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In Pics: इन खास पांच जगहों पर बिता सकते हैं सर्दियों और क्रिसमस की छुट्टियां, देखें तस्वीरें

लोग सर्दियों की छुट्टी मनाने के लिए पर्यटन स्थलों पर जाना चाहते हैं लेकिन कुछ लोग जानकारी के अभाव में इन स्थानों तक पहुंच नहीं पाते. जानें पांच स्थान जहां आप छुट्टियां बिताने के लिए जा सकते हैं.

लोग सर्दियों की छुट्टी मनाने के लिए पर्यटन स्थलों पर जाना चाहते हैं लेकिन कुछ लोग जानकारी के अभाव में इन स्थानों तक पहुंच नहीं पाते. जानें पांच स्थान जहां आप छुट्टियां बिताने के लिए जा सकते हैं.

इन पांच जगहों पर बिता सकते हैं सर्दियों और क्रिसमस की छुट्टियां

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छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाना वाला मैनपाट जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 45 किलोमीटर दूर है और दूसरे रास्ते से सीतापुर से 35 किलोमीटर दूर है. दोनों ही तरफ से पहाड़ी रास्तों से गुजरना है. यहां तक पहुंचने के लिए दोनों तरफ की सड़कें अच्छी लेकिन घुमावदार हैं. यहां पहुंचने के बाद आपको सच में किसी हिल स्टेशन या फिर ये कहें कि शिमला की याद आ जाएगी. यहां पर घूमने के लिए टाईगर प्वाईंट झरना, मछली प्वाईंट झरना, उलटा पानी, जलजली, महेता प्वाईंट व्यू, नाशपति गार्डेन, एप्पल, आळू बुखारा औऱ सतालू गार्डेन के अलावा कई छोटे बडे झरने हैं. जो अनायास ही पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाते हैं. सर्दियों के दिन में यहां तापमान 0 डिग्री या फिर कभी कभार उसके नीचे भी चला जाता है.
छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाना वाला मैनपाट जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 45 किलोमीटर दूर है और दूसरे रास्ते से सीतापुर से 35 किलोमीटर दूर है. दोनों ही तरफ से पहाड़ी रास्तों से गुजरना है. यहां तक पहुंचने के लिए दोनों तरफ की सड़कें अच्छी लेकिन घुमावदार हैं. यहां पहुंचने के बाद आपको सच में किसी हिल स्टेशन या फिर ये कहें कि शिमला की याद आ जाएगी. यहां पर घूमने के लिए टाईगर प्वाईंट झरना, मछली प्वाईंट झरना, उलटा पानी, जलजली, महेता प्वाईंट व्यू, नाशपति गार्डेन, एप्पल, आळू बुखारा औऱ सतालू गार्डेन के अलावा कई छोटे बडे झरने हैं. जो अनायास ही पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाते हैं. सर्दियों के दिन में यहां तापमान 0 डिग्री या फिर कभी कभार उसके नीचे भी चला जाता है.
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बिलासपुर संभाग में स्थित अचानक मार्ग वन्य जीव अभ्यारण अपने घने और किस्म किस्म के बेशकीमती पेड़ों और वन्यजीवों के लिए काफी चर्चित है. अचानकमार वन्यजीव अभ्यारण छत्तीसगढ का प्रसिद्ध अभ्यारण मे से एक है. सर्दियों के मौसम मे फैमली और फ्रैंड्स के साथ घूमने के लिए एक उपयुक्त स्थान है. यहां पहुंचकर आप अपने आपको वन्यजीवों और प्रकृति दोनों के साथ रहने का लुफ्त उठा सकते हैं. यहां पर मुख्यत: छत्तीसगढ का राजकीय पशु वन भैंसा, बंगाल टाईगर और तेंदुआ के साथ कई विलुप्त होती प्रजाति के पशु पक्षी देखे जा सकते हैं. अचानकमार वन्यजीव अभ्यारण संभाग मुख्यालय बिलासपुर से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर सड़क मार्ग से जाया जा सकता है. बिलासपुर के अलावा यहां पहुंचने के लिए मरवाही पेण्ड्रा की तरफ से भी रास्ता है.
