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In Pics: भगवान राम के ननिहाल को क्या आपने देखा? ये गांव है माता कौशल्या की जन्मभूमि

भगवान राम के ननिहाल यानी माता कौशल्या की जन्मभूमि के बारे में क्या आप जानते हैं. यहां इन तस्वीरें के माध्यम से जानें इससे जुड़ी रोचक पौराणिक कथा.

भगवान राम के ननिहाल यानी माता कौशल्या की जन्मभूमि के बारे में क्या आप जानते हैं. यहां इन तस्वीरें के माध्यम से जानें इससे जुड़ी रोचक पौराणिक कथा.

माता कौशल्या की जन्मभूमि

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भगवान राम ने यूपी के अयोध्या से भारतवर्ष में राज किया. इसकी जानकारी तो पूरी दुनिया को है. लेकिन भगवान राम के ननिहाल के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते.
भगवान राम ने यूपी के अयोध्या से भारतवर्ष में राज किया. इसकी जानकारी तो पूरी दुनिया को है. लेकिन भगवान राम के ननिहाल के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते.
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माता कौशल्या के जन्मभूमि को लोग नहीं जानते है. लेकिन आज हम भगवान राम के ननिहाल की कहानी बताएंगे. वो गांव जहां आज भी लोग भगवान राम और मां कौशल्या की पूजा करते हैं. इस गांव में भगवान राम को भांजा कहा जाता है.
माता कौशल्या के जन्मभूमि को लोग नहीं जानते है. लेकिन आज हम भगवान राम के ननिहाल की कहानी बताएंगे. वो गांव जहां आज भी लोग भगवान राम और मां कौशल्या की पूजा करते हैं. इस गांव में भगवान राम को भांजा कहा जाता है.
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दरअसल कौशल प्रदेश उत्तर भारत के इलाके को कहा जाता है और दक्षिण कौशल वर्तमान छत्तीसगढ़ के हिस्से को कहा जाता है. दक्षिण कौशल के राजा भानुमांत की बेटी कौशल्या का उत्तर कौशल के दशरथ राजा के साथ विवाह हुआ था. इसलिए छत्तीसगढ़ में आज भी बहगवान राम को भांजा कहा जाता है. वहीं माता कौशल्या का जन्म स्थान राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर चंदखुरी गांव को माना जाता है. इसी गांव में तालाब के बीच दुनिया का इकलौता माता कौशल्या का मंदिर है. इस मूर्ति में राम लल्ला माता कौशल्या के गोद में खेल रहे हैं.
दरअसल कौशल प्रदेश उत्तर भारत के इलाके को कहा जाता है और दक्षिण कौशल वर्तमान छत्तीसगढ़ के हिस्से को कहा जाता है. दक्षिण कौशल के राजा भानुमांत की बेटी कौशल्या का उत्तर कौशल के दशरथ राजा के साथ विवाह हुआ था. इसलिए छत्तीसगढ़ में आज भी बहगवान राम को भांजा कहा जाता है. वहीं माता कौशल्या का जन्म स्थान राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर चंदखुरी गांव को माना जाता है. इसी गांव में तालाब के बीच दुनिया का इकलौता माता कौशल्या का मंदिर है. इस मूर्ति में राम लल्ला माता कौशल्या के गोद में खेल रहे हैं.
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चंदखुरी के मंदिर के पुजारी संतोष शर्मा ने एबीपी न्यूज को बताया कि चंदखुरी को माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है. इस लिहाज से चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल के रूप में प्रसिद्ध है.
चंदखुरी के मंदिर के पुजारी संतोष शर्मा ने एबीपी न्यूज को बताया कि चंदखुरी को माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है. इस लिहाज से चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल के रूप में प्रसिद्ध है.
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भगवान राम ने अपने बाल्यपन का काफी समय भी अपने ननिहाल में बिताया है. वहीं वनवास के 14 वर्ष में से लगभग 10 वर्ष की समय वे छत्तीसगढ़ के अलग-अलग स्थानों पर रहे हैं. हमारी 4 पीढ़ी मंदिर की पूजा-अर्चना करती आ रही है.
