In Pics: बस्तर के जंगलों में है 'पुष्पा का राज', हर साल करोड़ों की बेशकीमती लकड़ियां पार कर रहे तस्कर
सागौन, साल, बीज और पाइन के पेड़ बड़ी संख्या में बस्तर के जंगलों में मौजूद हैं. यही वजह है कि अर्न्तराज्जीय तस्करों की नजर हमेशा बस्तर के इन बेशकीमती लकड़ियों में रहती है, पिछले कुछ सालों से बस्तर के जंगलों में 'पुष्पा का राज' चल रहा है. हर साल करोड़ों रुपए की बेशकीमती लकड़ियां बस्तर से पार हो रही है. आलम यह है कि बस्तर संभाग के मुख्य चार जिलों में पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हुई है.
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View In Appतस्करों के हौसले इस कदर बुलंद है कि बकायदा इन जंगलों में अपना राज चला रहे हैं, और पेड़ों की कटाई कर दूसरे राज्यों में बेचकर अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं. वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सागौन की कालाबाजारी कर हर साल लकड़ी तस्कर 8 से 10 कऱोड़ रुपये की कमाई करते हैं, इन तस्करों में स्थानीय और आंध्र प्रदेश, ओड़िसा के अलावा तेलंगाना के भी एक तस्कर शामिल हैं, जिन्हें अब बस्तर के जंगलों का 'पुष्पा' कहा जाने लगा है, और पिछले कुछ सालों से बस्तर के जगंलों में 'पुष्पा का राज' चल रहा है.
बस्तर संभाग के सुकमा, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव में बड़ी संख्या में सागौन के पेड़ मौजूद है या यूं कहे तो छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक बस्तर में ही सागौन के पेड़ पाए जाते हैं. हर साल इन पेड़ों की कटाई कर वन विभाग को इससे अच्छी खासी राजस्व भी मिलती है, लेकिन पिछले कुछ सालों से बस्तर के जंगलों में खासकर सागौन और साल और बीज के पेड़ों में तस्करों की नजर है.
यही वजह है कि अंदरूनी इलाकों में तस्कर सक्रिय होकर अंधाधुध बेशकीमती पेड़ों की कटाई कर रहे हैं और लकड़ियों की तस्करी कर करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं, हालांकि वन विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि इन तस्करों के धरपकड़ के लिए बकायदा उड़नदस्ता की टीम बनाई गई है जो समय समय पर बड़ी कार्यवाही भी करते हैं और कई जगह से छापेमारी कर लाखों रुपए के चिरान भी वन विभाग ने बरामद किये है.
लेकिन वन विभाग के अधिकारी भी खुद मानते हैं कि तस्करों की धरपकड़ में कोई बड़ी सफलता विभाग को हाथ नहीं लगी है, आसानी से तस्कर वन विभाग के टीम को चकमा देकर फरार हो जाते हैं, खास बात यह है कि बस्तर के जिन क्षेत्रो को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है उन जगहों पर सबसे ज्यादा पेड़ों की कटाई और लकड़ियों की तस्करी होती है.
बस्तर के मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद का कहना है कि बस्तर के अंदरूनी इलाकों में कई बार तस्कर वन विभाग की टीम पर जानलेवा हमला भी कर चुके हैं. कुछ साल पहले बस्तर जिले के माचकोट फॉरेस्ट एरिया में तस्करों ने रेंजर समेत डिप्टी रेंजर और वन विभाग के अन्य कर्मचारियों पर जानलेवा हमला किया था. जिसमें सभी वन कर्मचारी बुरी तरह से घायल हो गए थे, वनों की सुरक्षा के लिए वन विभाग की टीम के पास मात्र एक लाठी ही सहारा है, जबकि तस्कर धारदार हथियारों से लैस होते हैं, ऐसे में कर्मचारियों की जानमाल की सुरक्षा भी विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है.
हालांकि कई बार लिखित में भी तस्करी रोकने के लिए वन कर्मचारियों को हथियार देने की मांग की गई है ,लेकिन इस पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है ,लेकिन विभाग की टीम की कोशिश होती है कि कैसे भी बस्तर के इन बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी होने से रोका जा सके और समय-समय पर सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम स्थानीय पुलिस की मदद से छापेमार और तस्करों पर कार्यवाही भी करती है.
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