बिलासपुर संभाग में स्थित अचानक मार्ग वन्य जीव अभ्यारण अपने घने और किस्म किस्म के बेशकीमती पेड़ों और वन्यजीवों के लिए काफी चर्चित है. अचानकमार वन्यजीव अभ्यारण छत्तीसगढ का प्रसिद्ध अभ्यारण मे से एक है. सर्दियों के मौसम मे फैमली और फ्रैंड्स के साथ घूमने के लिए एक उपयुक्त स्थान है. यहां पहुंचकर आप अपने आपको वन्यजीवों और प्रकृति दोनों के साथ रहने का लुफ्त उठा सकते हैं. यहां पर मुख्यत: छत्तीसगढ का राजकीय पशु वन भैंसा, बंगाल टाईगर और तेंदुआ के साथ कई विलुप्त होती प्रजाति के पशु पक्षी देखे जा सकते हैं. अचानकमार वन्यजीव अभ्यारण संभाग मुख्यालय बिलासपुर से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर सड़क मार्ग से जाया जा सकता है. बिलासपुर के अलावा यहां पहुंचने के लिए मरवाही पेण्ड्रा की तरफ से भी रास्ता है.
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जगदलपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर अबूझमाड के प्रकृति की गोद मे बसा हंदवाडा जलप्रपात काफी सूबसूरत स्थान है. यहां तक पहुंचने के लिए काफी मश्कक्त करनी पड़ती है. इसलिए हंदवाडा जल प्रपात अनटचड् ब्यूटी है. छत्तीसगढ के अन्य चर्चित झरनों औऱ जलप्रपातों की चर्चा तो अब आम हो गई है. हंदवाडा जल प्रपात अबूझमाड का एक ऐसा स्थान है. जहां सुरक्षा की दृष्टि इंसानों की चहलकमी काफी कम है. फिल्म दुनिया में कई रिकार्ड धवस्त करने वाली बाहुबली फिल्म की शूटिंग भी यहीं पर होती जिसके लिए निर्माता औऱ निर्देशक ने इस स्थान को चुना था. लेकिन फिर सुरक्षा कारणों से इस स्थान पर फिल्म की शूटिंग नहीं हो पाई. ऐसे में ये जरूरी है कि सरकार को इस स्थान को सुरक्षित कर पर्यटकों के लिए बेहतर बना देना चाहिए.
जगदलपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर अबूझमाड के प्रकृति की गोद मे बसा हंदवाडा जलप्रपात काफी सूबसूरत स्थान है. यहां तक पहुंचने के लिए काफी मश्कक्त करनी पड़ती है. इसलिए हंदवाडा जल प्रपात अनटचड् ब्यूटी है. छत्तीसगढ के अन्य चर्चित झरनों औऱ जलप्रपातों की चर्चा तो अब आम हो गई है. हंदवाडा जल प्रपात अबूझमाड का एक ऐसा स्थान है. जहां सुरक्षा की दृष्टि इंसानों की चहलकमी काफी कम है. फिल्म दुनिया में कई रिकार्ड धवस्त करने वाली बाहुबली फिल्म की शूटिंग भी यहीं पर होती जिसके लिए निर्माता औऱ निर्देशक ने इस स्थान को चुना था. लेकिन फिर सुरक्षा कारणों से इस स्थान पर फिल्म की शूटिंग नहीं हो पाई. ऐसे में ये जरूरी है कि सरकार को इस स्थान को सुरक्षित कर पर्यटकों के लिए बेहतर बना देना चाहिए.
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कोरिया जिले का मुख्य पर्यटन स्थल है. यह हसदेव नदी पर बनने वाला एक सुंदर जलप्रपात है. यह जलप्रपात बैकुंठपुर और मनेंद्रगढ रोड में स्थित है. यह जलप्रपात मुख्य सड़क से अंदर के तरफ जंगल में स्थित है और बहुत सुंदर है. अमृतधारा जलप्रपात करीब 90 फीट ऊंचा है. जलप्रपात चट्टानों के ऊपर से नीचे बहता है और बहुत ही सुंदर लगता है. यह जलप्रपात बहुत ही अच्छी तरह से विकसित किया गया है. छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग की ओर से जलप्रताप के आसपास पर्यटकों के लिए काफी सुविधाएं विकसित की गई है. अमृतधारा जलप्रपात के पास में छोटा सा गार्डन बनाया गया है, जहां पर पिकनिक मना सकते हैं और बच्चों के लिए प्ले एरिया भी स्थित है.
