In Pics: युवाओं ने की नये वाटरफॉल की खोज, सोशल मीडिया पर इसकी खूबसूरती की चर्चा जोरों पर, देखें तस्वीरें
बैलाडीला के पहाड़ियों के बीच घनघोर जंगलों के बीच इस वाटरफॉल को युवाओं ने ढूंढा है और अब इस वाटरफॉल की वीडियो तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हो रही है, यही नहीं इस जगह को छत्तीसगढ़ का जुरासिक पार्क भी कहा जा रहा है, क्योंकि यहां वन विभाग ने ट्री फर्न के सैकड़ों पेड़ पौधे होने की पुष्टि की है.
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View In Appइस वॉटरफॉल तक पहुंचने से पहले ट्री फर्न के गार्डन के बीच से एक पतली पगडंडी से गुजरना पड़ता है. फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी अशोक सोनवानी का कहना है कि बैलाडीला की पहाड़ी में कई दुर्लभ प्राजाति की वनस्पतियां और जीव-जंतु हैं, और इनमें से एक है ट्री फर्न, कुछ साल पहले बैलाडीला की पहाड़ी पर आकाश नगर के पास ट्री फर्न के कुछ छोटे-छोटे पेड़ पौधे मिले थे, जिसे राष्ट्रीय औषधि और पादप मंडल ने संरक्षित कर रखा है.
राजधानी रायपुर से 500 किमी दूर और किरन्दुल शहर से करीब 20 किमी दूर बैलाडीला के पहाड़ियों के बीच विशाल वाटरफॉल और ट्री फर्न के सैकड़ो पेड़ पौधे मौजूद है, यह खूबसूरत वाटरफॉल और ट्री फर्न का गार्डन अब तक किसी के भी नजर में नहीं आया था, स्थानीय लोग इस जगह हो हरी घाटी के नाम से जानते है. नक्सली दहशत और घनघोर जंगल होने की वजह से अब तक यहां कोई नहीं पहुंच सका था.
युवाओं की 'मैं बस्तर' की टीम पहली बार यहां पहुंची और इस खूबसूरत वाटरफॉल को अपने मोबाइल में कैद किया, वाटरफाल के साथ साथ ट्री फर्न के पेड़ पौधों का भी वीडियो बनाया. टीम के युवा बप्पी राय ने बताया कि इस जगह तक पहुचने के लिए उनकी टीम को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, दुर्गम रास्ते और जीव जंतुओं के डर के बीच उनकी 5 सदस्यों की टीम यहां पहुंच सकी और उन्होंने सोशल मीडिया में इस खूबसूरत वॉटरफॉल और ट्री फर्न गार्डन की तस्वीर ली और सोशल मीडिया में वायरल किया.
फॉरेस्ट अधिकारी अशोक सोनवानी ने कहा कि, पूरे विश्व में अफ्रीका और अमेरिका के बाद बैलाडीला की पहाड़ी में जुरासिक काल का ट्री फर्न का पौधा मिला है, ट्री फर्न के पेड़-पौधे मिलने के बाद रिसर्च के मुताबिक यह अनुमान लगाया गया था कि जुरासिक काल में यहां भी शाकाहारी डायनासोर की प्राजाति थी, जिन जगहों पर बड़ी मात्रा में ट्री फर्न के पेड़ पौधे होते थे.
वहां डायनासोर की संख्या भी अधिक होती थी, अब जिन-जिन जगहों पर ट्री फर्न मिले हैं उन जगहों का संरक्षण किया जा रहा है, उन्होंने बताया कि, इसके लिए ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है.
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