IN Pics: बस्तर रियासत के राजमहल में आज भी मौजूद है देश के अंतिम चीते का सिर, देखें तस्वीरें
देश में चीतों के आगमन को लेकर शनिवार को पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा था और नामीबिया से विशेष विमान से आए 8 चीतो को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में शनिवार को छोड़ा गया.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appभारत से विलुप्त हुए इन चीतों को लेकर छत्तीसगढ़ के बस्तर से भी एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है, बताया जाता है कि भारत में अंतिम चीते की मौत 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में हुई थी.
आज भी चीते का एक सिर जगदलपुर शहर के बस्तर रियासत के राज महल के राज दरबार में मौजूद है. दरअसल 1947 में कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने बैकुंठपुर के सलका जंगल में शिकार किया था.
बताया जाता है कि उन्होंने कुल तीन चीतों का शिकार किया था. जिसमें से एक चीते का सिर उन्होंने तत्कालीन बस्तर रियासत के महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव को भेंट स्वरूप दिया था, जिसके बाद से आज तक इस चीते का सिर राज महल के राज दरबार में शोभा बढ़ा रहा है, इसके अलावा राज दरबार में एक वन भैंसा और हिरण का भी सिर मौजूद है.
चीता से जुड़ा यह वाकया बस्तर का है. इसकी जानकारी भी बेहद कम लोगों को है. बस्तर राजपरिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने बताया कि 75 साल पहले कोरिया जंगल में मारे गए भारत के अंतिम चीते का शिकार कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने बैकुंठपुर के सकला के जंगलो में किया था. और अंतिम चीते का सिर छत्तीसगढ़ के बस्तर राजपरिवार और तत्कालीन महाराजा प्रवीण चंद्र भंजदेव को भेंट स्वरूप दिया था.
इस चीते का सिर आज भी राज महल के दरबार में मौजूद है. जो राजहमल की शोभा बढ़ा रहा है. इधर रणथंबोर फाउंडेशन चाणक्यपुरी नई दिल्ली द्वारा साल 1997 में संकटग्रस्त वन्य जीवो पर विशेष अंक प्रकाशित किया गया था. जिसमें भारत में विलुप्त एक शालीन जीव 'चीता' विशेष आलेख भी प्रकाशित है. उसमें उल्लेख किया गया है कि देश के आखिरी 'चीते' मध्य प्रदेश अभी छत्तीसगढ़ ,बिहार उड़ीसा में देखें और और मारे गए थे.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -