In Pics: छत्तीसगढ़ में YouTubers का गांव, हर घर में हैं कलाकार, बच्चे से बुजुर्ग तक सबकी हो रही कमाई, चौपाल में तय होता है रोल
दरअसल छत्तसीगढ़ की राजधानी रायपुर से 40 किलोमीटर दूर तुलसी गांव इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां सोशल मीडिया ने गांव के हुनर को मौका दिया है. घर घर के बच्चे गलियों में खेलते कम हैं लेकिन यूट्यूब के लिए कैमरे लेकर घूमते नजर आते हैं. इस गांव की आबादी 3 हजार है लेकिन 1 हजार से ज्यादा लोग यहां यूट्यूब के लिए वीडियो बनाते हैं. एक्टिंग करते हैं, कैमरा लाइट, एडिटिंग, स्क्रिप्ट राइटर जैसे काम खुद गांव वाले ही करते हैं. गांव के सबसे पहले यूट्यूबर ज्ञानेंद्र शुक्ला की कहानी काफी दिलचस्प है.
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View In Appउन्होंने एसबीआई की नौकरी छोड़ने के बाद 2016 में पहला चैनल बनाया और लोकल टॉपिक पर कॉमेडी वीडियो बनाने लगे. उस दौर में यूट्यूब का ज्यादा प्रचलन नहीं था. इसके बाद 2018 में ज्ञानेंद्र शुक्ला ने यूट्यूब में अपना दूसरा चैनल बनाया. अब ये चैनल छत्तीसगढ़ के गांव गांव में देखा जाता है. इनके वीडियो अब मिलियन व्यूज मिलने लगे हैं. शुरुआत में गांव के युवा उनके चैनल के लिए काम करते थे. लेकिन अब गांव के बाकी युवाओं ने भी खुद का यूट्यूब चैनल बना लिया है और क्रिएटिव वीडियो बनाते हैं.
ज्ञानेंद्र शुक्ला के साथी चेतन नायक ने बताया कि उनका भी एक यूट्यूब पर चैनल है. कॉमेडी वीडियो बनाकर उसमें पोस्ट करते हैं. लोकल मुद्दे पर वीडियो बनाते हैं. 2019 में खुद का पेज बनाया इससे पहले ज्ञानेंद्र के चैनल के लिए काम करते थे. उन्होंने बताया कि अब तो हमारे गांव बहुत सारे युवा के पास खुद का यूट्यूब चैनल है. सब एक दूसरे के वीडियो के लिए काम करते हैं. पहले कैसे वीडियो बनाना है और इसकी पूरी तकनीकी जानकारी के लिए यूट्यूब के जरिए ही समझते थे. इसके बाद लगभग सभी गांव वाले वीडियो बनाने सीख गए हैं.
तुलसी गांव के लोग यूट्यूब के लिए वीडियो बनाने से पहले गांव के चौपाल में मीटिंग करते हैं. स्टोरी आइडिया पर सभी मिल जुलकर वीडियो को बेहतर बनाने के लिए चर्चा करते है. इसके अलावा गांव के मीटिंग में ये भी तय किया जाता है कि स्टोरी के अनुसार कौन उसमे एक्टिंग करेगा.
किस रोल को किसे दिया जाएगा इसको फाइनल करने के बाद गांव में ही वीडियो को शूट किया जाता है. इसके बाद घर में वीडियो एडिट कर यूट्यूब पर पोस्ट किया जाता है. यूट्यूबर ज्ञानेंद्र शुक्ला ने बताया कि लंबे लंबे वीडियो शूट करते हैं. बेसिक स्टोरी पर कॉमेडी के साथ सामाजिक मुद्दे पर वीडियो बनाया जाता है. हमारे वीडियो में बहुत सारे कैरेक्टर के साथ वीडियो बनाया जाता है. गांव के युवा गलियों में वीडियो शूट करते है. गांव वालो ने वीडियो के लिए कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नही लिए है. लेकिन सब काम सीखते हैं. अलग अलग घर के है लेकिन जब वीडियो के लिए परिवार में मिल जाते है. गांव में कौन क्या रोल करेगा. ये सब पहले तय किया जाता है.
गांव में बहुत सारे कंटेंट क्रिएटर है. किस एक्ट को कौन बेहतर कर सकता है. इसके लिए चर्चा होती है. महिलाएं घर में खाना बनाकर काम करने की जगह यूट्यूब में वीडियो बनाने जाते हैं. फूल टाइम Youtuber ज्ञानेंद्र शुक्ला अपनी पत्नी के साथ वीडियो बनाते है. पति पत्नी अपने वीडियो में कई कैरेक्टर प्ले करते है.
उन्होंने बताया कि एडिटिंग 2 से 3 लोग मिलकर करते है. स्क्रिप्ट के लिए सब लोग सोचते रहते है. हम सब मिलकर टॉपिक फाइनल करते है. पूरा टीम वर्क में हम वीडियो शूट करते है. छत्तीसगढ़ के लोकल त्योहार में पर वीडियो बनाते है. हमारे गांव में कोई भी काम कर सकता है. कैरेक्टर की कमी नही होती है. किसी को भी रोक के वीडियो में काम करवाते लेते थे.
यूट्यूबर मनोज कुमार ने बताया कि हमारे गांव में सभी एक्टिंग करते है. सभी स्क्रिप्ट लिखते है. सब एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते है. कॉमेडी वीडियो ही ज्यादा बनाते है. गांव के घर में जो कहानी देखते है. जो कहानी अलग लगती है उसपर वीडियो बनाते है. वीडियो में मिर्च मसाला डालकर अच्छा बनाया जाता है.एक्टिंग मतलब आलू प्याज खरीदना जैसा है. मनोज अपने परिवार के बारे में बताया कि मेरे दो बच्चे भी वीडियो में काम करती है.
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