Photos: रक्षाबंधन के पर्व पर इस मंदिर में दंतेश्वरी देवी को बांधी जाती है सबसे पहली राखी, 800 साल से निभाई जा रही परंरपरा
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा (Dantewada) में मौजूद प्रसिद्ध दंतेश्वरी मंदिर (Danteshwari Temple) में हर साल रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार खास अंदाज में मनाया जाता है.
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View In Appइस मंदिर में राखी का त्योहार मनाने के बाद ही पूरे दंतेवाड़ा जिले में रक्षाबंधन पर्व मनाने की परंपरा 800 सालों से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि दंतेश्वरी देवी को कच्चे सूत की राखी बांधने के बाद ही जिले की सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं.
वहीं मंदिर के सेवादार इस राखी को मंदिर परिसर में ही बनाते हैं. इसे बनाने में 4 से 5 दिन का समय लगता है. इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद बाकायदा दंतेश्वरी माता की कलाई में विशेष तौर पर तैयार कच्चे सूत की राखी बांधी जाती है और मंदिर परिसर में मौजूद अन्य देवी देवताओं के प्रतिमा में राखी बांधने के बाद ही जिले में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है.
दंतेश्वरी मंदिर के पुजारियों ने बताया कि दंतेवाड़ा के कतियारास गांव के मादरी परिवार के सदस्य माता के सेवादार हैं. यह परिवार पिछले कई पीढ़ियों से रक्षाबंधन पर्व के समय माता के लिए कच्चे सूत से राखी बनाने का काम करता आ रहा है.
इसके लिए सेवादार रक्षाबंधन पर्व के करीब पांच दिन पहले ही मंदिर परिसर में रहकर कच्चे सूत से राखी बनाते हैं. इसके बाद पूरे विधि- विधान के साथ दंतेश्वरी मंदिर परिसर में ही मौजूद शंकनी-डंकनी नदी के जल से सूत की राखी को धोया जाता है.
फिर बांस की बनी टोकनी में राखी रखकर उसमें लाल रंग चढ़ाया जाता है. इसके बाद पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के पुजारी इसे मां दंतेश्वरी देवी के प्रतिमा में अर्पित करते हैं. उसके बाद परिसर में ही मौजूद अन्य देवी देवताओं के मंदिरों में भी सूत की राखी चढ़ाई जाती है.
मंदिर में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने के बाद ही दंतेवाड़ा जिले में गांव से लेकर शहर तक के लोग इस पर्व को मानते हैं. माता को कच्चे सूत से बनी राखी चढ़ा कर रखी तैयार मनाने की यह परंपरा पिछले 800 सालों से चली आ रही है.
खास बात यह है कि इस तरह की अनोखी परंपरा छत्तीसगढ़ में केवल दंतेवाड़ा जिले के इस प्रसिद्ध मंदिर में निभाई जाती है. दंतेश्वरी देवी के लिए बस्तरवासियों की सच्ची श्रद्धा होने की वजह से रक्षाबंधन पर्व के दौरान इस रस्म को निभाते वक्त बड़ी संख्या में लोग मंदिर में मौजूद रहते हैं और महाआरती भी की जाती है.
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