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In Pics: बस्तर में 100 साल पुराना लाल चर्च, खासियत जान हो जाएंगे हैरान, आर्किटेक्चर देख इंजीनियर भी रह जाते हैं दंग

X-Mas 2023: बस्तर के लाल चर्च में लगा क्रॉस 10 km दूर से भी दिखाई देता है. वहीं, चर्च में लगी बेल की आवाज 10 किलोमीटर तक सुनाई देती है. यह बेल 'मेड इन लंदन' है, जिसमें 100 साल बाद भी जंग नहीं लगा.

X-Mas 2023: बस्तर के लाल चर्च में लगा क्रॉस 10 km दूर से भी दिखाई देता है. वहीं, चर्च में लगी बेल की आवाज 10 किलोमीटर तक सुनाई देती है. यह बेल 'मेड इन लंदन' है, जिसमें 100 साल बाद भी जंग नहीं लगा.

बस्तर का लाल चर्च.

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25 दिसम्बर को पूरे देश में क्रिसमस का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर सभी गिरजाघरों को खास तौर पर सजाया गया है. छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर में भी एक ऐसा गिरजाघर है जहां की अपनी अलग खासियत है और यहां हर साल क्रिसमस के मौके पर हजारों की संख्या में लोग यीशु मसीह से प्रार्थना करने आते हैं. साथ ही इस चर्च की भव्यता को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.
25 दिसम्बर को पूरे देश में क्रिसमस का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर सभी गिरजाघरों को खास तौर पर सजाया गया है. छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर में भी एक ऐसा गिरजाघर है जहां की अपनी अलग खासियत है और यहां हर साल क्रिसमस के मौके पर हजारों की संख्या में लोग यीशु मसीह से प्रार्थना करने आते हैं. साथ ही इस चर्च की भव्यता को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.
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दरअसल, 19वीं सदी में बना यह चर्च अब 100 साल पुराना हो चुका है लेकिन आज तक इसकी दीवारों पर एक दरार तक नहीं पड़ी और न ही कभी इसकी नीव हीली. खास बात यह है कि इस चर्च की ऊंचाई इतनी है कि लगभग 10 किलोमीटर दूर से भी देखने पर इस ऊपर लगा क्रॉस आराम से नजर आ जाता है. इसके अलावा, चर्च की बेल करीब 5 से 10 किलोमीटर तक लोगों को सुनाई देती है.
दरअसल, 19वीं सदी में बना यह चर्च अब 100 साल पुराना हो चुका है लेकिन आज तक इसकी दीवारों पर एक दरार तक नहीं पड़ी और न ही कभी इसकी नीव हीली. खास बात यह है कि इस चर्च की ऊंचाई इतनी है कि लगभग 10 किलोमीटर दूर से भी देखने पर इस ऊपर लगा क्रॉस आराम से नजर आ जाता है. इसके अलावा, चर्च की बेल करीब 5 से 10 किलोमीटर तक लोगों को सुनाई देती है.
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बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर शहर में मौजूद चंदैय्या  मेमोरियल मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च संभाग का सबसे पुराना चर्च है, जो लाल चर्च के नाम से जाना जाता है. सीबी वार्ड मिशनरी  ने सन 1890 ई में इस चर्च की नींव रखी थी. तब बस्तर के तत्कालीन महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ने  सीबी वार्ड को लगभग 1 हजार एकड़ जमीन दान में दी थी, जिसके बाद इस कैंपस में हॉस्टल स्कूल और सर्च बनाया गया.
बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर शहर में मौजूद चंदैय्या मेमोरियल मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च संभाग का सबसे पुराना चर्च है, जो लाल चर्च के नाम से जाना जाता है. सीबी वार्ड मिशनरी ने सन 1890 ई में इस चर्च की नींव रखी थी. तब बस्तर के तत्कालीन महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ने सीबी वार्ड को लगभग 1 हजार एकड़ जमीन दान में दी थी, जिसके बाद इस कैंपस में हॉस्टल स्कूल और सर्च बनाया गया.