कोरिया जिले का मुख्य पर्यटन स्थल है. यह हसदेव नदी पर बनने वाला एक सुंदर जलप्रपात है. यह जलप्रपात बैकुंठपुर और मनेंद्रगढ रोड में स्थित है. यह जलप्रपात मुख्य सड़क से अंदर के तरफ जंगल में स्थित है और बहुत सुंदर है. अमृतधारा जलप्रपात करीब 90 फीट ऊंचा है. जलप्रपात चट्टानों के ऊपर से नीचे बहता है और बहुत ही सुंदर लगता है. यह जलप्रपात बहुत ही अच्छी तरह से विकसित किया गया है. छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग की ओर से जलप्रताप के आसपास पर्यटकों के लिए काफी सुविधाएं विकसित की गई है. अमृतधारा जलप्रपात के पास में छोटा सा गार्डन बनाया गया है, जहां पर पिकनिक मना सकते हैं और बच्चों के लिए प्ले एरिया भी स्थित है.
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छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के महानदी पर गंगरेल डैम बना हुआ है. इसे छत्तीसगढ़ के टॉप टूरिस्ट प्लेस के रूप में देखा जाता है. आम तौर पर डेम का नाम सुनकर खेती औऱ पीने के लिए जमा किए पानी की याद आती है. लेकिन गैंगरेल की बात ही कुछ और है. गंगरेल डैम को रविशंकर सागर बांध के नाम से भी जाना जाता है. इस डैम का निर्माण 1978 में किया गया था.
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के महानदी पर गंगरेल डैम बना हुआ है. इसे छत्तीसगढ़ के टॉप टूरिस्ट प्लेस के रूप में देखा जाता है. आम तौर पर डेम का नाम सुनकर खेती औऱ पीने के लिए जमा किए पानी की याद आती है. लेकिन गैंगरेल की बात ही कुछ और है. गंगरेल डैम को रविशंकर सागर बांध के नाम से भी जाना जाता है. इस डैम का निर्माण 1978 में किया गया था.
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महानदी पर बना यह डैम अपने अंदर अथाह जल राशि समाने के साथ छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा डैम है. इसे देखने के लिए विदेश से भी पर्यटक दस्तक देते हैं. यह डैम इतना विशाल है कि इसे देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे समुद्र अलग-अलग दीपों से घिरा हुआ है. डैम के पास जाने के बाद जहां तक नजर दौड़ाएं वहां तक पानी ही पानी नजर आता है. ऐसा लगता है असली समुद्र है और सर्दियों में यहां पर खिलने वाली धूप का अलग ही आनंद है.
महानदी पर बना यह डैम अपने अंदर अथाह जल राशि समाने के साथ छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा डैम है. इसे देखने के लिए विदेश से भी पर्यटक दस्तक देते हैं. यह डैम इतना विशाल है कि इसे देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे समुद्र अलग-अलग दीपों से घिरा हुआ है. डैम के पास जाने के बाद जहां तक नजर दौड़ाएं वहां तक पानी ही पानी नजर आता है. ऐसा लगता है असली समुद्र है और सर्दियों में यहां पर खिलने वाली धूप का अलग ही आनंद है.

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