Independence Day 2022 Special: पांच दुश्मनों को मौत के घाट उताकर खाई थी सीने पर गोली, जानिए भिलाई के सपूत शहीद कौशल यादव की बहादुरी की दास्तां
Bhilai News: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के आह्वान पर पूरा देश इस स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2022) को आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) रूप में मना रहे है. ऐसे में देश की रक्षा के लिए अपनी जान देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी जा रही है. आज हम एक ऐसे ही वीर सपूत के बारे में बताने जा रहे है जो देश की रक्षा के लिए पांच दुश्मनों को मौत के घाट उतारने के बाद खुद सीने में गोली खाकर देश के लिए शहीद हो गए. चलिए जानते हैं उनकी कहानी.....
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View In Appवैसे तो भारत को वीरों की भूमि कहा जाता है. भारत के जवानों ने कारगिल युद्ध में अपनी शहादत देकर मातृभूमि की रक्षा की थी. भारत माता के सपूत शहीद कौशल यादव (Shaheed Kaushal Yadav) भी उन शहीदों में से एक थे. छत्तीसगढ़ के भिलाई में जन्मे स्क्वाड कमांडर नायक कौशल यादव 25 जुलाई 1999 को कारगिल में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे.
वैसे तो भारत को वीरों की भूमि कहा जाता है. भारत के जवानों ने कारगिल युद्ध में अपनी शहादत देकर मातृभूमि की रक्षा की थी. भारत माता के सपूत शहीद कौशल यादव (Shaheed Kaushal Yadav) भी उन शहीदों में से एक थे. छत्तीसगढ़ के भिलाई में जन्मे स्क्वाड कमांडर नायक कौशल यादव 25 जुलाई 1999 को कारगिल में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे.
टीम के स्क्वाड कमांडर कौशल यादव को “ऑपरेशन विजय” के अंतर्गत जूलु टॉप पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी. 51 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित जूलु टॉप का रास्ता आड़ा तिरछा होने की वजह से वहां तक पहुंच पाना आसान काम नहीं था. वहां का तापमान भी शून्य से 15 डिग्री नीचे था.जिसके चारों तरफ दुश्मनों द्वारा बनाई बारूदी सुरंगें थीं. शहीद कौशल की टीम के सभी सिपाही जूलु टॉप कॉम्प्लेक्स पर थे. कौशल ने अपनी पर्वतारोहण की तकनीकों का उपयोग करके वहां एक रो फिक्स किया था. सुबह के पांच बजे दुश्मनों ने इनकी टीम के 25 जवानों पर ऑटोमेटिक बंदूकों से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.
शहीद कौशल को लगा कि दुश्मन उनकी टीम को वहां से बेदखल करना चाहता है. वह खुद की परवाह किए बगैर आमने-सामने भिड़ गए. दोनों तरफ से लगातार गोलियां चल रही थीं. लेकिन शहीद कौशल के हौसले बुलंद थे. वह ग्रेनेड लेकर आगे बढ़े. उनकी इस वीरता को देखकर दुश्मनों के पसीने छूटने लगे.इस मुठभेड़ में शहीद कौशल ने पांच दुश्मनों को मार गिराया. इसी बीच दुश्मन की एक गोली कौशल के सीने पर लगी और भारत मां का यह वीर सपूत देश रक्षा में शहीद हो गया. स्क्वाड कमांडर नायक कौशल यादव को उनकी इस वीरता, साहस और बलिदान के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
परिवार वाले बताते हैं कि कौशल यादव को बचपन से सेना में जाने का शौक था. वह स्कूल के दिनों से ही सेना के बारे में जानकारी जुटाया करते थे. पढ़ाई लिखाई से ज्यादा उन्हें खेल कूद में रूचि थी. उन्होंने बचन से ही सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी. स्कूली पढ़ाई लिखाई के बाद जब कौशल यादव बीएससी फर्स्ट इयर में थे तभी उनका चयन भारतीय सेना में हो गया.
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