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लाल चर्च 1933 ई. में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ. मसीह समाज के सदस्य और चर्च प्रॉपर्टी के अध्यक्ष रत्नेश बेंजमिन ने बताया कि जब इस गिरजाघर को बनाया गया तब इसमें बेल, गोंद, लुई और चूना से ईट की जुड़ाई की गई. यह जुड़ाई इतनी मजबूत है कि आज भी चर्च की दीवार में कहीं भी कोई दरार नहीं पड़ी. हालांकि, हर साल जरूर इस चर्च की रंग रोगन की जाती है, लेकिन 19वीं सदी के चर्च में आज तक कोई रीकंस्ट्रक्शन नहीं किया गया.
लाल चर्च 1933 ई. में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ. मसीह समाज के सदस्य और चर्च प्रॉपर्टी के अध्यक्ष रत्नेश बेंजमिन ने बताया कि जब इस गिरजाघर को बनाया गया तब इसमें बेल, गोंद, लुई और चूना से ईट की जुड़ाई की गई. यह जुड़ाई इतनी मजबूत है कि आज भी चर्च की दीवार में कहीं भी कोई दरार नहीं पड़ी. हालांकि, हर साल जरूर इस चर्च की रंग रोगन की जाती है, लेकिन 19वीं सदी के चर्च में आज तक कोई रीकंस्ट्रक्शन नहीं किया गया.
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इसकी दीवारों से लेकर इसकी नींव 100 साल पुरानी है. खास बात यह है कि चर्च में किसी तरह का कोई सीमेंट का प्लास्टर नहीं किया गया है. ना ही इस चर्च को बनाने के लिए कोई मशीन का उपयोग किया गया है. यही वजह है कि इस चर्च की यहां पहुंचने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है. इसके अलावा यहां लगे झूमर भी 100 साल पुराने हैं.
इसकी दीवारों से लेकर इसकी नींव 100 साल पुरानी है. खास बात यह है कि चर्च में किसी तरह का कोई सीमेंट का प्लास्टर नहीं किया गया है. ना ही इस चर्च को बनाने के लिए कोई मशीन का उपयोग किया गया है. यही वजह है कि इस चर्च की यहां पहुंचने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है. इसके अलावा यहां लगे झूमर भी 100 साल पुराने हैं.
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खासकर क्रिसमस के मौके पर भाईचारे का परिचय देते हुए हर धर्म और हर समाज के लोग इस गिरजाघर में पहुंचकर भगवान यीशु से प्रेयर करते हैं और इस चर्च की भव्यता को भी देखते हैं.
खासकर क्रिसमस के मौके पर भाईचारे का परिचय देते हुए हर धर्म और हर समाज के लोग इस गिरजाघर में पहुंचकर भगवान यीशु से प्रेयर करते हैं और इस चर्च की भव्यता को भी देखते हैं.
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रत्नेश बेंजमिन ने बताया कि इस चर्च की एक और खास बात है. वह यह कि बस्तर संभाग का सबसे ऊंचा चर्च होने की वजह से इसके शिखर में लगा क्रॉस शहर से 10 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती है. इसके अलावा, इस गिरजाघर में लगी बेल की आवाज 5 से 10 किलोमीटर तक सुनाई देती है. गिरजाघर में जो बेल लगी है वह भी मेड इन लंदन है, जो 100 साल बाद भी बिना जंग के इस चर्च की शोभा बढ़ा रही है.
रत्नेश बेंजमिन ने बताया कि इस चर्च की एक और खास बात है. वह यह कि बस्तर संभाग का सबसे ऊंचा चर्च होने की वजह से इसके शिखर में लगा क्रॉस शहर से 10 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती है. इसके अलावा, इस गिरजाघर में लगी बेल की आवाज 5 से 10 किलोमीटर तक सुनाई देती है. गिरजाघर में जो बेल लगी है वह भी मेड इन लंदन है, जो 100 साल बाद भी बिना जंग के इस चर्च की शोभा बढ़ा रही है.
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उन्होंने बताया कि क्रिसमस के मौके पर हर साल चर्च को खास तौर पर सजाया जाता है, जिससे इसकी भव्यता में चार चांद लग जाते हैं. इस बार पैरा से बनाई गई यीशु मसीह की कुटिया खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. रत्नेश बेंजमिन ने बताया कि बस्तर संभाग का लाल चर्च बस्तर के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हैं.
उन्होंने बताया कि क्रिसमस के मौके पर हर साल चर्च को खास तौर पर सजाया जाता है, जिससे इसकी भव्यता में चार चांद लग जाते हैं. इस बार पैरा से बनाई गई यीशु मसीह की कुटिया खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. रत्नेश बेंजमिन ने बताया कि बस्तर संभाग का लाल चर्च बस्तर के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हैं.

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