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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
In Pics: किताबों पर नहीं छत पर टिकी रहती हैं छात्रों की नजरें, कहीं कोई हादसा न हो जाए, देखें तस्वीरें
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्कूली बच्चे जर्जर भवन में जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने पर मजबूर हैं. अभी बरसात के दिनों में हालात इस कदर बिगड़े हुए हैं कि स्कूल की छत टपक रही है.
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View In Appक्लॉस रूम में पढ़ाई कर रहे बच्चों का ध्यान हमेशा ऊपर की ओर लगा रहता है कि कहीं कुछ गिर ना जाए. मामला शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बतौली का है. यह आजादी के बाद से बतौली क्षेत्र का पहला स्कूल था जहां 20 से 25 किलोमीटर से बच्चे पढ़ने आते थे.
लेकिन वर्तमान में यह खपरैल स्कूल भवन जर्जर हो चुका है. बरसात के दिनों में छात्र पानी से भरे फर्श में बैठकर पढ़ाई करने पर मजबूर हैं. ऐसे में छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द जर्जर भवन का मरम्मत कराया जाए, जिससे पढ़ाई के दौरान किसी तरह की कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े.
दरअसल, शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बतौली का भवन काफी पुराना है. जिसका छत खपरैल का बना हुआ है. लंबे समय से मरम्मत के अभाव में स्कूल भवन की हालत जर्जर हो गई है.
स्कूल की खपरैल वाली छत पर घास उग आए है. इस स्कूल में वर्तमान में 829 छात्र अध्ययन करते हैं. जिनके सामने बरसात के मौसम में परेशानी खड़ी हो गई है. स्कूल के कई कमरों के छत टपक रहे हैं, ज्यादा बारिश होने से क्लास रूम में पानी भर जा रहा है. ऐसे समय में छात्रों को इधर उधर भागना पड़ता है. जिससे अध्यापन कार्य प्रभावित हो रही है.
बताया गया कि इस स्कूल के नाम पर नया भवन बनाया गया है, लेकिन आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलने के बाद नए भवन को आत्मानंद इंग्लिश मीडियम को ये कहकर दे दिया गया कि पुराने भवन को अच्छे से मरम्मत करा दिया जाएगा.
लेकिन आज तक भवन का मरम्मत नहीं करवाया जा सका है. स्कूल प्रबंधन द्वारा इसकी शिकायत कई बार उच्च अधिकारियों से की गई लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की जा सकी है.
छात्र सूरज गुप्ता ने बताया कि पुराने बिल्डिंग में ठंड के दिनों में बहुत समस्या होती है. बरसात में छत से पानी टपक रहा है. बैठने के दौरान हमेशा यह डर बना रहता है कि ऊपर से कुछ गिरे मत. इसके अलावा क्लास रूम में पानी भर जाता है. इससे छात्र इधर उधर भटकते रहते है. हमारी मांग है कि बिल्डिंग अच्छी तरह रिपेयरिंग हो जाए. जिससे अच्छे से पढ़ाई कर सकें.
प्रभारी प्राचार्य विजय बहादुर यादव ने बताया कि हमारा विद्यालय पुराना और नए भवन में लग रहा है. नया भवन आत्मानंद को दे दिया गया. इसलिए सारे बच्चों को पुराने भवन में बैठा रहे हैं और भवन की स्थिति जर्जर है.
इसमें बहुत से कमरे ऐसे हैं जिसमें शैक्षणिक व्यवस्था संपादित करने में बड़ी परेशानी होती है. कभी पानी टपकता है, जिस समय बरसात नहीं होता उस समय ठीक रहता है, लेकिन जैसे ही बरसात शुरू होता है. छतों से पानी टपकना शुरू हो जाता है और खपरैल है तो कीड़े भी गिरते हैं.
यह भवन अत्यंत पुराना है, जिसमें अभी कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है. उन्होंने आगे बताया कि इसकी कई बार शिकायत की जा चुकी है. जिस समय आत्मानंद बना, उस समय नए भवन को अधिग्रहित किए.
उस समय यह बोले थे कि पुराने भवन को दुल्हन की तरह सजाकर बच्चों का क्लास लगाने के लिए देंगे, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है. यहां ज्यादातर आदिवासी अंचल के बच्चे पढ़ते है.
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