भगवान राम ने अपने बाल्यपन का काफी समय भी अपने ननिहाल में बिताया है. वहीं वनवास के 14 वर्ष में से लगभग 10 वर्ष की समय वे छत्तीसगढ़ के अलग-अलग स्थानों पर रहे हैं. हमारी 4 पीढ़ी मंदिर की पूजा-अर्चना करती आ रही है.
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दुनिया का इकलौता माता कौशल्या का मंदिर है इसलिए प्रदेश ही नहीं देश के कोने कोने से लोग आते हैं. इस गांव में 100 से अधिक तालाब है. इसी तरह तालाबों के बीच टापू को तरह मंदिर दिखाई पड़ता है.
दुनिया का इकलौता माता कौशल्या का मंदिर है इसलिए प्रदेश ही नहीं देश के कोने कोने से लोग आते हैं. इस गांव में 100 से अधिक तालाब है. इसी तरह तालाबों के बीच टापू को तरह मंदिर दिखाई पड़ता है.
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मंदिर के अगल बगल लक्ष्मीनारायण और समुद्र मंथन की प्रतिमा बनाई गई है. वहीं तालाब में ढेर सारी मछलियां है. जिसे पर्यटक मुर्रा खिलाते है.
मंदिर के अगल बगल लक्ष्मीनारायण और समुद्र मंथन की प्रतिमा बनाई गई है. वहीं तालाब में ढेर सारी मछलियां है. जिसे पर्यटक मुर्रा खिलाते है.
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मंदिर का मुख्य द्वार के पास भगवान राम की विशाल काय प्रतिमा बनाई गई है. पर्यटक यहां अक्सर तस्वीर खिंचवाते दिखते है. इसकी ऊंचाई 51 फीट है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि हर साल नवरात्रि में यहां विशेष पूजा अर्चना होती है.
मंदिर का मुख्य द्वार के पास भगवान राम की विशाल काय प्रतिमा बनाई गई है. पर्यटक यहां अक्सर तस्वीर खिंचवाते दिखते है. इसकी ऊंचाई 51 फीट है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि हर साल नवरात्रि में यहां विशेष पूजा अर्चना होती है.
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इसके अलावा राम नवमी में यहां पूजा होती है. सरकार की मदद से इस जगह को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. इससे आस पास बहुत दुकान खुल गए है साथ ही नए नए डेवलपमेंट का काम चल रहा है.
इसके अलावा राम नवमी में यहां पूजा होती है. सरकार की मदद से इस जगह को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. इससे आस पास बहुत दुकान खुल गए है साथ ही नए नए डेवलपमेंट का काम चल रहा है.
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रामायण काल से जुड़ी कहानी भी इस मंदिर परिसर में नजर आती है. लंका के वैद्य राज सुखैन की प्रतिमा इस परिसर में है. इसको लेकर पंडित संतोष शर्मा ने बताया कि लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा था तब हनुमान जी इन्हें लंका से लेकर आए थे. इलाज के बाद जब वैद्य राज को वापस लंका लेकर गए तो रावण को पता चला शत्रु का उपचार करने की सजा दी और लंका से वैद्य राज को निकाल दिया गया. इसके बाद भगवान राम के पास वापस आए तो भगवान राम ने उन्हें चंदखुरी भेज दिया. इसके बाद चंदखुरी के रहने वालों का इलाज करते थे.
रामायण काल से जुड़ी कहानी भी इस मंदिर परिसर में नजर आती है. लंका के वैद्य राज सुखैन की प्रतिमा इस परिसर में है. इसको लेकर पंडित संतोष शर्मा ने बताया कि लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा था तब हनुमान जी इन्हें लंका से लेकर आए थे. इलाज के बाद जब वैद्य राज को वापस लंका लेकर गए तो रावण को पता चला शत्रु का उपचार करने की सजा दी और लंका से वैद्य राज को निकाल दिया गया. इसके बाद भगवान राम के पास वापस आए तो भगवान राम ने उन्हें चंदखुरी भेज दिया. इसके बाद चंदखुरी के रहने वालों का इलाज करते थे.

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