In Pics: जांजगीर चांपा के इस शिवालय में हर समय प्रकृति करती है भगवान शिव का जलाभिषेक! देखें तस्वीर
छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा में स्थित शिवरीनारायण को मंदिरों का शहर कहा जाता है. इसके अलावा भी जिले में ऐसी जगहें है जिसकी अलग पहचान है. उन्हीं में से एक है तुर्रीधाम. यह शिवभक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय जगह है.
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View In Appसावन मास में हजारों शिवभक्त तुर्रीधाम में पूजा अर्चना के लिए पहुंचे हैं और मनोकामना मांगते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार तुर्रीधाम में उपस्थित शिवलिंग प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के समान ही वंदनीय है.
यह शिवालय शक्ति-चांपा मार्ग पर शक्ति नगर से 12 किलोमीटर दूरी पर ग्राम पंचायत बासीन के अंतर्गत स्थित है. यह शिवालय करवाल नामक जलधारा के समीप बना हुआ है.
ग्रामीणों के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण स्थानीय राजा रानी द्वारा कराया गया था लेकिन यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है. वर्तमान में मंदिर पूर्णतः आधुनिक स्वरूप में आ गया है.
इस शिवालय की खासियत अनोखी है. यह शिवालय पूर्वाभिमुख है. इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है. गर्भगृह, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है. इस शिवालय की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जल पुंज/स्त्रोत जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री कहते हैं विद्यमान है.
यह जल स्त्रोत अनादि काल से अनवरत बहता हुआ आ रहा है. इसी जल पुंज के नीचे ही उत्तर मुखी प्राचीन शिवलिंग स्थापित है. जिस पर हर समय प्राकृतिक रूप से शिवलिंग पर अभिषेक होता रहता है. इस जल पुंज की खासियत है कि यह वर्षा ऋतु में इसकी गति धीमी और ग्रीष्म ऋतु में इसकी गति तेज हो जाती है.
इस जलपुंज को स्थानीय लोग गंगा जल के समान ही पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर मानते हैं. इसे बोतलों में भरकर अपने घर लेकर जाते हैं. मान्यता है कि अस्वस्थ होने पर इस जल को पिलाने से लाभ मिलता है. कहा जा सकता है कि प्राचीन काल में मंदिरों का निर्माण जल स्रोतों को देख कर किया जाता था.
यहां जल स्रोत की एक तेज धार बहती है जिसके कारण धीरे-धीरे इस स्थान में कई मंदिरों का निर्माण आरंभ हो गया और आज यह क्षेत्र तुर्रीधाम के रूम में विख्यात है.
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