In Pics: जल्द मार्केट में आएगा ज्यादा उत्पादन वाले किस्म का मछली बीज! थाईलैंड के साइंटिस्ट मिलकर कर रहे मछलियों के जेनेटिक्स पर रिसर्च
राजधानी रायपुर से लगे रामपुर गांव में थाईलैंड के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से मछली रिसर्च केन्द्र स्थापना की गई है. इसे देखने के लिए राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के अधिकारी छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं. दरअसल राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड मुख्य कार्यकारी डॉ. सी. सुवर्णा यहां दो दिवसीय दौरे के दौरान छत्तीसगढ़ पहंची हैं. बुधवार को बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के ग्राम रामपुर में संचालित मछली पालन उक्त की एक्वा जेनेटिक केन्द्र का दौरा किया.
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View In Appसाथ ही डॉ. सुवर्णा ने इसी जिले के सिमगा विकासखण्ड के ग्राम बाईकोनी में स्थित प्रतिदिन 100 टन उत्पादन की क्षमता वाले बड़े प्राइवेट मत्स्य आहार केन्द्र का शुभारंभ भी किया. यह मंडल एक्वाटेक प्राइवेट लिमिटेड स्थापित किया जा रहा है.
एक्वा जेनेटिक के इस केन्द्र की स्थापना एम हेचरी रायपुर एवं मनीत ग्रुप थाईलैंड के संयुक्त उपक्रम द्वारा की गई है. इस रिसर्च केन्द्र में थाईलैंड के वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ ही प्रशिक्षण भी देंगें. लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैले इस अनुसंधान केन्द्र में मछली के जेनेटिक्स पर अनुसंधान के साथ-साथ तिलापिया मछली बीज का उत्पादन भी किया जा रहा है. इसके अलावा यहां मत्स्य कृषकों को मछली पालन के अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
प्राइवेट सेक्टर में स्थापित होने वाला छत्तीसगढ़ और देश में अपने तरह का यह पहला केन्द्र है. रामपुर गांव में स्थापित अनुसंधान केन्द्र से छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के किसानों को उन्नत किस्म के मछली के बीज की की आपूर्ति हो सकेगी. इससे छत्तीसगढ़ मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करेगा. इसके अलावा बड़े मत्स्य आहार केन्द्र के प्रारंभ होने से प्रदेश के किसानों को स्थानीय स्तर पर कम दर पर मत्स्य मिलेगा.
मुख्य कार्यकारी डॉ. सुवर्णा ने छत्तीसगढ़ में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यो की तारीफ में कहा कि छत्तसीगढ़ में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बेहतर क्रियान्वयन पर खुशी जाहिर की है. उन्होंनें मछली पालन के लिए छत्तीसगढ़ को मिले दो राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी. डॉ. सुवर्णा ने कहा की यह बहुत अच्छी बात है कि छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के हर घटक पर तेजी से और वैज्ञानिक तरीके से प्रगति कर रहा है. यहा महिला समूहों द्वारा जो खुले खदानों में मत्स्य पालन का कार्य प्रेरणादायी है.
राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड की सीई डॉ. सुवर्णा ने सिमगा विकासखण्ड के ग्राम खेरवारी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा बंद हो चुके खदानों में केज कल्चर विधि से किये जा रहे मछली पालन का भी दौरा किया है. समूह द्वारा यहॉ मछली पालन के लिए 12 केज तैयार किये गए इस प्रोजेक्ट की लागत 36 लाख रूपए है. इसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत और डी.एम.एफ से 40 प्रतिशत अनुदान दिया गया है.
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