Surajpur News: जिस बिल्डिंग में आवारा जानवर घुसना पसंद नहीं करते थे, अब वहां संगीत-कला का लगता है स्कूल
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में कला एवम संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए जिला प्रशासन ने अभिनव पहल की है. जिसकी हर जगह सराहना हो रही है. दरअसल, सूरजपुर जिला मुख्यालय में खंडहर पड़े एक भवन को प्रशासन ने कायाकल्प कर रोशनी से जगमगा दिया है. जो अब कला प्रेमियों के लिए पसंदीदा जगह बन गया है. पहले जिस भवन में नशेड़ी, गंजेडी तो दूर आवारा पशु भी नहीं घुसते थे आज उस भवन की तस्वीर बदल गई है, अब इस भवन में सुबह से शाम तक रौनक रहती है. बच्चे यहां नृत्य, संगीत सीखने आते है.
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View In Appकलाकेंद्र की दीवारों में तरह तरह की पेंटिंग बनाई गई है. जो स्थानीय पेंटर जगमोहन द्वारा बनाई गई है. भवन के अंदर इंस्ट्रूमेंट क्लास, वोकल क्लास, पेंटिंग क्लास सभी के लिए अलग अलग रूम बनाए गए है. बता दें कि कला केंद्र कई तरह की शिक्षाएं दी जाती है. जिसका लाभ उठाने सूरजपुर सहित ग्रामीण इलाके के कला प्रेमी भी पहुंचते है. वहीं खास बात ये है की यहां पेंटिंग, गीत, संगीत, नृत्य सिखाने के लिए कोई बाहर से प्रशिक्षक नहीं बुलाया गया है
सूरजपुर नगरीय निकाय क्षेत्र में लंबे समय से एक भवन खंडहर पड़ा हुआ था. जिसका कोई उपयोग नहीं हो रहा था. जब इस भवन पर प्रशासन की नजर पड़ी तो उसे कला केंद्र के रूप में विकसित किए जाने की योजना बनी. जिसके बाद चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर काम शुरू हुआ और आज कभी खंडहर की तरह दिखने वाला भवन रंग बिरंगी चित्र, और रोशनी से जगमगा रहा है. यहां हर रोज बच्चे पेंटिंग, गीत, संगीत, नृत्य, गायन सीखने आते है.
कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा रहती है कि स्थानीय प्रतिभाओं को शिक्षा के अलावा. अन्य क्षेत्र में कैसे विकास किया जा सकता है. उनकी प्रेरणा से ज्ञान के साथ नैसर्गिक प्रतिभा है उसको एक और पंख दिया जाए. इसके लिए जिला प्रशासन का एक प्रयास है.
वहीं बेकार पड़े भवन का कायाकल्प कर कला केंद्र का रूप देने पर कला प्रेमियों ने प्रशासन का धन्यवाद किया है. अब स्थानीय प्रतिभाओं को बाहर निकलने का भरपूर मौका मिला रहा है. जिन्हे गाना, बजाना और नाचने का शौक है, वह यहां से शिक्षा ले रहे है.
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