In Pics: मकर संक्रांति पर मंत्री ने उड़ाई पतंग, इंडोनेशिया का ऐसा पतंग देख खूब रोमांचित हुए लोग, देखें तस्वीरें
छत्तीसगढ़ में भी इस मौके पर कई सामूहिक आयोजन किए गए. सरगुजा सेवा समिति के द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उत्सव का आयोजन किया गया. इस आयोजन के मुख्य अतिथि प्रदेश के खाद्यमंत्री अमरजीत भगत रहे, उन्होंने भी मकर संक्रांति की परंपरा को कायम रखते हुए पतंग उड़ाई.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appदरअसल, मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर हर साल अम्बिकापुर शहर के मल्टीपरपज स्कूल प्रांगण में पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है.
इस वर्ष भी पतंग उत्सव में पतंग काटो व फैंसी पतंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस आयोजन में 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. वहीं इस पतंग उत्सव में इंडोनेशिया की उड़ने वाली पतंग आकर्षण का केंद्र रही.
अम्बिकापुर शहर के मुकेश अग्रवाल फैंसी पतंग प्रतियोगिता में इंडोनेशिया में बनी बाज रूपी पतंग लेकर पहुंचे, इसके अलावा कई लोग फैंसी पतंग लेकर मल्टीपरपज स्कूल के प्रांगण में उपस्थित हुए.
इस पतंग उत्सव कार्यक्रम में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत भी शामिल हुए और विजेताओं को पुरस्कार का वितरण किया. इस दौरान खाद्य मंत्री अमरजीत भगत पतंग उड़ाते नजर आए और लोगों को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दी.
पतंग उत्सव में बाज के आकार का पतंग लेकर आए मुकेश अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने यह पतंग जुलाई 2019 में इंडोनेशिया में एक फेस्टिवल से शामिल होने गए थे, तब वहां से दो पतंग लाए थे. यह दिखने में नॉर्मल पतंग से एकदम अलग और आकर्षक है.
उन्होंने इसकी विशेषता बताते हुए कहा कि इस पतंग को उड़ाने के लिए नॉर्मल धागे का ही प्रयोग किया जाता है. इसमें एयरबोर्ड लगा हुआ होता है, इस पतंग में भी बांस लगी होती है. मुकेश अग्रवाल ने बताया कि पतंग उड़ाने में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया.
मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि तिल संक्रांत के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है. पूरे शहरवासी मजे के साथ पतंग उड़ाते है, लोग उत्साह के साथ भाग लेते है.
पतंग उड़ाना भी एक कला है, जो हर किसी को नहीं आता. पतंग उत्सव के आयोजकों को बधाई, क्योंकि ऐसे आयोजन से एक अच्छा माहौल बनता है. सब मिल जुलकर इस आयोजन में भाग लेते है.
उन्होंने आगे कहा कि, एक व्यक्ति ने इंडोनेशिया से पतंग मंगाया है, जिसे देखकर काफी प्रसन्नता हुई. इसका एक धार्मिक पक्ष भी है, गंगा स्नान और सूर्य दर्शन का, इसमें तिल खाने का भी एक परंपरा है. हमने एक दूसरे को तिल खिलाकर एक दूसरे को बधाई दी.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -