Koriya News: भगवान राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान सबसे पहले छत्तीसगढ़ के इस जगह पर रुके थे, देखें तस्वीर
वर्तमान समय का छत्तीसगढ़ प्राचीन समय में दंडकारण्य कहा जाता था. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए निकले थे तब छत्तीसगढ़ के 75 स्थानों पर उनके ऐसे चिन्ह मिले है, जहां पर वनवास काल के दौरान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ रुके थे और समय बिताया था.
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View In Appउन्ही में से एक जगह कोरिया जिले में स्थित है. जिसे हरचौका या सीतामढ़ी कहते हैं. इस जगह पर 17 छोटे-छोटे कक्ष हैं. इन सभी कक्षों को पत्थर से काटकर बनाया गया है. ये स्थान मवई नदी के किनारे बसा है.
मान्यता है कि भगवान राम जब वनवास के लिए छत्तीसगढ़ में प्रवेश किए थे. तब इसी स्थान पर उन्होंने एक रात गुजारी थी और यहां पर उनके कुछ अवशेष मिलते हैं.
अभी भी जो शोधकर्ता हैं उनके मुताबिक ये पहला स्थान है जहां पर वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ में श्रीराम चंद्र ने एक रात बिताई थी.
वर्तमान में इस जगह पर हर समय श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. लोग नारियल, फूल, अगरबत्ती लेकर यहां पहुंचते हैं. वे कथा सुनते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. हरचौका में पत्थरों को काटकर जो 17 कक्ष बनाए गए हैं उनमें शिवलिंग और देवियों की मूर्ति है.
बता दें कि जिस गांव में श्रीराम, सीता और लक्षण ने विश्राम किया, वह छत्तीसगढ़ का आखरी गांव है. इसके बाद मध्य प्रदेश का इलाका शुरू हो जाता है. मवई नदी के दूसरे छोर पर मध्य प्रदेश राज्य का क्षेत्र है.
यही वजह है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के लोगों के लिए हरचौका श्रद्धा का केंद्र है. चुंकि यहां का इतिहास श्रीराम से जुड़ा है इसलिए उत्तर प्रदेश के लोग भी यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.
शोधकर्ता मानते हैं कि जब श्रीराम दंडकारण्य के लिए यहां से गुजरे थे तब एक रात गुजारने के बाद यहां से आगे की ओर बढ़े थे. फिर सरगुजा के रामगढ़ होते हुए आगे निकल गए थे. गौरतलब है कि रामायण में भी दंडकारण्य का नाम आता है इसलिए जो इतिहास है वो इस जगह की सच्चाई भी गवाह करता है.
यहां के लोग यह भी मानते हैं कि श्रीराम जब वनवास के लिए निकले थे तब पहली बार इसी स्थान पर पहुंचे थे और एक रात गुजारने के बाद यहां से आगे बढ़े थे.
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