In Pics: दलपत सागर के बीच स्थित है 200 साल पुराना शिव मंदिर, जानें स्थापना से जुड़ी ये पौराणिक रोचक कहानी, देखें तस्वीरें
आज इन मंदिरों में महाशिवरात्रि के मौके पर हजारों की संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है. बस्तर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है भूपालेश्वर महादेव का मंदिर. इस मंदिर की खासियत यह है कि इसे रियासत काल में प्रदेश के सबसे बड़े तालाब दलपत सागर के बीच बनाया गया है, करीब 200 साल पुरानी मंदिर में भक्त मोटर बोट के जरिए सागर के बीच में स्थित मंदिर में पहुंचते हैं और सैकड़ों साल पुराने भूपालेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं.
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View In Appबस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव बताते हैं कि लगभग आज से ढाई सौ साल पहले बस्तर के काकतीय चालुक्य राजा दलपत देव ने जगदलपुर की नींव रखकर अपनी राजधानी बनाई, महाराजा दलपत देव ने राजधानी जगदलपुर में विशाल तालाब खुदवाया जो कि महाराजा के नाम पर ही दलपत सागर के रूप में प्रसिद्ध है.
महाराजा दलपत देव के चार पांच पीढ़ियों बाद बस्तर के राजा बने भूपाल देव जिनकी शासन की अवधि 1842 से 1853 तक मात्र 11 वर्ष थी, महाराजा भूपाल देव भगवान शिव के परम भक्त थे ,इन्होंने अपनी रानी वृंदकुंवर बघेलीन की प्रेरणा से दलपत सागर के मध्य शिव मंदिर बनवाया था.
यह मंदिर उनके नाम पर भूपालेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है, यह छोटा सा शिव मंदिर दलपत सागर के मध्य में एक टापू पर स्थित है, और यहां सिर्फ नाव के जरिये ही पहुंचा जा सकता है.
महाराजा भूपाल देव के लगभग 34 वर्ष की उम्र में पुत्र भैरमदेव के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, पुत्र प्राप्ति को भगवान शिव का आशीर्वाद मानते हुए दलपत सागर के मध्य यहां शिव मंदिर बनाया था, लगभग 200 साल से अधिक पुराना यह मंदिर बस्तर के काकतीय चालुक्य राजवंश के कुछ चुनिंदा स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है.
कमलचंद भंजदेव ने बताया कि1962 तक इस मंदिर तक पहुंचने के लिए डोंगी की व्यवस्था रहती थी और महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों ग्रामीण भगवान शिव के दर्शन करने के लिए पहुंचते थे और इन श्रद्धालुओं के लिए 200 से भी अधिक डोंगी हुआ करती थी. वहीं वर्तमान में महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं के लिए नगर निगम द्वारा मंदिर तक पहुंचने के लिए मोटर बोट की व्यवस्था की जाती है.
इस मंदिर की खासियत यह है कि सागर के बीच टापू में स्थित इस मंदिर में शाम होते ही यहां मौजूद हरे भरे पेड़ पौधों में हजारों की संख्या में अलग-अलग प्रजाति की पक्षियां मौजूद रहती है, कई पक्षियों का यह रहवास बन गया है. इस साल भी महाशिवरात्रि के मौके पर सुबह से ही दलपत सागर के भूपालेश्वर महादेव के दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं.
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