ड में अब ग्रामीण अपना निजी सामान रखकर उसका उपयोग कर रहे हैं.
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इधर मामला उजागर होने के बाद जिम्मेदार अधिकारी अब महिला समूहों को ट्रेंड कर योजना का संचालन करवाने की बात कह रहे हैं. बलरामपुर जनपद सीईओ केके जायसवाल ने कहा कि प्रथम चरण में मिला था, उस समय का होगा तो उपयोग नहीं हुआ है.
इधर मामला उजागर होने के बाद जिम्मेदार अधिकारी अब महिला समूहों को ट्रेंड कर योजना का संचालन करवाने की बात कह रहे हैं. बलरामपुर जनपद सीईओ केके जायसवाल ने कहा कि प्रथम चरण में मिला था, उस समय का होगा तो उपयोग नहीं हुआ है.
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अभी उसी का प्रशिक्षण चल रहा है. उन्हें प्रशिक्षण देकर समूह की महिलाओं को सक्रिय किया जा रहा है. सक्रिय होने के बाद रिक्शा का उपयोग करेंगे.
अभी उसी का प्रशिक्षण चल रहा है. उन्हें प्रशिक्षण देकर समूह की महिलाओं को सक्रिय किया जा रहा है. सक्रिय होने के बाद रिक्शा का उपयोग करेंगे.

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